"बटेंगे तो कटेंगे" योगी की शीर्ष नेतृत्व को चुनौती'
"बटेंगे तो कटेंगे" योगी की शीर्ष नेतृत्व को चुनौती'
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योगी आदित्यनाथ ने अपने ठेठ अंदाज़ में महाराष्ट्र चुनाव में "बटेंगे तो कटेंगे" नारा दोहराया जबकि यही नारा योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश में हिन्दुओ को मारे जाने के रोष में लगाया था. अब महाराष्ट्र चुनाव में यही नारा लगाते हुए चुनाव में सरगर्मी तेज़ करते हुए हिन्दुओ को एकजुट रहने का आव्हान किया. योगी के नारे को काउंटर करते हुए सारा विपक्ष आड़े हाथों ले रहा है. तो पीएम मोदी ने "एक हैं तो सेफ हैं" का नारा देकर महाराष्ट्र चुनाव को मराठी अस्मिता की पिच से अपनी पिच पर ले आए. दर-असल मोदी एवं भाजपा को हिन्दू - मुस्लिम के मुद्दे पर खासा फ़ायदा होता है.. मोदी को पता है कि 1995 से महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत किसी को नहीं मिलता, महाराष्ट्र में सहयोगी दलों की निर्भरता बहुत मायने रखती है. अतः मोदी महाराष्ट्र में अपनी पार्टी की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं. लेकिन ऐसे कट्टर नारे हिन्दी पट्टी में तो ख़ासे असरकारक हो सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ये नारे इतने प्रभावी नहीं होते. मोदी को पता है कि अजीत पवार ग़र इस नारे से दूरी बनाए हुए हैं लेकिन शिंदे की शिवसेना का भरपूर सर्मथन मिलेगा. वहीँ मोदी योगी से हटकर नारा गढ रहे हैं, जो उनकी अदावत को जाहिर कर रहा है.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बीच डिप्टी सीएम और भाजपा-शिवसेना गठबंधन महायुति में शामिल अजित पवार ने कहा कि, 'बटेंगे तो कटेंगे का नारा उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में चलता होगा, ये महाराष्ट्र में नहीं चलेगा.. मैं इसका समर्थन नहीं करता.. हमारा नारा है- सबका साथ सबका विकास.. हम सबको साथ लेकर चलने वाले हैं. दरअसल अजीत पवार भाजपा के साथ होकर भी अपनी अलग लीक पर चलते हुए राजनीति करना चाहते हैं. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में बाहर के लोग आकर ऐसे विचार बोल जाते हैं, दूसरे राज्यों के बीजेपी सीएम तय करें कि उन्हें क्या बोलना है. अजित पवार ने कहा कि हम महायुति में एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन हमारी पार्टियों की विचारधारा अलग-अलग है. हो सकता है कि दूसरे राज्यों में यह सब चलता हो, लेकिन महाराष्ट्र में ये काम नहीं करता. दूसरे राज्यों के बीजेपी मुख्यमंत्रियों को तय करना चाहिए कि क्या बोलना है. अजित पवार ने भले ही जुलाई 2023 में चाचा शरद पवार से बगावत कर ली, मगर वह जानते हैं कि सीनियर पवार के खिलाफ बोलना पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है. बीजेपी समेत महायुति के किसी नेता का बयान शरद पवार के प्रति सहानुभूति की लहर पैदा कर सकता है. 