जब बने डॉन मिलेनियम स्टार

 जब बने डॉन बने मिलेनियम स्टार
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डॉन का इंतज़ार तो ग्यारह मुल्क की पुलिस कर रही है एक बात समझ लो सोनिया डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुकिन है' ये अमर डायलॉग आजतक कोई भी सिने प्रेमी भूला नहीं है.  1978 में रिलीज हुई फिल्म 'डॉन' के इस डायलॉग ने अमिताभ बच्चन की सिनेमैटिक शख्सियत में चार चांद लगा दिए थे. इस फिल्म का प्रभाव आज भी खूब देखा जा सकता है. इसी फ़िल्म की लोकप्रियता को भुनाने के लिए कई भाषाओ में रीमेक किए गए तमाम फ़िल्में हिट रहीं लेकिन अमिताभ बच्चन की अभिनय क्षमता तक पहुंच पाना किसी दूसरे अदाकार के लिए मुश्क़िल ही नहीं नामुमकिन है. फरहान अख्तर ने जब शाहरुख खान को लेकर डॉन बनाई थी तब एक वर्ग खासा नाराज था चूंकि डॉन के किरदार में तो सिर्फ अमिताभ बच्चन ही जेहन में आते हैं. फ़िर भी शाहरुख ने फ़िल्म के साथ काफी न्याय किया. अगर तुलनात्मक देखा जाए तो अमिताभ बच्चन बेहतर रहे हैं. जब फरहान अख्तर ने डॉन सीरीज के तीसरे भाग में रणवीर सिंह को लेकर एनाउंसमेंट किया तब उस क्लिप को लाइक से ज़्यादा डिस लाइक मिले. शाहरुख को तो फ़िर भी दर्शकों ने स्वीकार कर लिया लेकिन रणवीर सिंह को डॉन जैसे किरदार में देखना हास्यापद है. 'डॉन' हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फिल्मों में से एक है, जिसको शुरुआत में तो दर्शकों को पसन्द नहीं आई लेकिन जब चली तो ऐसी चली की छप्पर फाड़ कमाई के साथ-साथ कई रिकॉर्ड्स तोड़ दिए. हालाँकि अब के मल्टीप्लेक्स के दौर में डॉन होती तो दम तोड़ देती, लेकिन तब फ़िल्मों के लिए दीवानगी अलग ही लेवल पर होती थी. सलीम - जावेद की डॉन वाली कहानी कई फ़िल्मकारों के द्वारा नकारी हुई कहानी थी, जिसने इतिहास बना दिया, वहीँ 'खईके पान बनारस वाला' सुपरहिट गीत जो आज भी शादी - पार्टियों की जान होता है, यह गीत देवानंद साहब ने अपनी फिल्म बनारसी बाबू से रद्दी कहकर बाहर कर दिया था बाद में इसी गीत ने किशोर कुमार को बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड दिला दिया.
ये फ़िल्म अपनी पहली फिल्म के फ्लॉप होने के बाद 12 लाख के कर्ज में डूबे प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी को अमिताभ बच्चन, जीनत अमान और चंद्रा बारोट ने एक और फिल्म बनाने की सलाह दी. नरीमन उस फिल्म के छायाकार थे और चंद्रा बारोट डायरेक्ट मनोज कुमार के असिस्टेंट थे. ये वो दौर था, जब अमिताभ बच्चन फिल्म 'जंजीर' के बाद सुपरस्टार बनकर उभरे थे. अमिताभ सहित सभी ने उन्हें भरोसा दिया कि हम सभी फिल्म के लिए कोई पैसा नहीं लेंगे. अगर फिल्म हिट हुई तो अपनी फीस लेंगे वरना नहीं लेंगे. अपने दोस्तों की सलाह पर नरीमन फिल्म बनाने के लिए तैयार हुए.  फिल्म में मुख्य किरदार के लिए अमिताभ बच्चन, जीनत अमान ने हां कर दिया, लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल फिल्म की कहानी को लेकर थी. अमिताभ बच्चन ने प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी को सलाह दिया कि फिल्म की कहानी के लिए सलीम जावेद के पास जाइए. सलीम जावेद ने उन्हें बहुत महंगी कहानियां सुनाई. फिर वहीदा रहमान की सिफारिश पर सलीम-जावेद की जोड़ी ने उनसे कहा कि हमारे पास एक ऐसी कहानी है, जिसे कोई खरीदने को तैयार नहीं है. देव साहब, जितेंद्र, धरम जी, और प्रकाश मेहरा जैसे बड़े नाम इस कहानी को नकार चुके हैं. तुम यह कहानी ले लो अगर फिल्म हिट रही तो पैसे दे देना और फिल्म फ्लॉप हुई तो पैसे मत देना. यह कहानी कोई और नहीं बल्कि फिल्म 'डॉन' की कहानी थी. सलीम-जावेद इस कहानी को 'डॉन' वाली कहानी कहा करते थे. चंद्रा बारोट को भी ये नाम पसंद आ रहा था. ये देखकर नरीमन ईरानी ने इस फिल्म को 'डॉन' नाम से रजिस्टर करा दिया. फिल्म की मूल कहानी में नरीमन ईरानी में खुद भी थोड़े बदलाव किए थे. पहले प्राण साहब का रोल लँगड़ा नहीं था लेकिन प्राण साहब के पैर में चोट थी तब ईरानी ने उनके रोल को लँगड़ा बनाकर और भी दिलचस्प बना दिया था. फ़िल्म के प्रमुख ऐक्टर प्राण साहब को सबसे ज्यादा फीस दी गई थी, चूंकि वे तब अमिताभ बच्चन से भी बड़े स्टार थे, जिस फ़िल्म में होते थे फ़िल्म में प्राण डाल देते थे. फिल्म की कहानी जब चंद्रा बारोट ने अपने गुरु मनोज कुमार को सुनाई तो उन्होंने चंद्रा को सलाह दी- "डॉन एक्शन फिल्म है तो इसके सेकंड हाफ में कोई हल्का-फुल्का गाना होना ही चाहिए, ताकि दर्शक हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी लुत्फ उठा सकें. तब कल्याणजी-आनंदजी ने  फिल्म मेकर्स की बातों को सुनकर उन्होंने वह गीत दिया जिसे  6 साल पहले देवानंद की फिल्म बनारसी बाबू के लिए तैयार किया था. ये गाना था 'खईके पान बनारस वाला' जिसे देव साहब ने रद्दी कहकर खारिज कर दिया था. जिसे आज भी लोग बड़े शौक से सुनते हैं. फिल्म की शूटिंग शुरू हुई, लेकिन बदकिस्मती देखिए, जिस प्रोड्यूसर की मदद के लिए ये फिल्म बनाई जा रही थी. वह फिल्म के पूरे होने से पहले ही दुनिया से चल बसे. दरअसल, एक दूसरे फिल्म की शूटिंग के चलते नरीमन ईरानी राजकमल स्टूडियो में थे, जहां एक हादसे को दौरान उनकी मौत हो गई. लेकिन तंगी की हालत में भी चंद्रा बारोट ने फिल्म को नहीं रोका और साढ़े तीन साल के बाद फिल्म को पूरा कर बिना प्रचार के रिलीज किया.

