'द' ग्रेट ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया : राहुल द्रविड़
क्रिकेट के सच्चे जेंटलमैन के बारे में जितना भी कहा जाए कम है। उनकी मेहनत समर्पण और खेल भावना ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक आला मुकाम दिलाया है l सोशल मीडिया एवं मीडिया में चर्चित नहीं रहते और न ही उन्हें चर्चा में आने का कोई शौक है l ये कोई और नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट में एक भरोसे का दूसरा नाम रहे जिन्हें 'द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' के खिताब से नवाजा गया l क्रिकेट के विद्वान कहते हैं - "मिस्टर डिपेंडेबल को सचिन तेंदुलकर के दौर में वह मुकाम नहीं मिला जिसके वे हकदार थे l लेकिन यही बात कोई मुझसे पूछे तो मैं कहूँगा द्रविड़ केवल एक क्रिकेटर नहीं बल्कि हम जैसे क्रिकेट प्रेमियों के दिल में बसते हैं। वे एक पीढ़ी के लिए विश्वास थे कि जब तक राहुल द्रविड़ हैं तब तक भारतीय टीम सुरक्षित है l ऑस्ट्रेलिया के महान क्रिकेटर स्टीव वॉ ने एक बार कहा था- "अगर आप राहुल द्रविड़ को 15 मिनट तक आउट नहीं कर सकते तो आप उन्हें आउट करने की कोशिश करना बंद कर दें और दूसरे खिलाड़ियों पर ध्यान दें।" यह बयान राहुल द्रविड़ की महानता और उनकी खेल क्षमता को दर्शाता है। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर कहते हैं - "राहुल द्रविड़ युवाओं के लिए हमेशा रोल मॉडल के रूप में रहेंगे हम उनके साथ खेलते हुए भी उनकी तरह बनने की कोशिश करते रहे हैं l वे एक परफैक्ट प्लेयर रहे हैं" l
2007 में चक दे इंडिया नामक फिल्म रिलीज होती है जिसमें एक ऐसे कोच की कहानी है जिसने भारतीय महिला हॉकी टीम को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया l यह वही कोच हैं जिनको 1982 एशियन गेम्स में टीम के हर का जिम्मेदार बनाया गया था l द्रविड़ ने बतौर खिलाड़ी कभी भी विश्व कप नहीं जीता लेकिन 2024 में T20 वर्ल्ड कप बारबाडोस के मैदान में राहुल ने बतौर कोच वेस्टइंडीज में भारतीय टीम को विश्व विजई बनवा दिया l यह वही राहुल द्रविड़ थे जिनकी कप्तानी में भारतीय टीम 2007 के वर्ल्ड कप में लीग मैच से बाहर हो गई थी तब उन्हें तरह-तरह के क्रिटिसिज्म का सामना करना पड़ा था l यही कारण था कि T20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद राहुल द्रविड़ का जो अग्रेशन उनके सेलिब्रेशन का एक अंदाज बिल्कुल अनोखा था जो उनकी शैली से उलट था l इस सेलिब्रेशन के पीछे उनकी वर्षों की मेहनत और इंतजार था जो वेस्टइंडीज में पूरा हुआ l बतौर कोच राहुल द्रविड़ ने गेंदबाजी और बल्लेबाजी के अलावा फील्डिंग पर खूब जोर दिया नो बाल, वाइड बॉल पर भी नजर रखी l भारत को विश्वकप जिताने वाले कोच के रूप में उनका कद बड़ा तो है ही वहीँ बतौर क्रिकेटर उनका कद उन्हें बहुत महान क्रिकेटर बनाता है l एक क्रिकेटर के रूप में राहुल द्रविड़ ने वनडे और टेस्ट क्रिकेट में 10000+ रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे हैं, जिनका टेस्ट में 52 से भी ज्यादा का एवरेज रहा है, जिन्होंने 48 शतक 146 अर्धशतक लगाए इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल द्रविड़ ने कितना लंबा क्रिकेट खेला है l एक दौर में उन्हें टेस्ट बल्लेबाज कहा जाता था चूंकि वे बहुत धीमी पारी खेलते थे l द्रविड़ ने वनडे क्रिकेट में भी 10000 से ज्यादा रन का अंबार लगाकर बता दिया कि वे दुनिया के महानतम बल्लेबाज है जो टेस्ट के साथ वनडे में भी खेल सकते हैं l केवल बल्ले से ही नहीं राहुल स्लिप के बहुत शानदार फील्डर रहे हैं, जहां उन्होंने 210 कैचेज पकड़ने का विश्व रिकॉर्ड बनाया l इंदौर में जन्मे राहुल द्रविड़ ने बेंगलुरु से क्रिकेट खेलना शुरू किया l अंडर 13, 15 खेलने के बाद उन्हें कर्नाटक टीम ने बुला लिया l 1990-91 में सिर्फ 17 साल की उम्र में राहुल द्रविड़ ने रणजी में डेब्यू मैच में 85 रन बनाए और दूसरे मैच में शतक जड़ दिया l क्वार्टर फाइनल में बंगाल के खिलाफ 134 रन बना दिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद 1996 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे में उन्हें चुन लिया गया l इसी साल इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें रिजर्व कीपर के तौर पर चुन लिया गया l सीरीज के दूसरे मैच में उन्होंने डेब्यू किया और 95 रन बनाए l लगातार अपनी मेहनत से द्रविड़ सफ़लता के मुकाम चढ़ते गए और बन गए टीम इंडिया के मिस्टर डिपेंडेबल...तूफानी बल्लेबाज़ क्रिस गेल कहते हैं -"राहुल द्रविड़ मेरी तरह अटैकिंग क्रिकेट खेल सकते हैं, लेकिन मैं उनकी तरह धैर्य के साथ नहीं खेल सकता" l
राहुल द्रविड़ टेस्ट क्रिकेट के इतने महान बल्लेबाज रहे हैं इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है l कि उन्होंने सबसे ज़्यादा 30 हज़ार से अधिक गेंदों का सामना किया है l एक दौर में ऑस्ट्रेलिया के सामने खेलना भी बहुत बड़ी चुनौती थी जीत तो फिर भी बहुत बड़ी बात थी l 2004 में बेंगलुरु में जीत से शुरुआत करने वाली ऑस्ट्रेलिया बहुत खतरनाक थी तब जैसे - तैसे करके भारत ने चेन्नई टेस्ट ड्रॉ कर लिया l अब बारी थी तीसरे टेस्ट की जो खेला गया था नागपुर के मैदान में जहां ग्रीन पिच मतलब ऑस्ट्रेलिया और भी ख़तरनाक होने वाली थी l ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 398 रन बनाए l पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने जल्दी ही 4 विकेट गँवा दिए राहुल द्रविड़ और मोहम्मद कैफ...अब पिच पर थे l पहले स्पैल करने आए दुनिया के महानतम बोलर ग्लेन मैक्ग्राथ जिनकी गेंद आग उगल रही थी, वहीं द्रविड़ और कैफ की जिम्मेदारी थी टीम को बचाना l द्रविड़ ने कैफ से कहा - "ग्लेन मैक्ग्राथ बहुत ही शानदार गेंदबाजी कर रहा है लेकिन अगर हमने यह स्पेल खेल लिया तो हम टीम को बचा सकते हैं और अगर हम यह स्पेल नहीं खेल पाए तो समझो सब कुछ खत्म l राहुल द्रविड़ ने एक खास प्लान बनाया l प्लान यह था कि ग्लेन मैक्ग्राथ को मैं फेस करूंगा और शेन वार्न को तुम फेस करना l कप्तान द्रविड़ को मोहम्मद कैफ की प्रतिभा पर संदेह नहीं था लेकिन यह उनकी एक स्ट्रेटेजी थी l राहुल द्रविड़ ने कहा हम सिंगल नहीं लेंगे स्कोर बोर्ड को भूल जाओ अगले 18 ओवर तक ग्लेन मैक्ग्राथ और द्रविड़ के बीच में गेंद और बल्ले की एक अद्भुत जंग देखने को मिली l मैक्ग्राथ ने अपनी