धड़ीचा की आड़ में एमपी के शिवपुरी को बदनाम करने का कुचक्र

धड़ीचा की आड़ में एमपी के शिवपुरी को बदनाम करने का कुचक्र
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महिलाओं के प्रति हमारा समाज़ कितना क्रूर रहा है. इतिहास में महिलाओं पर ज़ुल्म की कहानियां भरी पड़ी हैं. सच ये भी है कि हम हमेशा अपने अतीत को कुरेदने लगते हैं, अतीत रहने के लिए नहीं होता उससे सिर्फ़ सबक लिया जा सकता है, अन्यथा अतीत कुरेदने का कोई अर्थ नहीं रह जाता. जो अतीत कुरेदते रहते हैं कभी भी भविष्य का सृजन नहीं कर सकता. 
ऐसे ही आजकल अतीत कुरेदने पर कुछ तथाकथित पत्रकारों को मध्यप्रदेश के शिवपुरी की एक कुप्रथा 'धड़ीचा' नाम मिल गया है. कहा जाता है कि इस कुप्रथा में गरीब तबके के लोगों की एक परंपरा थी कि वे अपनी बच्चियों की शादियाँ पैसे लेकर करा देते थे, जो पहले खुलकर होता था. धीरे-धीरे जैसे ही सभ्यता का विकास हुआ कानूनन इस परंपरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया... हालाँकि अब कुछ अतीत से धड़ीचा खोदकर लाए हैं, कुछ तथाकथित पत्रकारों का कहना है कि आज भी शिवपुरी में बेटियों की बोली लगाई जाती है. ये हरकत निकृष्टतम है. ग़र किसी ने अपवाद स्वरुप ऐसा किया भी होगा तो ऐसा नहीं है कि उसे सीधे एक जिले के साथ जोड़ दिया जाए. अपराध होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी समाज या समुदाय के साथ जोड़ दिया जाए. आजकल ये मुद्दा सोशल मीडिया पर ट्रेंड पर रहता है, जहां पर असंतुष्ट बेरोज़गार या कुँवारे लोग भ्रमित होकर संभावनाएं तलाशने शिवपुरी आते रहते हैं, संचार क्रांति के दौर में भी ये होना निंदनीय है. 

मध्यप्रदेश के शिवपुरी में महिलाओं की मंडी सजती है, बहू - बेटियाँ कॉन्ट्रेक्ट पर बेची जाती हैं, सब्ज़ी की तरह लड़कियों की मंडी सजाई जाती है. 10 -100 रुपए के स्टाम्प में राजीनामा होता है, कुछ पैसे के लिए पिता अपनी बेटियां, भाई अपनी बहन, आदमी अपनी पत्नी तक को बेच देते हैं... एमपी का शिवपुरी अपनी इस धड़ीचा परंपरा के कारण विख्यात है, तरह - तरह की ख़बरें डालकर कुछ न्यूज पोर्टल एवं कुछ यूट्यूब वाले कुछ व्यूज़ बटोरने के लिए ऐसे भ्रामक विडिओ बनाकर पूरे शिवपुरी जिले को बदनाम करने का कुचक्र रचे हुए हैं, कुछ लोग बिना जानकारी ही विडिओ बना देते हैं, 
जो बेहद, घृणित है. इससे आप कुछ व्यूज़ बटोरकर पैसे कमा रहे हैं, लेकिन ये पूरे के पूरे जिले को बदनाम करने की एक गंदी मानसिकता ही कही जाएगी. शिवपुरी मध्यप्रदेश का एक जिला है, ग़र शिवपुरी बदनाम होगा तो जाहिर है कि इससे मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं उसकी संस्कृति पर एक कुठाराघात होगा . समाज़ में अपना सकारात्मक योगदान दे किसी भी व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है. शिवपुरी जिले के नाम से ऐसे विडिओ बनाने से देश - दुनिया में जिले की छवि तो ख़राब होती ही है साथ ही शिवपुरी की महिलाओ, बेटियों के लिए एक धारणा बनेगी... सम्भवतः बनी होगी.. उदहारण के लिए शिवपुरी की बेटियां कहीं बाहर कॅरियर बनाने के लिए जाएंगी तो लोग उन्हें उस दृष्टि से देखेंगे क्योंकि कुछ न्यूज पोर्टल, कुछ वेबसाइट्स ये दावा करती हैं कि शिवपुरी में बेटियां बकायदा उनके परिजनों द्वारा बेची जाती हैं... किसी भी समाज की सबसे बड़ी ताकत उसकी संस्कृति होती है, लेकिन जब संस्कृति पर खुद के ही लोग कुठाराघात करें तो संस्कृति का संरक्षण कौन करेगा? बड़ा सवाल यही है. 

