इतिहास के दर्पण में शिवाजी

इतिहास के दर्पण में शिवाजी 

शिवाजी महाराज जैसा राजा आधुनिक इतिहास में हुआ ही नहीं है, और न होगा. छत्रपति शिवाजी महाराज हिन्दू पुनरुत्थान के लिए याद ज़रूर किए जाते हैं लेकिन उनका आचरण भगवान राम जैसा धर्म - जाति निरपेक्ष था. जिनके हृदय में किसी के लिए भी नफ़रत नहीं थी... खुद के जीते हुए राज्य की महिलाओं के पैर छूकर माँ कहकर अभयदान देने वाले महापुरुष थे. 

कोई अकड़ नहीं समझौते करते थे, झुकना और झुकाना जानते थे... कुशल योद्धा थे...औरंगज़ेब के दरबार में ललकारना एवं बचपन में ही आदिलशाह के दरबार में मुखालिफ़त उन्हें निर्भीक नायक बनाती है. टोकरी में छुपकर बाहर निकलना उनकी कुशल रणनीति थी जो इतिहास में दर्ज है...औरंगज़ेब से पुनः अपने 24 किले छीन लेना उन्हें छत्रपति बनाती है. 

नौसेना की महत्ता को मानने वाले शिवा जी ने उस दौर में भी नौसेना का निर्माण किया था... शिवाजी ने छोटी सी उम्र में ही आदिल शाही सल्तनत को नेस्तनाबूद कर दिया था, ये शिवाजी ही थे, जिन्होंने औरंगज़ेब को अपने राज्य से दूर रहने के लिए मजबूर कर दिया था. 

शिवाजी महिलाओं की बहुत इज्ज़त करते थे, महिलाओ एवं किसानों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले नायक थे. 

रानी लक्ष्मीबाई शिवाजी से प्रेरित थीं लेकिन उनका विज़न शिवाजी महाराज की तरह विशाल नहीं था...अपनी झाँसी में ही उलझी रहीं... महाराणा प्रताप महान राजा थे लेकिन उनका विजन भी महाराज शिवाजी की तरह विशाल नहीं था...शिवाजी महाराज किसी राज्य, शहर की सीमा तक सीमित नहीं थे, उनका लक्ष्य पूर्ण स्वराज था...... वे कितने सफल हुए नहीं हुए लेकिन उनकी बुद्घिमत्ता, बहादुरी, न्यायसंगत राजा के रूप में उनका व्यक्तित्व बहुत विशाल है. 

छोटे से छोटे बच्चों को शिवाजी महाराज का जीवन पढ़ना चाहिए कि अगर आपका विज़न बड़ा है और आप संघर्ष करने का ज़ज्बा रखते हैं तो इतिहास आपको अग्रणी स्थान देता है..भारतीय इतिहास में शिवाजी महाराज जैसे महापुरुष बिरले ही हुए हैं.

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