2019 के चुनाव में शरद पवार ने सतारा की एक सभा में भीगते हुए भाषण दिया, इसके बाद एनसीपी को 54 सीटों पर जीत मिली. बीजेपी के हाथ से बाजी फिसल गई थी. अजित पवार इस घटना को भूले नहीं हैं. बगावत करने वाले 41 विधायक भी शरद पवार का सम्मान करते हैं. राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने भी कहा था - "हम शरद पवार का बहुत सम्मान करते हैं. निजी तौर पर मैं उनके साथ 35 साल से जुड़ा हुआ हूं". अजीत पवार बीजेपी की उग्र हिन्दुत्व की विचारधारा से असहज महसूस कर रहे हैं, चूंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस यानि एनसीपी कभी भी हिन्दुत्व की राजनीति नहीं करती बल्कि उसकी विचारधारा सेकुलर है, लोकसभा चुनाव में अजीत पवार की पार्टी को भाजपा के साथ जाने के बाद खासा नुकसान पहुंचा था, माना जाता है कि एनसीपी के परंपरागत वोटर अजीत पवार की राजनीतिक विचारधारा तज देने से बिल्कुल नाराज चल रहे हैं. थोड़ा बदले हुए अजीत पवार भाजपा के साथ चुनाव लड़ते हुए भी दूरी बरत रहे हैं. यही कारण रहा है कि कांग्रेस छोड़कर आए बाबा सिद्दीकी को सबसे मुफीद अजीत पवार की पार्टी ही लगी थी. भाजपा के तमाम विरोध के बावज़ूद अजीत पवार ने नवाब मलिक को अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि इन्ही नवाब मलिक को भाजपा दाऊद इब्राहिम का एजेंट बता चुकी है. इतना सबकुछ होते हुए भी अजीत पवार दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने अपनी पुरानी सेक्युलर विचारधारा को बचाए रखा है. कारण है कि अजीत पवार अपने परम्परागत मुस्लिम वोटरों को खोना नहीं चाहते.
"बटेंगे तो कटेंगे" एक राजनीतिक नारा है जो भारतीय राजनीति में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने वाला है. योगी आदित्यनाथ ने इस नारे को लगाते हुए सोचा भी नहीं होगा कि वह नारा राजनीति में इतना चर्चित हो जाएगा. या फिर उन्होंने सोच समझकर ये नारा दिया है. योगी जानते हैं कि ये नारा भले ही महाराष्ट्र में भले ही वोट न दिलाए लेकिन यूपी उपचुनाव में उन्हें मददगार साबित हो सकता है. ये नारा राजनीतिक रूप से मोदी की विरासत को चुनौती देने वाला भी सिद्ध होने वाला है. यही कारण है कि पीएम मोदी ने योगी के नारे को नहीं दोहराया बल्कि खुद अपना नारा लेकर आए हैं. पिछले काफी वक़्त से पार्टी में योगी को मोदी की विरासत का उत्तराधिकारी बताए जाने के बाद अमित शाह की योगी से अदावत छिपी हुई नहीं है, यही कारण है कि मोदी ने खुद ही अपना नारा "एक हैं तो सेफ हैं" लॉन्च कर दिया है लेकिन यह नारा योगी के नारे की तुलना में चर्चित नहीं हुआ. ये नारा देश की मेन स्ट्रीम पोलिटिकल विमर्श के केंद्र में होने से योगी का कद बढ़ा है, वहीँ अखिलेश यादव भी इस नारे को काफ़ी सीरियस ले रहे हैं अतः समाजवादी अध्यक्ष इसके जवाब में अपने नारे लेकर आए हैं 'ना बंटेंगे ना कटेंगे, मठाधीश सत्ता से हटेंगे...' का पोस्टर लगाया गया. इससे पहले भी 'PDA जोड़ेगी और जीतेगी' जैसे नारे लिखे पोस्टर लगवाए गए. इससे सिद्ध होता है कि ये नारा यूपी उपचुनाव के केंद्र में रहने वाला है. भाजपा विमर्श राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछले तीन दशकों में सबसे सशक्त नारा योगी आदित्यनाथ ने लगाया है जो मंदिर वहीँ बनाएंगे की तर्ज पर देश में लोकप्रिय होगा. हालांकि इस उग्र नारे से देश की राजनीति में कोई ख़ास फर्क़ नहीं पड़ने वाला लेकिन योगी की बढ़ती लोकप्रियता अमित शाह या यूं कहें शीर्ष नेतृत्व के लिए एक चुनौती सिद्ध होने वाला है.
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