पहले हफ्ते फिल्म को अच्छा रिस्पॉस नहीं मिला, लेकिन दूसरे हफ्ते से इस फिल्म को दर्शक मिलने शुरू हो गए और यह फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आने लगी. ये उस साल की तीसरी सबसे बड़ी हिट फिल्म बन गई और तब फिल्म ने कुल मिलाकर 7 करोड़ 20 लाख की कमाई की थी. फिल्म के 5 के 5 गाने सुपरहिट रहे. इस फिल्म को 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले थे. किशोर कुमार को बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर, आशा भोंसले को बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर और अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया गया था. अमिताभ को जब अवार्ड दिया जा रहा था तो उन्होंने फिल्म के प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी की विधवा सलमा को स्टेज पर बुलाया और ये सम्मान दोस्त नरीमन और सलमा को समर्पित कर दिया था. फ़िल्म की कहानी उसके एक - एक ऐक्टर ने फ़िल्म में जान डाल दी थी, कहने को तो कई फ़िल्म समीक्षक कहते हैं डॉन को वो ख्याति नहीं मिली जो शोले को मिली है, ध्यान रखना चाहिए हर फिल्म की कहानी एवं प्रभाव अलग होता है. डॉन की सबसे बड़ी सफ़लता का श्रेय अगर किसी को मिला तो सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को मिला सचमुच मिलेनियम स्टार जब डॉन बनकर आए थे तब उनकी एंग्री यंग मैन वाली सिनेमैटिक शख्सियत में चार चांद लग गए थे. 

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