'रतन टाटा एक संवेदनशील इन्सान'

*रतन टाटा एक संवेदनशील इन्सान*
---------------------------------------------

'रतन टाटा' एक ऐसा औद्योगिक नाम जो अकूत दौलत के बीच में होते हुए भी संवेदनशील इन्सान के रूप में जाने गए. 'रतन टाटा' केवल एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि हिंदुस्तानी उद्योग के ऐसे स्तम्भ थे, जिन्होंने केवल टाटा समूह को ही नहीं वरन हिन्दुस्तानी उद्योग को वैश्विक स्तर पर पहिचान दिलाई और व्यवसाय के साथ सामजिक जिम्मेदारियों के नए मानदंड स्थापित किए. 'रतन टाटा' का जीवन अनवरत संघर्ष, समर्पण, नवाचार का प्रतीक रहा है. रतन टाटा की ज़िन्दगी पर नज़र डाले तो मुहब्बत से लेकर व्यापार की आपार सफ़लता, मुहब्बत खोने - पाने से इतर एक संवेदनशील इन्सान तक है, जिन्होंने आम लोगों के दिल में एक जगह बनाई जो किसी भी उद्योगपति के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ख्वाब है. आज के दौर में जब उद्योगपतियों को आम आदमी की नज़र से देखने से घृणा का पात्र समझा जाता है, और हो भी क्यों न उद्योग घराने आम आदमी की जेब खाली करने के अलावा करते ही क्या हैं! उद्योगपतियों द्वारा आम लोगों के शोषण के दौर में रतन टाटा अपने कर्मियों के लिए हमेशा खड़े रहे हैं. रतन टाटा की इज्ज़त देखते ही बनती है . आज उद्योग जगत में सारे के सारे उद्योग घरानों को लेकर आम लोगों के मन में एक शंका है, लेकिन टाटा ट्रस्ट एक विश्वास का नाम बना हुआ है. रतन टाटा की पारिवारिक पृष्ठभूमि को एक आयाम देने वाले रतन टाटा अपनी सादगी के लिए जाने गए हैं. क्या आम क्या खास सभी लोग रतन टाटा की इज्ज़त करते हैं. कहते हैं कि आदमी अपने आचरण से पहिचाना जाता है. रतन टाटा कभी भी किसी, समुदाय, जाति, धर्म, किसी भी सरकार के क़रीबी नहीं रहे. उनके जाने के बाद इस पतित मीडिया ने दुनिया को बता दिया कि रतन टाटा पारसी थे, जबकि सारे धर्मों की इज्ज़त करने वाले रतन टाटा की जाति लोगों को पता भी नहीं थी. रतन टाटा के जाने के बाद पता चला है कि उनको कितने अनगिनत लोग प्यार करते हैं जो उनसे कभी मिले ही नहीं, लेकिन रतन टाटा के लिए दिल में एक श्रद्घा, अपनापन आदर का भाव है. हज़ारों प्रोडक्ट बनाने वाले रतन टाटा आम - खास लोगों के साथ अपने प्रॉडक्ट के जरिए जुड़े हुए थे, हवाई जहाज से लेकर हाथ की घड़ी, मोटर कार, पढ़ाई, दवाई, से लेकर नमक तक टाटा आम आदमी की ज़िन्दगी में जुड़े रहे. यही कारण है कि आज देश के अधिकांश लोगों को लग रहा है कि रतन टाटा जैसे अपने घर के कोई व्यक्ति हैं. कहते हैं इस दुनिया में बड़े से बड़े सिकंदर आए और गए किसी को कोई याद नहीं करता, लेकिन याद वो किया जाता है जो समाज के लिए कुछ करे... रतन टाटा के देहांत के समय देश के कोने-कोने से लोगों के मन में एक श्रृद्धा, अपनापन का भाव उनकी उनकी विराट मगर सादगी की कहानी कहती है. 