गेंदबाजी में सब कुछ झोंक दिया मगर स्टंप के सामने भारत की दीवार थे 'राहुल द्रविड़' जिन्हें हिला पाना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा था l द्रविड़ ने इस पारी में हमेशा की तरह अपने संयम और धैर्य का अद्भुत परिचय दिया उन्होंने कैफ से कहा - "अब मैं थकने लगा हूं, दो ओवर और फ़िर टीम सुरक्षित हो जाएगी l कैफ ने शेन वार्न का एक और मेडन ओवर खेल अब अगला ओवर लेकर आए मैक्ग्राथ जिनकी 5 गेंद राहुल ने आसानी से खेल लीं, लेकिन आख़िरी बॉल पर राहुल आउट हो गए l अपनी जुझारू पारी में 140 गेंद खेलकर राहुल ने सिर्फ़ 21 रन बनाए l ये सिर्फ़ एक पारी नहीं थी बल्कि क्रिकेट का अध्याय थी, जिसमें सर्वोत्तम क्रिकेट के साथ ही धैर्य, संयम, दृढ़संकल्प, लीडरशिप जैसे कई चैप्टर रहे l जिससे आने वाले क्रिकेटर सीख सकते हैं कि सर्वोत्तम क्रिकेट कैसे खेला जाता
है l शायद यही कारण रहा कि मोहम्मद कैफ ने कहा - "यह कारनामा राहुल द्रविड़ के अलावा दूसरा कोई नहीं कर सकता, बल्कि इसे नॉन स्ट्राइक से खड़े होकर सिर्फ़ देखा जा सकता हैl महान बोलर ग्लेन मैक्ग्राथ ने कहा -" एक क्रिकेटर के रूप में द्रविड़ कम्प्लीट क्रिकेटर रहे हैं, जिनमे कोई तकनीकी खामी नहीं थी, द्रविड़ इकलौते ऐसे भारतीय खिलाड़ी रहे हैं जिन्हें 90 के दशक में सीधे ऑस्ट्रेलिया टीम में जगह मिल जाती l राहुल द्रविड़ की बल्लेबाजी स्किल के लिए शोएब अख्तर कहते हैं - "मैं किसी को भी ऑउट कर सकता हूं लेकिन राहुल द्रविड़ को आउट करना आसान नहीं था l वे किसी भी बोलर के लिए बेहद कठिन प्रतिद्वन्द्वी थे मेरे जैसा बोलर 150km /घण्टे की रफ्तार से लगातार गेंद करता था लेकिन राहुल अपने बल्ले से अपने पैरों के पास ही गेंद प्लेस कर लेते थे l बोलर को गेंद लेने भी आना पड़ता था, ये बोलर को थकाने का उनका अनोखा अंदाज़ था l
ऐसे ही द्रविड़ के पास उपलब्धियां भरी पड़ी हैं लेकिन एक ख़ास उपलब्धि उनके पास है जिसे कोलकाता का चमत्कार कहा जाता है l 2001 की BGT में वीसीएस लक्ष्मण एवं द्रविड़ ने ऐसी एतिहासिक साझेदारी करके ऑस्ट्रेलियाई ग़ुरूर को मिट्टी में मिला दिया था l इसी मैच के बाद लक्ष्मण को वेरी - वेरी स्पेशल एवं द्रविड़ को भारत की दीवार का ख़िताब मिला l फॉलोऑन खेलने उतरी भारतीय टीम के लिए द्रविड़ ने 180 एवं लक्ष्मण ने 281 रन की मैराथन परियां खेलीं जिन्हें टेस्ट क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ पारियों के रूप में एतिहासिक मुकाम हासिल है l इस एतिहासिक मैच के दो साल बाद राहुल ने
न्यूजीलैंड के विरुद्ध ऐसा कारनामा कर दिखाया जो उनके स्वभाव से बिल्कुल विपरीत था l मैच में सचिन - सहवाग दोनों ने शानदार शतक लगाया लेकिन अभी तूफ़ान बांकी था राहुल द्रविड़ ने 22 गेंदों में तूफानी 50 रन जड़ दिए, जिसमें 5 चौके तीन छ्क्के शामिल थे l द्रविड़ की इस पारी से विश्व क्रिकेट हैरान हो गया था l राहुल द्रविड़ ने बतौर बल्लेबाज़ कई कीर्तिमान अपने नाम के किए और लगातार रन बनाते रहे, हालांकि 2008 में उन्होंने वनडे क्रिकेट में अपनी जगह खो दिया l द्रविड़ ने पूरी दुनिया में किसी भी टीम, बोलर के विरुद्ध किसी भी मैदान में खूब रन बनाए l लेकिन अब वनडे में उन्हें उम्मीद नहीं थी कि खेलने का मौका मिलेगा, लेकिन 2011 के इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें टीम में शामिल कर लिया गया जहां राहुल ने अपनी आख़िरी पारी में शानदार 69 रन बना कर वनडे क्रिकेट को अलविदा कह दिया l इसी दौरे पर द्रविड़ ने अपने कॅरियर का एकमात्र टी 20 भी खेला जिसमें उन्होंने 31 रनों का योगदान दिया l
