मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया ---------------------------------------- मेरे हीरो सदाबहार नायक देवानंद साहब पर लिखी पुस्तक का कवर आज मिला. इससे अच्छा जन्मदिन का उपहार नहीं हो सकता था...कल अचानक से प्रकाशन हाउस Shabdgaatha Media Publishers से आयशा जी फोन करके बोलीं - 'कल आप सुबह आँखे खोलेंगे तो आपको एक उपहार मिलने वाला है और वो है किताब का कवर जो मुकम्मल हो गया है... इत्तेफ़ाक से मेरा कल जन्मदिन है, जो मैं मनाता नहीं, लेकिन ये बहुत सुन्दर इत्तेफ़ाक है... मैंने कहा और पुस्तक का कवर आज उपहार स्वरुप प्राप्त हुआ... जिसे Sidrah Patel जी ने बनाया है.. लिखना आसान है, लेकिन किताब की प्रक्रिया बहुत जटिल है, बहुत ही जटिल.. मैं तो बहुत असमंजस में था, लेकिन बड़ी बहन Saba Khan जी ने उन जटिलताओं को आसानी में बदल दिया.. शुक्रिया लफ्ज़ बहुत छोटा सा है इसलिए इस शब्द को ज़्यादा ढोना पसंद नहीं... मेरा ज़िंदगी को लेकर समय - समय पर दृष्टिकोण बदलता रहा है, यही कारण है कि आप सभी बड़ो, आत्मीय जनों का प्रेम, आशीर्वाद मुझे महसूस हो रहा है....मैं व्यक्तिगत रूप से आप सभी को ...