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राम - एक युगपुरुष मर्यादापुरुषोत्तम की अनंत कथा

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*राम - एक युगपुरुष मर्यादापुरुषोत्तम की अनंत कथा* एक आदर्श मानव जीवन कैसा होना चाहिए प्रभु श्री राम ने दुनिया को अपने उत्तम आचरण से बताया समझाया है, जो समस्त ब्रह्मांड के मालिक हैं वे जब राम नामक किरदार निभाने के लिए मृत्युलोक आए तो वे खुद भी भूल गए और सांसारिक लोग भी भूल गए कि ये स्वयं चतुर्भुज भगवान श्री विष्णु हैं l क्योंकि राम ने कभी कहा ही नहीं कि वे स्वयं ईश्वर हैं l राम ने आदमी के रूप में हर प्रकार से खुद को आदर्श सिद्ध किया है l और सिद्ध करने के लिए नहीं किया अपितु उनके उच्चतम मानवीय आचरण से ये सिद्ध होता गया l चाहे बेटा के रूप में हों या पति के रूप में हों, या फिर भाई के रूप में हों या फिर मित्र के रूप में हों या फ़िर राजा के ही रूप में क्यों न हों l एक बेटे के रूप में उन्होंने उच्चतम आदर्श स्थापित किए आज भी अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए हम सब राम का अनुशरण करते हैं l राम जैसा बेटा मिले भारत के प्रत्येक माता-पिता इसका वरदान भगवान से मांगते हैं l राम जैसा राजा मिले, राम जैसा प्रेमी मिले, राम जैसा मित्र मिले l राम पुनः सबकुछ बनकर अब सृष्टि पर आने से रहे, अतः हम सभी को अ...

समाज की आत्मा है कल्ट क्लासिक फ़िल्म शोले

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*समाज की आत्मा है कल्ट क्लासिक फ़िल्म शोले * हिन्दी सिनेमा की एक अद्वितीय कल्ट क्लासिक फ़िल्म शोले जिसका एक - एक किरदार, डायलॉग, संवाद, सीन, गीत, संगीत सब कुछ आज भी सिने प्रेमियों के दिमाग में अंकित है. शोले फ़िल्म में इतनी बड़ी स्टारकास्ट जिसमें एक से बढ़कर एक सुपरस्टार, एक से बढ़कर एक सभी किरदार अमर हैं. कास्टिंग के वक़्त सभी सितारे एक - दूसरे के रोल बदलना चाहते थे, लेकिन अडिग रमेश सिप्पी ने वैसे ही किरदार गढ़े जैसे चाहते थे. फिल्म में अभिनय के महान उस्ताद संजीव कुमार, हरफ़नमौला धर्मेद्र, अमजद खान, एंग्रीमैन अमिताभ बच्चन, ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी, जया बच्चन, आदि के दमदार रोल के बाद भी स्क्रीन शेयर करने के बाद छोटे छोटे मोहरे भी बाज़ी जीत कर ले गए.. जेलर के रूप में असरानी, हरिराम नाई के रूप में केश्टो मुखर्जी, कालिया के रूप में विजु खोटे, सांभा के रूप में मैकमोहन.. ये सारे अमर किरदार आज भी सिने जगत में या सिने प्रेमियों में बच्चा - बच्चा एक - एक किरदार से ऐसे परिचित है, जैसे रामायण, महाभारत के किरदारों से परिचित है. सिप्पी पिता-पुत्र की जोड़ी अपनी एक फिल्म शोले के लिए आजीवन याद किए जाएं...

राम की कथा, रामलीला में जीवंत होती है

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         राम की कथा, रामलीला में जीवंत होती है     ____________________________________ हमारे गाँव में कई ऐसे बुज़ुर्ग अब भी हैं जो रामायण के पात्रों के नामों से पुकारे जाते हैं. एक बुज़ुर्ग हैं आज भी कई लोग उन्हें जनक जी या बिदेह राज कहकर संबोधित करते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि वे खुशी खुशी बोलते हैं. तो एक बुज़ुर्ग महाशय तो दशानन कहे जाते हैं. कई तो मेघनाद, नारद, सुग्रीव ऐसे नामों से जाने जाते हैं. पहले गांव में रामलीला होती थी तो ये सब महोदय उसमे अक्सर रामलीला में रामायण के पात्रों की भूमिकाएं निभाते थे. जब सिनेमा नहीं था, टेलीविजन नहीं था.. थिएटर, रंगमंच कुछ भी नहीं था तब हमारे देश में रामलीला सबसे बड़ा मनोरंजन का स्वस्थ्य साधन था. पूरे साल लोगों को इंतज़ार रहता था कि कब रामलीला का समय आएगा. और जैसे ही रामलीला का समय आता, पूरे गांव में हलचल उत्पन्न हो जाती. यूँ लगता कैसे कोई त्योहार आ गया है. लोग पूरे दिन अपने - अपने काम से फ्री होकर रामलीला प्रांगण में एकत्र हो जाते थे. कहते हैं दूर के ढोल सुहावने होते हैं, लेकिन रामलीला में ये बात भी झूठी स...