एक उद्योगपति होने के बाद भी रतन टाटा को एक संवेदनशील इन्सान होने के कारण ही आज एक शानदार इंसान के रूप में याद किया जा रहा है. रतन टाटा एक बार अपनी कार से मुम्बई में एक ओवरब्रिज से गुज़र रहे थे ,तब ही एक आम आदमी को भारी बारिश के कारण अपनी छोटी सी फैमली के साथ ब्रिज के नीचे शरण लेते देखा तो उनके अंदर एक वेदना हुई, उन्होंने अपने इंजीनियर्स को कहा एक लाख की रेंज की एक कार बनाइए जिससे गरीब से गरीब व्यक्ति भी उसे ख़रीद सके, और एक लाख रुपये की कार टाटा नैनो बनाकर रतन टाटा ने देश के आम लोगों के, कार खरीदने के ख्वाब को पूरा कर दिया. यह योजना ज़्यादा सफ़ल तो नहीं हुई लेकिन उद्योग जगत में एक हलचल हुई, अतः टाटा नैनो के बाद सस्ती गाड़ियां बनने लगीं. इसलिए भी टाटा नैनो को सफल प्रोजेक्ट कहा जा सकता है.. रतन टाटा कोई मुनाफा कमाने वाले उद्योगपति नहीं बल्कि आम लोगों के लिए सोच रखने वाले इंसान थे. 

रतन टाटा का जन्म 28 सितंबर 1937 को मुंबई में हुआ. उनका पालन - पोषण एक विशेष उद्योगपति परिवार में हुआ था, जो टाटा समूह की विरासत का हिस्सा था. रतन टाटा.. टाटा समूह के संस्थापक 'जमशेद जी टाटा' के परिवार से आते थे, जिन्होंने भारतीय उद्योग में टाटा समूह की नींव डाली थी. रतन टाटा की ज़िन्दगी आसान दिखती ज़रूर है, लेकिन एक बच्चे के लिए आसान नहीं रही होगी. रतन टाटा, के माता - पिता का तलाक तब हुआ था जब वे 10 साल के थे, और उसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी ने किया था. रतन टाटा मुंबई में अध्ययन करने के बाद अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने इंजीनियरिंग के साथ वास्तु कला की पढ़ाई की जहां उनकी शिक्षा ने उनकी सोच को व्यापक दृष्टिकोण ने प्रभावित किया. रतन टाटा ने हॉवर्ड से बिजनैस की पढ़ाई की जहां उन्हें बिजनैस की जटिलताएं समझने में आसानी हुई.

रतन टाटा का जीवन जितना सफ़ल एवं बेरंग रहा, उतना ही निजी जीवन रहस्यमयी बना रहा या यूं कहें सब कुछ पब्लिक डोमेन में था. देखा जाए तो रतन टाटा बहुत ही विनम्र, एवं संवेदनशील इन्सान थे, जिन्होंने कभी भी अपनी निजी ज़िन्दगी पर कोई बात नहीं की. सामाजिक एवं निजी ज़िन्दगी की लकीरें कभी क्रॉस नहीं की. रतन टाटा इतने संवेदनशील इन्सान थे जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में प्रेम किया भी तो एकदम रूहानी... रतन टाटा अपनी प्रेम कहानी के बारे में बताते थे - 60 के दशक में रतन टाटा जब अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे तब अमेरिका में ही उनकी मुलाकात एक युवती से हुई थी, जिससे वे प्रेम करने लगे थे. रतन टाटा का प्रेम बहुत गहरा था, वे दोनों शादी भी करना चाहते थे. रतन टाटा तब अमेरिका में ही सेटल होना चाहते थे, लेकिन इस प्रेम कहानी का अंत हो चुका था. जब रतन टाटा की दादी की तबियत बिगड़ी जब भारत लौट आए, उन्होंने सोचा कि जल्द ही उनकी प्रेमिका भी भारत लौट आएगी, और भारत में ही उनसे शादी कर लेंगे. अफ़सोस तब ही 1962 में भारत और चाइना का युद्ध छिड़ गया था, और उनकी प्रेमिका के परिवार वालों ने भारत आने से मना कर दिया, और इन परिस्थितियों में रतन टाटा की प्रेम कहानी एक मोड़ पर खत्म हो गई. रतन टाटा ने फिर कभी भी शादी नहीं की और खुद को पूरी तरह से व्यवसाय एवं समाज़ सेवा में खुद को लगा दिया.