दरअसल हमारे मुल्क में पहले तरह - तरह की कुप्रथाओं ने अपने पैर पसारे हुए थे, बदलते हुए दौर के साथ कुप्रथाओं को समाप्त भी किया जा रहा है.. हालाँकि धड़ीचा शिवपुरी जिले में भी हुआ करती थी, जिसे कोई 'दरीचा' कोई 'दड़ीचा' कहता था. इस कुप्रथा का मतलब था कि वर-वधू स्टाम्प पेपर के ज़रिए शादी कर लेते थे. हालाँकि समय के साथ-साथ ये परंपरा बंद हो गई थी, लेकिन कुछ लोग पत्रकारिता के नाम पर अतीत की जड़े खोदकर लाते रहते हैं...जैसे कोई कहे कि फलाने राज्य के फलाने राज्य में विधवा जला दी जाती हैं, जिसे सती प्रथा कहते हैं, कोई इंकार नहीं कर सकता कि यह प्रथा खूब प्रचलित थी, लेकिन अब यह प्रथा बिल्कुल ही समाप्त हो चुकी है. ठीक उसी तरह धड़ीचा भी बंद हो चुकी है, हालांकि एक दौर में गरीबी के कारण यह प्रथा रही भी होगी तो वो अब बिल्कुल भी समाज में नहीं है, जबकि उसके कोई साक्ष्य नहीं है, लेकिन कुछ लोग इसे यूट्यूब पर व्यूज़ पाने के लिए तरोताज़ा रखना चाहते हैं. हालाँकि शिवपुरी अब टूरिज्म स्पॉट के लिए भी जाना जाता है. लेकिन कुछ लोग मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले को बदनाम करने के लिए निकृष्टतम हरकते कर रहे हैं. 

ऐसे विडिओ, न्यूज पढ़कर देखकर देश - दुनिया के लोग शिवपुरी के बारे में धारणाएं बना रहे होंगे कि शिवपुरी में लोग अपनी बहू - बेटियां बेचते हैं जो जरूरतमंद होगा वो खरीद लाएगा. ऐसे ही यूट्यूब पर ऐसी भ्रामक खबरें देखकर मध्यप्रदेश के शिवपुरी उत्तर प्रदेश का एक शख्स शादी करने के लिए पहुँचा और वह लड़कियों का मार्केट खोजने लगा, जहां ल़डकियों की मंडी सजती है, जब उसे वो मंडी नहीं मिली तो उससे स्थानीय लोगों से उस मंडी का पता पूछा और बात की तो बताया कि ऐसा कुछ यहां नहीं होता है. तब वो व्यक्ति शिवपुरी से ठगा सा महसूस करता हुआ चला गया, क्योंकि उसे ख़बर तो यूट्यूब पर मिली थी. शिवपुरी जिले में लड़कियां बिकती हैं, लड़कियों की लगती है मंडी.... इस टाइप के वीडियो यूट्यूब पर काफी अपलोड हैं, इन वीडियो को देखकर दूसरे प्रदेशों के युवक भ्रमित हो जाते हैं. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रहने वाला सोनेलाल मौर्य (35 साल) भी शादी के लिए लड़की की तलाश में शिवपुरी पहुंच गया. 

सोनेलाल मौर्य ने शिवपुरी में धड़ीचा प्रथा के बारे में यूट्यूब पर इस प्रथा को लेकर कुछ वीडियो देखे.. इन वीडियो में बताया गया कि शिवपुरी में लड़कियां मिलती हैं, मंडी लगती हैं. लड़की की तलाश में उक्त युवक शिवपुरी पहुंच गया और यहां पर लोगों से ऐसी मंडी के बारे में पूछता मिला. तभी एक एनजीओ कार्यकर्ता की नजर पड़ी तो इस एनजीओ कार्यकर्ता ने कहा कि इस तरह की कोई मंडी शिवपुरी में नहीं लगती है. युवक बोला, अभी तक मेरी शादी नहीं हुई इसलिए शिवपुरी एक लड़की की तलाश में आया हूं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रहने वाले सोनेलाल मौर्य ने बताया कि वह 35 साल का हो गया है और अभी तक उसकी शादी नहीं हुई है, उसने आईटीआई किया है और टाइपिंग भी आती है. वर्तमान में एक प्राइवेट फर्म से जड़ी बूटी का व्यापार करते हुए अच्छा कमा लेता है , लेकिन शादी नहीं होने का मलाल है. उसने यूट्यूब पर शिवपुरी संबंधी वीडियो देखा और इस वीडियो को देखकर वह शिवपुरी आ गया.. हालाँकि शिवपुरी आकर उसे पता चला कि वो सब भ्रामक खबरें यूट्यूब पर तैर रही हैं. 