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया

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मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया ---------------------------------------- मेरे हीरो सदाबहार नायक देवानंद साहब पर लिखी पुस्तक का कवर आज मिला. इससे अच्छा जन्मदिन का उपहार नहीं हो सकता था...कल अचानक से प्रकाशन हाउस Shabdgaatha Media Publishers से आयशा जी फोन करके बोलीं - 'कल आप सुबह आँखे खोलेंगे तो आपको एक उपहार मिलने वाला है और वो है किताब का कवर जो मुकम्मल हो गया है...  इत्तेफ़ाक से मेरा कल जन्मदिन है, जो मैं मनाता नहीं, लेकिन ये बहुत सुन्दर इत्तेफ़ाक है... मैंने कहा  और पुस्तक का कवर आज उपहार स्वरुप प्राप्त हुआ... जिसे Sidrah Patel जी ने बनाया है.. लिखना आसान है, लेकिन किताब की प्रक्रिया बहुत जटिल है, बहुत ही जटिल.. मैं तो बहुत असमंजस में था, लेकिन बड़ी बहन Saba Khan जी ने उन जटिलताओं को आसानी में बदल दिया.. शुक्रिया लफ्ज़ बहुत छोटा सा है इसलिए इस शब्द को ज़्यादा ढोना पसंद नहीं...  मेरा ज़िंदगी को लेकर समय - समय पर दृष्टिकोण बदलता रहा है, यही कारण है कि  आप सभी बड़ो, आत्मीय जनों का प्रेम, आशीर्वाद मुझे महसूस हो रहा है....मैं व्यक्तिगत रूप से आप सभी को ...

देव साहब की यादों में इंदिरा गांधी

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               *देव साहब की यादों में इंदिरा गांधी*          __________________________________ देव साहब इंदिरा जी को याद करते हुए लिए लिखते हैं -  "समय की धारा बड़ी जल्दी-जल्दी अपनी करवट बदलती हैं. उस समय अपने समय की गूँगी गुड़िया अब भारत की शक्तिशाली नेत्री बन चुकी थी और आपातकाल की घोषणा के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी निरंकुश शासक बन चुकी थीं. उस समय एक नारा प्रचलित हो चुका था “ Indra is India, India is Indra .” श्रीमती इंदिरा गाँधी का छोटा बेटा संजय गांधी एक तरह से सरकार की बागडोर अपने हाथों में ले कर असंवैधानिक कार्य करने में व्यस्त था. हर कोई उस समय संजय गांधी को इंदिरा गाँधी का उत्तराधिकारी मान चुका था. जबकि संजय गांधी सरकार को अपने मनमाने ढंग से चला रहा था तो इंदिरा गांधी स्वामियों के चक्कर में पड़ी हुई थी. कांग्रेस का यूथ विंग संजय गांधी को आने वाले भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तुत कर रहा था. जो कि भारत को नयी ऊँचाइयों पर ले जाने वाला था. यूथ विंग की एक बड़ी खूबसूरत महिला ने मुझे और फ़िल्म जगत की नामचीन हस्त...

हारो मत जीत लो अपने को

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हारो मत जीत लो अपने को  ------------------------------------- अपने देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने मिल जाए ये हर खिलाड़ी का ख्वाब होता है, लेकिन जब आप टेस्ट क्रिकेट में 10 हज़ार का आंकड़ा पार कर लेते हैं तो आप महानतम बन जाते हैं.. स्टीव स्मिथ ने टेस्ट क्रिकेट में ज़बरदस्त वापसी करते हुए ये मुकाम पार कर लिया है, साथ ही आज टेस्ट क्रिकेट में 36वां शतक लगा दिया है. रूट तो 13 हज़ार रन के मुहाने पर खड़े हैं.. विलियम्सन भी दस हजार रन पहुंच ही जाएंगे वहीँ शतकों में विराट से आगे हैं.  रूट, स्मिथ, विलियम्सन तीनों जबरदस्त फॉर्म में चल रहे हैं और लगातार रन बना रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट में एक समय इन तीनों से काफ़ी आगे चल रहे विराट कोहली आज संघर्ष कर रहे हैं, क्रिकेट एक्सपर्ट तो चुका बता रहे हैं... मैं सोच रहा हूँ जब हमसे पीछे वाले आगे निकल जाएं और हमारे चेहरे पर उनकी गाड़ी की धूल हो तो हम टूट चुके होते हैं! उस समय हम मोटिवेशन कैसे ले पाते होंगे? एक अवॉर्ड फंक्शन में शाहरुख खान राजकुमार राव से पूछ रहे थे - "तुम स्क्रिप्ट कैसे चुनते हो? आजकल तुम्हारी फ़िल्में ज़बरदस्त चल रही हैं! पू...

इतिहास के दर्पण में शिवाजी

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इतिहास के दर्पण में शिवाजी  शिवाजी महाराज जैसा राजा आधुनिक इतिहास में हुआ ही नहीं है, और न होगा. छत्रपति शिवाजी महाराज हिन्दू पुनरुत्थान के लिए याद ज़रूर किए जाते हैं लेकिन उनका आचरण भगवान राम जैसा धर्म - जाति निरपेक्ष था. जिनके हृदय में किसी के लिए भी नफ़रत नहीं थी... खुद के जीते हुए राज्य की महिलाओं के पैर छूकर माँ कहकर अभयदान देने वाले महापुरुष थे.  कोई अकड़ नहीं समझौते करते थे, झुकना और झुकाना जानते थे... कुशल योद्धा थे...औरंगज़ेब के दरबार में ललकारना एवं बचपन में ही आदिलशाह के दरबार में मुखालिफ़त उन्हें निर्भीक नायक बनाती है. टोकरी में छुपकर बाहर निकलना उनकी कुशल रणनीति थी जो इतिहास में दर्ज है...औरंगज़ेब से पुनः अपने 24 किले छीन लेना उन्हें छत्रपति बनाती है.  नौसेना की महत्ता को मानने वाले शिवा जी ने उस दौर में भी नौसेना का निर्माण किया था... शिवाजी ने छोटी सी उम्र में ही आदिल शाही सल्तनत को नेस्तनाबूद कर दिया था, ये शिवाजी ही थे, जिन्होंने औरंगज़ेब को अपने राज्य से दूर रहने के लिए मजबूर कर दिया था.  शिवाजी महिलाओं की बहुत इज्ज़त करते थे, महिलाओ...