मध्य प्रदेश: बच्चों के लिए असुरक्षित होते भविष्य की ओर?
मध्य प्रदेश: बच्चों के लिए असुरक्षित होते भविष्य की ओर?
मध्यप्रदेश को कौशल प्रदेश, शांतिप्रिय प्रदेश कहा जाता है l एमपी के जबलपुर हाईकोर्ट के बाहर एक बड़ा बोर्ड लगा हुआ है जहां लिखा है कौशल प्रदेश, कुशल प्रदेश, शांत प्रदेश
ये थीम एमपी के कानून व्यवस्था की कहानी कहती है l
एमपी के लोगों की मानसिकता अपराध के प्रति घृणा की रही है, आज भी एमपी में अन्य राज्यों की जहां - जहां सीमाएं मिलती हैं वहाँ अपराध कुछ दिखता था, परंतु एमपी की सरकार अपराध को पनपने नहीं देती पहले ही कुचल देती है, परंतु कुछ महीनों से एमपी में अराजकता बढ़ती हुई दिख रही है l जो आम लोगों को भी महसूस हो रही है l बच्चो, महिलाओं के प्रति बढ़ती अपराध की घटनाएं एमपी के लिए किसी बुरे सपने की तरह हैं एमपी ने एक बीमारू राज्य से निकलकर एक विकासशील राज्य की सूची अपनी जगह बनाई है, इसलिए इस अराजकता को पहले से ही कुचलने की आवश्यकता है जिससे एमपी का विकास बाधित न हो l
मध्यप्रदेश के प्रमुख महानगरों इंदौर जबलपुर, भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन, खजुराहो आदि में देश - दुनिया के पर्यटकों का जमावड़ा रहता है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि एमपी सरकार वहाँ ज़्यादा ध्यान देती है, आम तौर पर एमपी के लोगों को माफियागिरी, बाहुबली आदि शब्दों का मतलब नहीं पता l एमपी के लोगों को भी शांत प्रवृत्ति का माना जाता है l आज भी हमारे जैसे लोगों का अनुभव कहता है कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में एमपी अधिक शांति प्रिय लोगों का प्रदेश है l इंदौर, जबलपुर, भोपाल, ग्वालियर जैसे महानगरों में लोग दिन - रात स्वछंदता से घूम सकते हैं l
एमपी में अपराधीकरण, माफियागिरी नहीं है, परंतु कुछ सालो से एमपी में ब्यूरोक्रेसी की बढ़ती तानाशाही, प्रशासन की गैर जिम्मेदारी आम लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है l एमपी में बढ़ता भ्रष्टाचार भी लोगों को डरा रहा है, जब ब्यूरोक्रेट करप्ट हो जाते हैं, तो अपराध भी धीरे-धीरे अपने पैर पसार लेता है, जो किसी भी मध्यप्रदेश के निवासी के लिए चिंता का विषय बन गया है l जब अपराधीकरण बढ़ने लगता है तो विकास के रास्ते में अवरोध उत्पन्न होने लगते हैं l ब्यूरोक्रेसी मदमस्त हो जाती है तो आम जनता भ्रस्टाचार, एवं बढ़ते अपराधीकरण के कारण सहम जाती है l बीते कुछ महीनों से एमपी में मर्डर, जैसे केस बढ़ते जा रहे हैं, पन्ना जिले के अजयगढ़ में एक युवती के घर में घुसकर कुछ लोगों ने दुष्कर्म किया और उसके छोटे से बच्चे सहित उसकी हत्या कर दी l इस दुष्कर्म एवं हत्या ने पूरे जिले में सनसनी फैला दी कि एमपी में अपराधियों का बोलबाला हो गया है, अन्यथा अजयगढ़ जैसे शांति प्रिय जगहो पर कभी मर्डर, रेप जैसी घटनाएं सुनने को नहीं मिलती, परंतु अब लोगों में एक खौफ बढ़ रहा है, अहिस्ता, अहिस्ता l अजयगढ़ पन्ना जैसे इलाकों में लोगों के अंदर एक खौफ़ है l
ऐसे ही एक घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है l बीते एक महीने में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 11 बच्चों की मौत के बाद राज्य में बाल स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे है l इन बच्चों के परिवार का कहना है कि कफ़ सिरप पीने के बाद बच्चों का स्वास्थ्य तेज़ी से बिगड़ा और उन्हें बचाया नहीं जा सका l मध्य प्रदेश ड्रग कंट्रोल विभाग ने शनिवार सुबह तमिलनाडु में बनने वाली कोल्ड्रिफ़ कफ़ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया था l वहीं शनिवार रात पुलिस ने सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी, कफ़ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फ़ार्मास्युटिकल्स के संचालकों और अन्य ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है l यह कार्रवाई 5 अक्तूबर को परासिया ब्लॉक के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अंकित सहलाम की शिकायत पर हुई l रिपोर्ट के मुताबिक़, सिरप में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जो ज़हरीला रसायन है और सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है l यह कफ़ सिरप तमिलनाडु स्थित श्रीसन फ़ार्मास्युटिकल कंपनी बनाती है l