रतन टाटा की प्रेम कहानी अनकही एवं गहरी संवेदनशील प्रेम कहानी के रूप में जानी जाती है जो दर्शाती है कि ज़िंदगी में कुछ निर्णय हमारे अनुरूप नहीं होते. रतन टाटा ने ज़िन्दगी में कभी भी किसी को कोई दोष नहीं दिया, बल्कि उसे अपनी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा मानते थे. उनकी प्रेम कहानी ज़िन्दगी के उस पक्ष को दर्शाती है, जिसे उन्होंने सादगी और सम्मान के साथ जिया. रतन टाटा की ज़िन्दगी में एक और महिला आईं जो हिन्दी सिनेमा की अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल थीं. रतन टाटा एवं सिमी ग्रेवाल के बीच एक प्रेम सम्बन्ध था, सिमी ग्रेवाल ने एक बार इस प्रेम कहानी के बारे में खुद बात की थी. सिमी ने अपने रिश्ते को बेहद ख़ास बताया था, अदाकारा सिमी ग्रेवाल ने रतन टाटा को मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहा था और इस बात पर ज़ोर दिया था कि उनका और रतन टाटा का एक लम्बा इतिहास रहा है. सिमी ग्रेवाल ने एक बार रतन टाटा की तारीफ़ करते हुए कहा था - रतन टाटा मजाकिया किस्म के विनम्र, संवेदनशील और सा सच्चे जेन्टलमैन हैं. उद्योगपति होते हुए भी जिनके लिए पैसा कभी भी प्राथमिक नहीं रहा. सिमी ग्रेवाल ने अपने एक टेलीविजन शो से काफ़ी प्रसिद्धी हासिल की थी, जिसमें वे बड़े बड़े सिलेब्रिटीज के साथ गहरे और व्यक्तिगत साक्षात्कार करती थीं, इन साक्षात्कारों में वे मेहमानों के अनछुए पहलुओं पर बातेँ करती थीं, इसी कार्यक्रम में सिमी ग्रेवाल ने एक बार रतन टाटा का भी इंटरव्यू किया था. 

रतन टाटा का जीवन केवल उद्योग जगत तक सीमित नहीं था, उन्होंने अपनी ज़िन्दगी का एक हिस्सा समाज सेवा के लिए समर्पित किया था. 'टाटा ट्रस्ट' के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है. टाटा ट्रस्ट देश के सबसे बड़े परोपकारी संस्थानों में से एक है. रतन टाटा ने समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखा. रतन टाटा का मानना था कि व्यवसाय का काम केवल मुनाफ़ा कमाना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज़ में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास भी करना चाहिए. यही कारण रहा है कि रतन टाटा ने सामजिक, नैतिक, पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को खूब प्राथमिकताएं दी. भले ही रतन टाटा ने जीवन भर विवाह नहीं किया लेकिन उनका जीवन सरलता, एवं संयम के साथ बीता था. उन्होंने अपना जीवन व्यवसाय एवं परमार्थ के लिए समर्पित कर दिया. उनका व्यक्तित्व हमेशा शालीन, शांतचित्त रहा. रतन टाटा की विरासत सिर्फ व्यवसाय एवं उद्योग तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि वे एक ऐसी प्रेरणा के रूप में जीवित रहेंगे, जिन्होंने समाज़ को बेहतर बनाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया. रतन टाटा का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, उनकी स्मृतियां भारतीय उद्योग, एवं समाज के लिए महान प्रेरणा बनी रहेंगी. 

दिलीप कुमार पाठक

Comments

Popular posts from this blog

*ग्लूमी संडे 200 लोगों को मारने वाला गीत*

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया

राम - एक युगपुरुष मर्यादापुरुषोत्तम की अनंत कथा