पुस्तक समीक्षा काव्य संग्रह "मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कराते हो तुम"

पुस्तक समीक्षा काव्य संग्रह 
 "मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कराते हो तुम"
(कवयित्री पल्लवी गर्ग) 
कविताएं केवल कहने से कही नहीं होतीं, लिखने से नहीं लिखी होतीं l कविताएं केवल शब्दों का आवरण नहीं होतीं बल्कि उच्च मानवीयता संवेदनशील व्यक्ति के हृदय से उठती वेगवान लहरें होती हैं l जो एक सामान्य लिखने - पढ़ने वाले इंसान को कवि बनाती हैं l कवि की रचनाएं केवल कवि की नहीं रह जातीं वे समस्त मानवता के लिए समर्पित हो जाती हैं l कवयित्री पल्लवी गर्ग की नज़रों से अगर देखा जाए तो संवेदनशीलता इस दुनिया की सबसे बड़ी जरूरतों में से 
एक है l पल्लवी का काव्य संग्रह  "मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कराते हो तुम" गहरे मानवीय भावनाओं का एक उत्कृष्ट प्रवाह है l प्रत्येक कविता पढ़ने वालों के अंतर्मन को टटोलती हुई जैसे दिल में पैवस्त हो जाती है l मुहब्बत, इंतज़ार, ,उम्मीद, आदि को अपनी कविताओं के ज़रिए पल्लवी ने सुन्दर भावनाओं को काग़ज़ों में पैवस्त कर दिया है l पल्लवी की संवेदनात्मक काव्य संग्रह को पढ़ना नायाब अनुभव रहा है l सच कहूँ तो मैं एक प्रवाह के साथ बह पड़ा हूं l पूरे काव्य संग्रह को पढ़ने के बाद लगा ही नहीं कि उन्होंने पहली बार काव्य संग्रह रचा है ऐसे लगता है जैसे पल्लवी ने अपना एक कविताओं का संसार रच दिया है l "मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कराते हो तुम" काव्य संग्रह पल्लवी के संवेदनशील होने एवं उनकी कविताओं की समझ को दर्शाता है l ये काव्य संग्रह खूब पढ़े जाने लायक है l मुझे विश्वास है कि ये काव्य संग्रह हर उस व्यक्ति के हाथ में होगा जो कविताओ को समझता है, जो कविताओ से वास्ता रखता है l रचनाएं दुनिया को और भी खूबसूरत बनाने में अपना योगदान दे सकें हर कवि इसलिए ही कविताएं रचता है l कवयित्री पल्लवी गर्ग अपने काव्य संग्रह के ज़रिए दुनिया को और भी खूबसूरत हो जाने का आव्हान करती हैं l एक दिन कवयित्री पल्लवी गर्ग कविताओ एवं साहित्य की दुनिया में सशक्त हस्ताक्षर बनकर अपना सर्वोत्तम मुकाम हासिल करेंगी मुझे पूर्ण विश्वास है l मैं हृदय की अथाह गहराई से पल्लवी को शुभकामनाएं भेंट करता हूँ l  काव्य-संग्रह "मेरे शब्दों में छुपकर मुस्कुराते हो तुम" बोधि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है l इसका पहला संस्मरण 2024 में प्रकाशित हुआ और यह अमेजॉन पर 225 /- रुपए में उपलब्ध है।

दिलीप कुमार पाठक 
नई दिल्ली 
लेखक पत्रकार व फ़िल्म समीक्षक हैं 














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