*ऐसे वीडियोज से बेवकूफ़ बन रहे लोग*

कुंवारे युवाओं की शादी कराई जाती है, एग्रीमेंट के आधार पर कुंवारे लड़कों की शादी होती है, इस टाइप के वीडियो यूट्यूब पर काफी अपलोड हैं. विभिन्न प्रकार के कई चैनल इस तरह की खबरें मध्यप्रदेश के शिवपुरी की पुरानी एक कुप्रथा धड़ीचा की आड़ लेकर ऐसे विडिओज़ बनाते हैं. जिसके कारण लोग बेवकूफ बन जाते हैं. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश का सोनेलाल भी बेवकूफ बन गया और शिवपुरी आ गया. शिवपुरी में कुछ एनजीओ कार्यकर्ताओं ने बताया कि धड़ीचा प्रथा को लेकर के शिवपुरी के बारे में छवि खराब की जा रही है. शिवपुरी के स्थानीय लोगों का भी यही कहना है कि शिवपुरी को बदनाम किया जा रहा है. अब प्रशासन की नज़र पड़े तो वो लोगों को बताए कि ऐसा कुछ नहीं है.. ये सिर्फ एक भ्रामक कंटेट है जो लोगों को गुमराह कर रहा है.. और ऐसे तत्वो पर कार्यवाई करना चाहिए, जिसे सोनेलाल जैसे युवाओं के दिमाग में लगे भ्रांतियों के मकड़जाले साफ़ हो जाएं.. हमारे समाज में लड़कियों को बेचने इस राज्य से उस राज्य बेचने का चलन खूब रहा है, आज भी कभी - कभी ऐसी खबरें सुनाई देती हैं.. कभी - कभार ओडिशा से लड़कियां लाई जाती हैं, ऐसे ही हमारे देश में कई जगह महिलाओं के विरुद्ध क्रूरता के निशान मिल जाते हैं, जो किसी भी व्यक्ति के लिए एक शर्म का कारण है. हमारे समाज में किसी का शोषण, किसी पर जुल्म समस्त मानवता का हनन है... 

हालाँकि ऐसी निकृष्टतम खबरों के बीच वो खबरें दब जाती हैं, जो लोगों के सामने आनी चाहिए.. शिवपुरी मध्यप्रदेश का अनोखा जिला है. यह जिला टूरिज्म स्पॉट है . यहां माधव राव सिंधिया नेशनल पार्क, सिंधिया की छतरी, अनोखे मंदिर, बहुत कुछ घूमने लायक है, जो स्थानीय पर्यटन के लिए नए आयाम जोड़ सकता है. दरअसल, यह जिला ग्वालियर के सिंधिया राजवंश की राजधानी हुआ करता था. राजाओं ने इसे अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था. वे यहां शिकार किया करते थे. राजवंश की परंपरा खत्म होने के बाद जहां-जहां उनकी निशानियां थीं. वहां-वहां टूरिज्म स्पॉट बना दिए गए. यहां सिरसौद गांव में बिलैया महादेव मंदिर भी है. शिवपुरी ग्वालियर से 119 किमी दूर है.शिवपुरी में सालभर टूरिस्ट आते हैं. ये पर्यटकों से भरा रहता है. बताया जाता है कि सरकार ने यहां टूरिस्ट विलेज की भी स्थापना की है. यह टूरिस्ट विलेज अपने आप में अनोखा है. यहां पर्यटकों को शहरों के शोर से दूर गांव का जीवन जीने को मिलता है. वे गांव की जिंदगी को बेहद नजदीक से देखते हैं. घूमने के हिसाब से यहां श्री मंशापूर्ण हनुमान मंदिर, बलारी माता मंदिर, चिन्ताहरण मंदिर, भदैया कुंड, श्री धाय महादेव मंदिर खोड़, शिव मंदिर सहित जगहें हैं. धड़ीचा जैसी खत्म हो चुकी कुप्रथाओं की बजाय ऐसी खबरें निकल कर आएं तो शिवपुरी जैसे जिले भी मुख्यधारा में आ सकते हैं, लेकिन अतीत खोदने वाले, भूत खोजने वाली पत्रकारिता के युग में जन सरोकार पत्रिकारिता की उम्मीद अपने आप में एक धोखा है.


दिलीप कुमार पाठक

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