रिटायर्मेंट के बाद उनकी पत्नी ने राहुल के बारे में कुछ दिलचस्प पहलू बताए - "राहुल ने पिछले 20 सालों से एक ही क्रीम का इस्तेमाल किया है l घड़ी, जूते, चश्मे के ब्रांड के बारे में द्रविड़ को ज़्यादा जानकारी नहीं है, या कहें ज़्यादा रुचि नहीं हैl हालांकि उनके बल्ले में एक ग्राम वजन कम हो जाए तो वे फौरन भांप लेते हैं l उन्हें कभी भी जल्दबाज़ी पसंद नहीं रही l वे जो भी करते हैं हमेशा धैर्य के साथ करते हैं l राहुल द्रविड़ भले ही बहुत महान क्रिकेटर एक प्रसिद्ध हस्ती हैं लेकिन वे अपना जीवन बेहद साधारण तरीके से जीते हैं l भारत के पूर्व कोच और ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ग्रैग चैपल ने राहुल के लिए कहा - "राहुल से मैंने सीखा है कि मानसिक संपन्नता, विनम्रता, शालीनता का क्या महत्व है मैंने राहुल द्रविड़ से सहज होना सीखा है l
बेहद सादगी से ज़िन्दगी जीने वाले राहुल अपने आचरण से कई बार सिद्ध कर चुके हैं कि वे एक नायाब इंसान हैं l एक बार एक यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित करने का एलान किया लेकिन राहुल द्रविड़ ने सम्मान सहित डिग्री लेने से मना कर दिया, और कहा - "कोई भी डिग्री करने के लिए अटूट मेहनत करनी पड़ती है तब कहीं कोई डिग्री मिलती है l जाहिर है मैंने ये डिग्री लेने के लिए कोई मेहनत नहीं की इसलिए मैं खुद को इसका हकदार नहीं मानता l कहने के लिए ये एक साधारण बात हो सकती है लेकिन अवॉर्ड के लिए ईमान बेचने वाले दौर में राहुल द्रविड़ जैसे सच्चे जेन्टलमैन उँगलियों में गिने जा सकते हैं l राहुल भले ही सादगी के साथ जीवन जीते हैं फिर भी अपने लुक, अपनी गम्भीरता, विनम्रता, शालीनता से किसी को भी अपना दीवाना बना लेते हैं l राहुल द्रविड़ हम जैसों के लिए एक हीरो हैं l भारत में 1996 के बाद अगर सर्वे कराया जाए तो हम जैसे करोड़ों क्रिकेट प्रेमी निकल कर बाहर आएंगे जिन्होंने राहुल द्रविड़ को अपने ख्वाबगाह में सजा रखा है l अभी हाल ही में अभिनेत्री रिचा चड्डा ने अपने बचपन के कमरे की तस्वीर शेयर किया जहां राहुल द्रविड़ की तस्वीरें भरी पड़ी थी l उन्होंने राहुल को अपना पहला कृश बताया है l ग्रेट सर विविन रिचर्ड कहते हैं - "बात जब स्टाइल की आती है तो मुझे सबसे ज़्यादा स्टाइलिश द्रविड़ लगते हैं, बॉक्सिंग की भाषा में कहें तो बिना किसी के नोटिस किए हुए अपने मुक्के मारते हैं, और अंत में विरोधी परास्त हो जाते हैं l एक दौर में हम आने वाली पीढ़ी को बताएंगे कि हमने भारत की दीवार राहुल द्रविड़ को खेलते देखा है l राहुल द्रविड़ ने हमेशा अपने आचरण से हम सभी को कुछ न कुछ सिखाया हैl राहुल द्रविड़ हमेशा एक आदर्श इंसान को रूप में हम सभी को प्रेरित करते रहेंगे l
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