अविश्वास प्रस्ताव: सभापति धनखड़ के लिए बड़ा झटका

अविश्वास प्रस्ताव: सभापति धनखड़ के लिए बड़ा झटका


विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है l कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने  कहा कि इंडिया गठबंधन के दलों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, क्योंकि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में पहली बार किसी उच्च सदन के सभापति के खिलाफ यह प्रस्ताव लाया गया है लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है l" यह विपक्ष की दलील है l विपक्ष का आरोप है कि राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, जबकि सभापति को निष्पक्ष होना चाहिए, चूंकि सदन किसी पार्टी नहीं बल्कि सदन में सभी दलों के लिए होता है l कांग्रेस ने कहा कि भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति में सबसे पक्षपाती सभापति के रूप में धनखड़ को याद किया जाएगा l

संसद के मौजूदा सत्र की शुरुआत से ही सदन में भारत के जाने माने कारोबारी गौतम अदानी और अन्य कई मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है l इस सत्र की शुरुआत से ठीक पहले ही गौतम अदानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी के आरोप तय किए जाने की ख़बर आई थी, और अमेरिका में अदानी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया गया इसके बाद कांग्रेस भाजपा एवं मोदी सरकार पर लगातार निशाना लगा रही है और सदन में चर्चा की मांग कर रही है पिछले कुछ दिनों से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सदन के बाहर अदानी और सरकार को गिरने के लिए मास्क और टी शर्ट पहनकर आए जिसमें कारोबारी अडानी और मोदी की नजदीकी दिखाई गई l जैसा माना जा रहा था, जिस पर सरकार ने आपत्ति दर्ज की। कांग्रेस पार्टी पहले भी कई मुद्दों को लेकर अदानी के मसले पर जेपीसी की मांग करती रही है l नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि हम अडानी के मुद्दे पर सरकार को छोड़ने वाले नहीं है जब तक इसकी तह तक नहीं जाएंगे हम पीछे नहीं हटेंगे l अडानी के मुद्दे पर सरकार हमेशा ही बचती रही है l सरकार भी अपनी  ज़िद पर अड़ी हुई है और वह इस पर चर्चा नहीं करना चाहती है l किरण रिजिजू ने कहा - "मैं एक बार फिर से स्पष्ट तौर पर कह रहा हूं कि एक बार जब संसद सुचारू तौर पर चल रही है तो कांग्रेस पार्टी ने किस वजह से ड्रामा शुरू किया? ऐसे मास्क और जैकेट पहनकर आने कि क्या ज़रूरत है जिसपर स्लोगन लिखे हुए हों...? रिजिजू ने कहा है, "हम यहां देश की सेवा करने के लिए आए  हैं, इस तरह का ड्रामा देखने के लिए नहीं आए हैं, जो नोटिस कांग्रेस पार्टी और उसके कुछ सहयोगियों ने दिया है, उसे निश्चित तौर पर नामंज़ूर किया जाना चाहिए और उसे नामंज़ूर किया जाएगा l" जबकि जयराम रमेश ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में आरोप लगाया है, "  संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ख़ुद चेयरमैन साहब के सामने कहा कि जब तक आप लोकसभा में अदानी का मुद्दा उठाएंगे, हम राज्यसभा को चलाने नहीं देंगे और इसमें चेयरमैन साहब भी शामिल हैं, चेयरमैन साहब को इसमें अडिग रहना चाहिए l
देखा जाए तो राज्यसभा में संख्या बल के लिहाज़ से अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय माना जा रहा है क्योंकि विपक्ष के पास जरूरी संख्या बल नहीं है और और वे इसे पास नहीं करा पाएंगे l यह बात प्रस्ताव पेश करने वाले विपक्षी दलों को भी अच्छी तरह मालूम है, लेकिन गौर करने वाली बात है देश के संसदीय इतिहास में पहली बार सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना खुद सभापति जगदीप धनखड़ और सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात है l उच्च सदन के सभापति का पद बहुत ही सम्माननीय पद होता है जिसकी इज्जत देश की प्रतिष्ठा के साथ जुड़ी हुई होती है, सभापति किसी पार्टी विशेष का नहीं होता उसका नज़रिया सभी पार्टियों के लिए बराबरी का होना चाहिए, निष्पक्ष होना चाहिए, पक्षपाती पूर्ण नहीं होना चाहिए, ऐसी उम्मीद की जाती है,  और की जानी चाहिए । अब चूंकि उच्च सदन के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है तो इस अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी, जिसमें विपक्ष सभापति धनखड़ के जाने - अनजाने पहलूओं पर बात करेगा l यानी उनके पक्षपातपूर्ण बर्ताव के अलावा भी उनके बारे में वे सारी बातें कही जाएंगी, जो आम लोग नहीं जानते हैं या बहुत कम लोग जानते हैं l यह किसी भी सभापति के लिए बेहद निराशाजनक है, क्योंकि सभापति की इज्जत सभी दलों के लिए अनिवार्य होती है l  पिछले कई सालों से देखा गया है की निम्न सदन एवं उच्च सदनों के सभापतियों का रवैया बेहद खराब रहा है l सदन के अंदर ही विपक्ष के नेताओं को क्या-क्या नहीं कहा जाता है लेकिन कई बार सभापति उन्हें ठोकते नहीं जो किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता । यह अविश्वास प्रस्ताव भविष्य में आने वाले किसी भी सभापति के लिए एक नजीर की तरह हो सकता l  एक सबक हो सकता है कि उन्हें निष्पक्ष रहना है सत्ता के हाँ में हां नहीं मिलना है l अतः विपक्ष की भी सुनना है और उन्हें संरक्षण भी देना है यह नैतिक जिम्मेदारी होती है। हालांकि इतना सब होने के बाद भी धनखड़ जी रवैये में कोई गुणात्मक बदलाव नहीं होगा l वैसे भी सरकार ने तो उन्हें आज ही ईमानदार एकदम निष्पक्ष होने का प्रमाणपत्र दे दिया है l सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्यसभा को धनखड़ जैसा सभापति मिलना मुश्किल है l  इस अविश्वास प्रस्ताव के बाद सदन में क्या होगा क्या नहीं होगा यह कहना बड़ा कठिन है l हालांकि लोकतंत्र में पहले क्या नहीं हुआ है, अब क्या हो रहा है यह सब समय और परिस्थितियों पर निर्भर करता है, क्योंकि लोकतंत्र में बदलाव आते रहते हैं l सरकार सभापति को संख्याबल के हिसाब से बचा भी लेगी लेकिन यह अविश्वास प्रस्ताव सभापति जगदीप धनखड़ के लिए एक झटका है, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की होगी ।

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