इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर वैश्विक समर्थन: फिलिस्तीन के साथ

इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर वैश्विक समर्थन: फिलिस्तीन के साथ

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फिलिस्तीन समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान का समर्थन करने वाले न्यूयॉर्क घोषणापत्र को मंजूरी दे दी, जिसका भारत सहित 142 अन्य देशों ने भी समर्थन किया। फ्रांस और सऊदी अरब के प्रोत्साहन से, इस पहल का उद्देश्य मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक मार्ग प्रशस्त करना है। संयुक्त राष्ट्र की स्क्रीन पर प्रदर्शित मतदान परिणामों के अनुसार, इस प्रस्ताव का 142 देशों ने समर्थन किया, 10 ने इसका विरोध किया और 12 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। इस मामले में भारत का रुख एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना का समर्थन करना है, जो मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक सुरक्षित इजराइल राज्य के साथ शांतिपूर्वक रह सके। इस प्रस्ताव में अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले की निंदा की गई, जिसमें 1200 लोगों की मौत हुई थी और 250 से अधिक लोग बंधक बनाए गए थे l इसके साथ-साथ प्रस्ताव में गाजा में इजरायल की जवाबी कार्रवाई की भी आलोचना की, जिसमें नागरिक बर्बादी, इंफ्रास्ट्रक्चर की तबाही, नाकेबंदी और भुखमरी की वजह से पैदा हुए मानवीय संकट का भी जिक्र किया गया l, प्रस्ताव में इजरायल से यह भी आग्रह किया गया कि वह दो-राज्य समाधान (टू-स्टेट सॉल्यूशन ) के लिए स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त करे l साथ ही सभी हिंसक कदमों पर तुरंत ब्रेक लगाए l कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में नई बस्तियों और जमीन पर कब्जा न करने का वादा करे l पूर्वी येरूशलम समेत किसी भी भाग को जोड़ने या विस्तार करने की नीति से सार्वजनिक रूप से इनकार करे l इजरायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि एक बार फिर यह साबित हो गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा वास्तविकता से कितनी दूर एक राजनीतिक सर्कस है l इस प्रस्ताव में एक बार भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि हमास एक आतंकवादी संगठन है. वहीं, अमेरिकी डिप्लोमैट मॉर्गन ऑरटागस ने इसे हमास को सहयोग देने वाला राजनीतिक दिखावा बताया l परिणाम पर विचार करते हुए, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक्स पर एक पोस्ट में करते हुए लिखा 'आज, फ्रांस और सऊदी अरब के प्रोत्साहन से, 142 देशों ने द्वि-राज्य समाधान के कार्यान्वयन पर न्यूयॉर्क घोषणापत्र को अपनाया है। हम सब मिलकर मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक अपरिवर्तनीय मार्ग तैयार कर रहे हैं।' उन्होंने आगे कहा कि फ्रांस, सऊदी अरब और उनके सहयोगी न्यूयॉर्क में होने वाले द्वि-राष्ट्र समाधान सम्मेलन में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। मैक्रों ने कहा कि फ्रांस, सऊदी अरब और उनके सभी सहयोगी द्वि-राष्ट्र समाधान सम्मेलन में इस शांति योजना को मूर्त रूप देने के लिए न्यूयॉर्क में मौजूद रहेंगे। स्थायी शांति के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए, मैक्रों ने आगे कहा कि एक और भविष्य संभव है। इसके अलावा मैक्रों ने अमेरिका से फिलिस्तीनी अधिकारियों को वीजा देने से इनकार करने के अपने फैसले को वापस लेने का आह्वान किया और इस कदम को अस्वीकार्य बताया। साथ ही, उन्होंने मेजबान देश समझौते के अनुसार सम्मेलन में फिलिस्तीनी प्रतिनिधित्व के महत्व पर जोर दिया। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने अभी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से बात की है।

अमेरिका पूरी दुनिया में अशांति फैलाकर राजनीतिक अस्थिरता को बनाए रखने के लिए तमाम तरह के प्रयास करता रहता है, जहां इज़रायल के खिलाफ़ पूरी दुनिया ने वोट किया वहीँ उसके हमलों के लिए उसकी निंदा की, परंतु अमेरिका अपनी अलग ही हनक पाले हुए हैं l एक न एक दिन अमेरिका अपनी दोगली नीतियों के कारण अकेले रह
जाएगा l भारत हमेशा ही शांति एवं किसी भी देश की संप्रभुता का हिमायती रहा है, भारत ने कभी भी अमेरिका, रूस, चाईना से प्रभावित होकर गलत का साथ नहीं दिया l भारत हमेशा से ही गुटनिरपेक्ष नीति का समर्थक रहा है l एक बार फिर से सिद्ध हो गया है कि इजरायल अमेरिका के पिट्ठुओं में शुमार है जो अमेरिका की गलत नीतियों का झंडाबरदार बनने की ओर अग्रसर है l अमेरिका ने यूक्रेन को नष्ट होने की कगार पर छोड़ रखा है, आज यूक्रेन रूस की मार झेल रहा है, यूक्रेन को समझना चाहिए था कि अमेरिका खुलकर कभी भी किसी का साथ नहीं देगा l वहीँ अब इजरायल को भी उसी मुहाने पर लेकर जाने के लालायित है l इजरायल अगर अमेरिका की नीतियों को ढोता रहा तो एक न एक दिन यूक्रेन जैसी हालत हो जाएगी l वहीँ अमेरिका के सनकी राष्ट्रपति ट्रंप को कड़ा संदेश मिल गया होगा कि उनकी गलत नीतियों के पीछे भारत नहीं भागेगा, भारत हमेशा शांति, संप्रभुता के साथ खड़ा रहेगा l 
साथ ही हमारे देश के कुछ कट्टर लोगों को अपनी सोच पर काबू करना चाहिए जो हमेशा इजरायल के झंडे उठाए घूमते रहते हैं, उन्हें बाज आना चाहिए l एक बार देश में सरकार को अपना पक्ष रखना चाहिए कि हमारी इजरायल से मित्रता का मतलब फिलिस्तीन में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन का साथ देना न कभी था, और न होगा l इजरायल -फिलिस्तीन  के मुद्दे पर हमेशा भारत फिलस्तीन के साथ रहा है, चूंकि अब तक फिलस्तीन के साथ जो हुआ है वो दुःखद है, अब इज़रायल को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि पुरी दुनिया ने उसे आईना दिखाया है l 


दिलीप कुमार पाठक 
लेखक पत्रकार हैं 

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