दहेज प्रथा को खत्म करना हम सब की साझी जिम्मेदारी

दहेज प्रथा को खत्म करना हम सब की साझी जिम्मेदारी

अभी कुछ दिनों से इंजीनियर का मामला विमर्श का विषय बना हुआ है l सोशल मीडिया के दौर में हर कोई अपना मत प्रस्तुत कर रहा है, मैं समझता हूं कि हर मुद्दे पर अपनी राय रखना भी नहीं चाहिए l देखिए अगर किसी महिला ने गलत किया है तो इससे यह सिद्ध नहीं होता कि सारी की सारी महिलाएं खराब होती हैं या क्रूर होती है और अगर किसी पुरुष ने किसी महिला के साथ क्रूरता कर दी तो इसका मतलब यह नहीं है कि हर पुरुष क्रूर होता है l  अगर किसी वर्ग के किसी व्यक्ति ने कुछ गलत किया है तो इसका मतलब यह नहीं कि सारे वर्ग को कटघरे में खड़ा कर दिया जाए l यह बहुत नॉर्मल बात है केवल समझने की दरकार है l 

मै ऐसे कितने लोगों को जानता हूं जिन्होंने महिलाओं के साथ क्रूरता की है l  ऐसी कितनी सारी महिलाएं हर रोज़ क्रूरता का शिकार होती हैं l संभवत आप सब भी जानते होंगे तो इसका मतलब यह नहीं है कि हर पुरुष को क्रूर कहा जाए l हम समाज का अध्ययन करेंगे तो पता चलेगा कि भारत में खासकर हिंदी पट्टी राज्यों में अधिकांश लोगों का शादी सीजन में इन्हीं बातों पर दिन खर्च हो जाता है कि किसको कितना दहेज मिला है किसको कितना पैसा मिला है, किसको कौन सी गाड़ी मिली है l  हिंदी पट्टी की यह भी एक सच्चाई है l  हम कितने भी प्रोग्रेसिव बनने का ढोंग करें सच यही है कि हम अपने रिश्तेदारों को दहेज लेने - देने से भी रोक नहीं पाते l  खुद से पूछिए आपने ऐसी कितनी शादियों का बहिष्कार किया या अपने रिश्तेदारों को दहेज के लिए रोका और जागरूक किया, दरअसल दूसरों को हर रोज़ आईना दिखाने वाला समाज़ कभी आईना नहीं देखता... ग़र आईना देखेंगे तो समाज़ में व्याप्त कुरीतियों को ख़त्म किया जा सकता है l यह हम सब की नैतिक ज़िम्मेदारी है l
हमारे यहां गवर्नमेंट जॉब, या किसी बड़ी नौकरी का बच्चों से ज्यादा माता-पिता में एक फितूर होता है, कि मेरा बेटा नौकरी से लग जाए तो सबसे पहले मैं उसकी बोली लगाऊँ l अधिकांश यही होता है, हां मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं l कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपनी बेटियों की शादी तभी करते हैं जब वे लड़के वाले से पैसे ले लेते हैं l कई जगह मिसमैच शादियाँ ऐसे भी होती हैं l यह हद्द गंदी बात है और इसीलिए मैं हमेशा कहता हूं किसी भी संदर्भ में देखिए ये सबसे खराब दौर है l 

हर मुद्दे पर लोग अपनी राय देने के लिए तैयार बैठे होते हैं l मुझे लगता है की राय दी जानी चाहिए बशर्ते आपको उसके बारे में जानकारी हो, अन्यथा नहीं बोलना चाहिए l मुझे नहीं पता किसका दोष है, हमारा सहज लोगों का समाज़ नहीं है l अगर एक आदमी दोषी है या एक महिला दोषी है तो पूरे वर्ग को लपेटना और पूरे वर्ग को दोषी कहना कहीं से भी जायज नहीं है l हमारे देश की लगभग 70 फ़ीसदी महिलाएं कभी न कभी अपनी ज़िंदगी में क्रूरता की शिकार होती है l  यह भी सच है शादी के बाद अधिकांश दहेज के जो मामले होते हैं वह अधिकांश झूठे होते हैं l  कुछ सालों से पुरुष प्रताड़ना के केस भी खुलकर सामने आ रहे हैं l  हालांकि इससे कौन इंकार करेगा हमारे देश में दहेज खूब लिया जाता है, खूब दिया जाता है l हम बहुत से ऐसे लोगों को जानते हैं जो बहुत पढ़े लिखे हैं समाज में बहुत अच्छी उनकी इज्जत है और वे समय - समय पर अच्छी खासी तकरीरें भी करते हैं लोगों को जागरूक करने का ढोंग भी करते हैं, लेकिन दहेज लेते हैं l कई तो दहेज बताते हैं कि इतने पैसे मिले हैं, बड़ी गाड़ी मिली है l मतलब हिन्दी पट्टी में ये भी इज्ज़तअफजाई का एक कारण होता है l 

अभी पिछले हफ़्ते एक सज्जन मुझे बता रहे थे कि दिलीप मैंने अपनी बेटी की शादी 25 लाख में तय किया है घर अच्छा है लड़का सरकारी नौकरी करता है, मेरी बेटी को आराम रहेगा " जबकि वे सज्जन राजनेता हैं. 25 लाख इसलिए क्योंकि पहले ही किसी ने 20 लाख रुपये का दहेज देने की बोली लगाई हुई थी l जबकि वो लड़का सरकारी अध्यापक है l मैंने कहा मुझे लेकर चलना फ्री शादी न हो तो कहना और आपने पैसे क्यों दिए? जिगर का टुकड़ा (बेटी) दिया यह क्या कम है? फिर ऐसे लालची लोगों के यहां रिश्ता क्यों करना? उन्होंने कहा कि फिर तो उनसे बुराई हो जाएगी अगर आपको लेकर चलेंगे l और फ़िर सरकारी नौकरी वाले लड़के आसानी से मिलते नहीं है l मैं सच कह रहा हूं मैं ऐसी फूहड़ अश्लील शादियों में शामिल ही नहीं होता l मुझे लेने वालों से ज्यादा दहेज देने वालों पर ज़्यादा गुस्सा आता है l दहेज देने की अपेक्षा बेटियों को पढ़ाने पर ज़ोर देना चाहिए l यह समाज कैसे बदलेगा? इंजीनियर वाले मामले ने एक चिंता ये भी बढ़ा दी है कि सामाजिक स्तर ख़राब हुआ है l हम सब के लिए चिंता की बात है l  इंजीनियर के साथ गलत हुआ है उसका मूल्यांकन होना चाहिए l अगर दहेज से संबंधित किसी कानून में कोई त्रुटि है तो उसकी कमियां दूर होना चाहिए l  इंजीनियर के साथ क्रूरता हुई है उसकी पत्नी को सज़ा मिलनी ही चाहिए l किसी के साथ भी अन्याय मानवता पर प्रश्न चिन्ह है l हमारे देश का कानून भी लोगों के लिए अलग - अलग प्रकार से न्याय करता हुआ दिखता है.... हालाँकि जब तक हमारे दिमाग में दहेज, पुरुष प्रधानता जैसे मकड़जाल रहेंगे, इंजीनियर जैसे मामले आते रहेंगे l 

Comments

Popular posts from this blog

*ग्लूमी संडे 200 लोगों को मारने वाला गीत*

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया

राम - एक युगपुरुष मर्यादापुरुषोत्तम की अनंत कथा