महाराष्ट्र चुनाव में मराठी अस्मिता की लड़ाई

महाराष्ट्र में राजनीतिक बगावत, टूटते राजनीतिक दल अपने - अपने कुनबो को बचाने के साथ सत्ता संघर्ष करते हुए आज चुनाव के मुहाने पर खड़े हुए हैं. सभी राजनीतिक दलों की अपनी - अपनी महत्वाकांक्षाओं के बीच महाराष्ट्र चुनाव काफ़ी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है.  तमाम राजनीतिक समझौतों के बीच महाराष्ट्र में दलों ने अपने - अपने अलायंस कर लिए हैं. हर राज्य की अपनी समस्याएं एवं मुद्दे होते हैं, लेकिन महा विकास आघाड़ी के द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को मराठी अस्मिता को जोड़ने के साथ ही चुनाव की रूपरेखा ही बदल गई है. इससे यह होगा कि एक - एक मराठी चुनाव के साथ खुद को जोड़ लेता है. साथ ही लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी का राजनीतिक जादू अब वैसा नहीं रहा जैसा पहले कभी होता था.  महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता के साथ चुनाव लड़े जाने के बाद पीएम मोदी महाराष्ट्र में काफ़ी कमज़ोर दिख रहे हैं. जबकि नितिन गडकरी, देवेन्द्र फडणवीस इस मुद्दे पर काफ़ी असहज दिख रहे हैं. महा विकास आघाड़ी के आरोप ये भी हैं कि नितिन गडकरी द्वारा लाए गए प्रोजेक्ट को मोदी गुजरात ले गए हैं, और देवेन्द्र फडणवीस, नितिन गडकरी कुछ नहीं कर सके. जबकि शिंदे सिर्फ़ कुर्सी पर विराजमान हैं उन्हें महाराष्ट्र से कोई मतलब नहीं है. 

महाराष्ट्र चुनाव का खेल सबसे ज़्यादा दिलचस्प है, सत्ता संघर्ष के बाद आज मराठी वर्सेस गुजराती अस्मिता वाली पृष्टभूमि पर खेला जा रहा है. सच ये भी है कि पिछले कुछ सालों से देखा गया है कि देश की आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र के कई प्रोजेक्ट गुजरात चले गए हैं, या ले जाए गए हैं. जबकि ऐसे कई प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के लिए पास किए गए थे. प्रधानमंत्री मोदी की नीति यही लगती है कि गुजरात को देश की राजनीतिक राजधानी बनाने की ओर ले जाया जाए. बीते कल गुजरात के वडोदरा में टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट के शुभारंभ से जहां गुजरात राज्य में पटाखे फूट रहे हैं, खूब जश्न हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है, शरद पवार के साथ एमवीए के दूसरे नेताओं ने इस बड़े प्राेजेक्ट के गुजरात जाने को लेकर बीजेपी और महायुति सरकार पर निशाना साधा है तो इस जवाब में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एमवीए पर ही पलटवार किया और कहा कि ढ़ाई साल पहले जब एमवीए सत्ता में थी तो उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार ने कुछ नहीं किया.

आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र के गुजरात ले जाए जा रहे उपक्रमों को लेकर प्रदेश की भाजपा व शिंदे गुट की महायुति सरकार पर निशाना साधा है. मोदी सरकार महाराष्ट्र राज्य की धनलक्ष्मी को गुजरात ले जा रही है. टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से गया, वेदांता फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट भी चला गया. महाराष्ट्र में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है. इसके लिए दोषी भाजपा शिंदे गुट की महायुति सरकार है. टाटा-एयरबस जैसे उद्योग प्रदेश में आने के बजाय दूसरे राज्यों में भेजकर और वहां होने वाले रोड शो को बधाई देने वाली भाजपा सरकार महाराष्ट्र के युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़क रही है. ‘मातोश्री’ में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में भाजपा और महायुति पर तीखा हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, युवासेनाप्रमुख और विधायक आदित्य ठाकरे कल केंद्र सरकार पर खूब भड़के. 
आदित्य ठाकरे ने आरोप लगाया कि टाटा-एयरबस का प्रोजेक्ट नागपुर के मिहान में लाने की योजना थी, लेकिन मोदी जी गुजरात लेकर चले गए, और शिंदे टाटा कहने के अलावा कुछ नहीं कर पाए. आदित्य ठाकरे ने भाजपा पर महाराष्ट्र में एक भी अच्छा प्रोजेक्ट नहीं लाने का आरोप लगाया. चुनाव से पहले गुजरात में आयोजित पीएम के रोड शो पर भी उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस रोड शो ने महाराष्ट्र के युवाओं के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है. उन्होंने तीखा सवाल करते हुए कहा कि देवेंद्र फडणवीस को राज्य और नागपुर के प्रोजेक्ट्स के बाहर जाने का दुख क्यों नहीं होता. इस सवाल के साथ आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि नागपुर में परिवर्तन जरूर आएगा. नागपुर के लोग जानते हैं कि रोजगार के अवसर नागपुर से जा रहे हैं.

आदित्य ठाकरे ने बाला साहब ठाकरे की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी बताते हुए शिंदे को चोरी की सरकार चलाने वाला बताया, जबकि मोदी जी को एक गुजराती नेता के रूप में चिन्हित किया.. महाराष्ट्र के सबसे सीनियर नेता शरद पवार भी मराठी अस्मिता की बातेँ कर रहे हैं, महा विकास आघाडी पूरे चुनाव को मराठी वर्सेस गुजराती अस्मिता वाली लड़ाई बनाना चाहती है जबकि भाजपा या यूं कहें कि सीएम शिंदे की अगुवाई वाली महायुति सरकार इस अस्मिता की लड़ाई में कमज़ोर होती दिख रही है. वहीँ राज ठाकरे भाजपा के लिए तो नर्म हैं, लेकिन शिंदे सरकार पर निधाना साध रहे हैं. भाजपा महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में काफ़ी सीटें गंवाने के बाद शिंदे - अजीत पवार के साथ मिलकर महाराष्ट्र जीतना चाहती है, जबकि अजीत पवार - शिंदे शरद पवार एवं उद्धव ठाकरे की तुलना में बहुत कमज़ोर हैं. वहीँ पिछली बार की तरह भाजपा इस बार महाराष्ट्र में एक मजबूत दल तो है, लेकिन पिछली बार की तरह भाजपा महाराष्ट्र में काफी कमज़ोर कड़ी है. वहीँ हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा महाराष्ट्र में हरियाणा की तर्ज पर चुनाव जीतना चाहती है, लेकिन हर राज्य की स्थिति अलग होती है. और इस बार मराठी वर्सेस गुजराती की पिच पर मराठी अस्मिता के साथ जोड़कर महा विकास आघाड़ी ने चुनाव को बेहद दिलचस्प बना दिया है, जो भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि शरद पवार - उद्धव ठाकरे, अजीत पवार, शिंदे की तुलना में काफ़ी मजबूत दिख रहे हैं.. अगर यहां से चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ा गया तो महायुति के लिए चुनाव काफ़ी कठिन हो सकता है. 

Comments

Popular posts from this blog

*ग्लूमी संडे 200 लोगों को मारने वाला गीत*

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया

राम - एक युगपुरुष मर्यादापुरुषोत्तम की अनंत कथा