छिंदवाड़ा ज़िला प्रशासन के अनुसार, इस तरह का पहला मामला 24 अगस्त को सामने आया था और सात सितंबर को पहली मौत हुई थीं l स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के परामर्श से मृत बच्चों की मेडिकल हिस्ट्री का अध्ययन किया गया, जिसमें कफ़ सिरप के इस्तेमाल का मामला सामने आया l मध्य प्रदेश की सरकार पिछले लगभग 10 दिनों से जांच अधूरी होने का हवाला दे रही है l वहीं तमिलनाडु के ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने एक दिन के अंदर ही कोल्ड्रिफ़ कफ़ सिरप में मानकों के उलट और ज़हरीले तत्व डायथिलीन ग्लाइकॉल के होने की पुष्टि की है l ये एमपी प्रशासन के लिए शर्मनाक है l अब सवाल उठते हैं कि ये सब एमपी में बढ़ क्यों रहा है? क्या प्रशासन को इस बढ़ते अपराध की जानकारी नहीं मिलती ? और क्या ऐसी दर्दनाक मौतें क्या सरकार को विचलित नहीं करतीं? क्या आपके दिखावे की कार्यवाही से उन मासूम बच्चो की जान बच जाएगी?
अभी पिछले दिनों रिपोर्ट जारी हुई है कि बच्चों के लिहाज से एमपी में अपराध बढ़ते जा रहे हैं, जो लोगों में बढ़ते खौफ की कहानी कहते हैं l यहां क्राइम रेट 77.9 फीसदी है। अपराध की ये संख्या साल 2022 में 20415 और साल 2021 में 19173 थी। इस तरह बच्चों की सुरक्षा के नजरिए से मध्य प्रदेश की हालत साल दर साल बदतर होती जा रही है।
बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में मध्य प्रदेश देश में सबसे ऊपर है। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में मध्य प्रदेश के अंदर बच्चों से जुड़े अपराध में 22393 मामले दर्ज किए गए। यहां क्राइम रेट 77.9 फीसदी है। अपराध की ये संख्या साल 2022 में 20415 और साल 2021 में 19173 थी। इस तरह बच्चों की सुरक्षा के नजरिए से मध्य प्रदेश की हालत साल दर साल बदतर होती जा रही है। हत्या, रेप के बाद हत्या, शिशु और भ्रूण हत्या के मामले में मध्य प्रदेश की कहानी बदत्तर होती जा रही है l
मध्य प्रदेश में मां के गर्भ से बच्चे के जन्म तक, रेप के बाद मर्डर से लेकर अन्य मामलों में हत्या के मामले भरे पड़े हैं। राज्य में आज भी मां के गर्भ में बच्चे को खत्म कर दिया जाता है। साल 2023 में भ्रूण हत्या के कुल 87 मामलों में 20 एमपी में दर्ज किए गए। जैसे-तैसे अगर बच्चा जन्म ले लेता है, तो उसकी भी हत्या कर दी जाती है। साल 2023 में शिशु हत्या के कुल 63 मामलों में 12 एमपी में दर्ज किए गए थे। माँ के गर्भ से सुरक्षित बच निकलने के बाद बच्चा जैसे-तैसे अपना जीवन शुरू करता है। मगर कुछ दरिंदे बच्चों के साथ रेप के बाद हत्या और अन्य तरह से हत्या की घटनाओं को अंजाम देकर देश के भविष्य को नष्ट कर देते हैं। साल 2023 में बच्चों की हत्या से जुड़े 1177 मामले सामने आए थे। इनमें से 100 एमपी में दर्ज हुए। रेप के बाद मर्डर के 86 मामलों में 11 एमपी में दर्ज हुए। बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले 368 मामले में 104 मामले एमपी में दर्ज हुए हैं l अन्य राज्यों से तुलना करें तो दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश का स्थान आता है। एमपी शांति प्रिय लोगों का प्रदेश है, बढ़ते अपराध पर कानून व्यवस्था को लेकर जो प्रश्न उठ रहे हैं, उसको दुरुस्त किए जाने की दरकार है l एमपी सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि प्रदेश के लोगों में खौफ स्थापित न हो जाए l प्रदेश में कानून का राज होना चाहिए जिससे शांति भंग न हो l
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