पशुओं के प्रति हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी
पशुओं के प्रति हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी
(विश्व पशु दिवस 04 अक्टूबर 2025)
“किसी राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिक प्रगति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां पशुओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है l एक राष्ट्र तभी समृद्ध होगा जब वह पशुओं के जीवन को मानव जीवन के समान मूल्यवान समझेगा l पशुओं को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचार सभी को जानना चाहिए l महान विचारक श्री अरविंदो भी यही कहते थे "जीवन तो जीवन है - चाहे वह बिल्ली में हो, कुत्ते में हो या मनुष्य में। बिल्ली और मनुष्य में कोई अंतर नहीं है। अंतर का विचार मनुष्य के अपने लाभ के लिए एक मानवीय अवधारणा है।" हैरियट बीचर स्टोव कहते थे - "जानवरों के साथ अपने व्यवहार में हमें यह याद रखना चाहिए कि वे हमारे पूर्वजों की ओर से हमें दी गई एक पवित्र धरोहर हैं। वे गूंगे हैं और अपनी बात नहीं कह सकते। अतः हमें इस धरोहर को सम्भालना चाहिए l
अभी कुछ दिनों पहले आवारा कुत्तों को लेकर दिल्ली में अमानवीयता देखने को मिली थी, परंतु कोर्ट ने कुत्तों के जीवन को भी उपयोगी बताते हुए लोगों की अमानवीयता पर रोक लगाई थी कि कुत्ता हो या कोई अन्य जीव सभी का जीवन महत्तवपूर्ण है l ख़ासकर जानवर भी हमारे आसपास रहते हैं जिससे प्रकृति संतुलित रहती है l
प्रत्येक 4 अक्टूबर को विश्व पशु कल्याण दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह दिन पूरे विश्व में मनाए जाने वाले प्रमुख दिनों में से एक है l विश्व स्तर पर विश्व के बुद्धिजीवियों ने पर्यटकों के संरक्षण और संरक्षण के लिए इस दिन की शुरुआत की थी, जिसे पूरे विश्व में जानवरों के संरक्षण और जागरुकता के लिए मनाया जाता है l यह दिवस मानव की समृद्धि में एक प्रमुख कारक है, प्राकृतिक आपदाओं से, जहां मनुष्य खुद को किसी भी तरह से बचा लेता है, लेकिन वह पशुओं को बचा नहीं पाता है । 4 अक्टूबर को हम “ विश्व पशु कल्याण दिवस ” मानते हैं, यह एक अन्तराष्ट्रीय दिवस है l यह दिन एसीसी केसेंट फ्रांसिस का जन्मदिवस भी है जो कि पशुओं के महान संरक्षक थे l देखा जाए तो विश्व पशु कल्याण दिवस की शुरुआत 1931 ई.पू. में परिस्थिति विज्ञानशास्त्रियों के सम्मलेन में इटली के शहर फ्लोरेंस में की गई थी | अब तक युनाइटेड नेशंस ने "पशु कल्याण पर एक सार्वभौम घोषणा" के नियम एवं निर्देश के अनेक अभियानों की शुरुआत की है, पृथ्वी की दृष्टि से, संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा किया कि जानवरों के दर्द और पीड़ा के सन्दर्भ में उन्हें प्राणी के रूप में पहचानने की बात कही गई है, जिससे उनकी जान की रक्षा करना सभी का उत्तरदायित्व होना चाहिए लेकिन विश्व पशु कल्याण दिवस का मूल उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना, और असंख्य लोगों को पशुओं के प्रति जागरूक करना l ख़ासकर जिन्होंने अब तक पशुओं के जीवन को भी महत्पूर्ण माना है उन विद्वानों के प्रति प्रेम एवं कृतज्ञता प्रकट करना तो है ही साथ ही पशुओं का जीवन सक्षम और बेहतर हो सके। विश्व पशु दिवस का मुख्य उद्देश्य पशुओं के प्रति लोगों के व्यवहार और उनके जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन का उद्देश्य पशुओं के लिए बेहतर जीवन परिस्थितियों को सुनिश्चित करना है, जिसमें उनके लिए बचाव आश्रय प्रदान करना, धन जुटाना और पशु कल्याण कार्यक्रम शुरू करना शामिल है। इस दिन के माध्यम से पशुओं के प्रति क्रूरता के बारे में भी जागरूकता फैलाई जाती है, जैसे कि उन्हें मारना-पीटना, पत्थर मारना, और गलत कामों के लिए उनका इस्तेमाल करना। इसका उद्देश्य पशुओं के जीवन को बेहतर बनाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। हालांकि अभी भी पशुओं के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है l
अभी दुनिया भर में जानवरों के प्रति क्रूरता के विडिओ आते रहते हैं, हम अपने आसपास भी लोगों को देखते रहते हैं l तब सवाल उठते हैं कि दुनिया पढ़ लिखकर आगे बढ़ रही है या क्रूर हो रही है l ईश्वर ने इंसान को जुबां, के साथ सोचने, समझने, कमाने की समझ दी है, वहीँ जानवरों को सोचने समझने की क्षमता नहीं दी यही कारण है कि इंसान की जिम्मेदारी पशुओं की रक्षा के प्रति ज़्यादा बढ़ जाती है l
अगर हम पशुओं के प्रति क्रूर हो जाएंगे तो प्रकृति इंसान के साथ क्रूर हो जाएगी चूंकि प्रकृति को असंतुलन स्वीकार नहीं है यही कारण है कि प्रकृति ने इंसान को समृद्ध करके भेजा है l बेजुबान जानवरों के प्रति हम सब की नैतिक जिम्मेदारी बनती है, हम सभी को सुनिश्चित करना होगा, जिससे हम अपनी शिक्षा एवं अपने मानवीयता का पालन करते हुए पशुओं की रक्षा करें l, गुरु नानक देव जी, महात्मा गांधी, आचार्य विनोबा भावे, जैसे महापुरुषों ने किसी भी जीव के प्रति हम सभी के नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी है l
दिलीप कुमार पाठक
लेखक पत्रकार हैं
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