*फैब फोर का टेस्ट क्रिकेट रोमांच*

*फैब फोर का टेस्ट क्रिकेट रोमांच*
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अभी हाल फ़िलहाल इंग्लैंड के महानतम बल्लेबाज़ जो रूट ने टेस्ट क्रिकेट में 12 हज़ार रन पूरे करते हुए महानतम बल्लेबाज लारा का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. जिससे विश्व क्रिकेट में चर्चा है कि रूट क्या सचिन तेंदुलकर के टेस्ट रनों का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं?? रूट जिस मुकाम पर हैं, जैसी उनकी उम्र है यह चर्चा होना भी लाजिमी है.. और क्यों न हो रिकॉर्ड तो टूटने के लिए ही बनते हैं. वहीँ हमारे देश के लोग बहुत संकीर्ण होते हैं, जिस दिन से रूट ने टेस्ट में 12 हज़ार रन पूरे किए हैं, उस दिन से भारत के कट्टर लोग रूट के ख़राब फॉर्म की कामनाएँ कर रहे हैं. वहीँ एलिस्टर कुक जैसे हो जाने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. जबकि कोई भी क्रिकेट प्रेमी ऐसी कामना नहीं कर सकता. 

बीते वन - डे विश्वकप में विराट कोहली ने मुंबई सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ़ सचिन तेंदुलकर के सामने उनके घरेलू मैदान में 50वां शतक जड़कर सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़कर वन - डे क्रिकेट में सबसे ज़्यादा शतक बनाने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया... खुद सचिन तेंदुलकर ने इस कीर्तिमान के लिए विराट को शुभकामनाएं एवं अशीर्वाद दिया था. कहते हैं जो बड़ा होता वो बड़ा ही होता है. सचिन तेंदुलकर ने सौ शतकों का शतक बनाने के बाद भविष्यवाणी की थी कि मेरे शतकों के शतक का रिकॉर्ड अगर कोई तोड़ सकता है तो केवल रोहित और विराट हैं, सचिन ने कहा था अगर कोई भारतीय तोड़ता है तो मुझे ज़्यादा खुशी होगी. सचिन की भविष्यवाणी के मुताबिक विराट ने उनकी भविष्यवाणी का मान रखा. देखा जाए तो विराट अभी अंतर्राष्ट्रीय रनों के लिहाज से 27 हज़ार रनों के साथ चौथे स्थान पर काबिज हैं. रिकी पोंटिग, संगकारा से आगे निकलने के लिए विराट को हजार रनों से भी कम चाहिए... जबकि सचिन के चौतीस हज़ार रन हैं.. विराट अभी वन डे में कम से कम 8-10 शतक वहीँ टेस्ट में कम से कम 12 - 15 शतक ज़रूर लगा सकते हैं . टेस्ट में 51 शतकों का रिकॉर्ड रूट तोड़ सकते हैं या विराट क्योंकि विराट 80 शतकों के साथ टॉप पर बने हुए हैं.. सचिन ने इतनी ही उम्र में 76 शतक लगाए थे... इसलिए अभी क्रिकेट का रोमांच इंजॉय कीजिए. विराट के लिए मौके इसलिए भी आसान है क्योंकि उनकी लोकप्रियता के सामने फ़िलहाल विश्व क्रिकेट में कोई नहीं टिकता अतः आईसीसी, बीसीसीआई के लिए विराट पैसे की मशीन है... 

मैं खुद भी सचिन, द्रविड़, गावस्कर, पोंटिग, संगकारा, लारा, कैलिस का घोर प्रसंशक हूं, लेकिन अब मैं अपने दौर के चारो महानतम बल्लेबाजों का प्रसंशक हूं. मैं चाहता हूं कि सचिन का रिकॉर्ड टूट जाए जिससे टेस्ट क्रिकेट के प्रति लोगों में लगाव पैदा हो...हाँ विराट अगर रिकॉर्ड तोड़ेंगे तो ज़्यादा खुशी होगी, वहीँ स्मिथ, रूट, विलियम्सन तोड़ेंगे तो भी खुशी ही होगी क्योंकि दुःख होने का सवाल ही नहीं उठता. हाँ सचिन भी दुखी नहीं होंगे क्योंकि उन्होंने खुद भी बहुत से कीर्तिमान स्थापित करने के लिए बहुत से रिकॉर्ड बनाएं हैं, सचिन ने कहा भी है - "जिस दिन विराट शतकों का शतक बनाएंगे मैं उन्हें स्पेशल उपहार दूँगा जिस तरह महानतम गावस्कर ने मुझे दिया था".

महानतम लारा ने कहा था - "आज के दौर में विराट, रूट, स्मिथ, विलियम्सन चारो को सफेद जर्सी में 22 गज की पट्टी पर दौड़ते हुए, संघर्ष करते हुए देखना क्रिकेट में बचा हुआ सबसे मनोरम दृश्य है, मैं वेस्टइंडीज के युवाओं को कहना चाहता हूं कि सीखिए इन चारों से क्रिकेट से कैसे प्रेम करते हैं. 

सचिन, द्रविड़, गावस्कर, पोंटिग, संगकारा, लारा, कैलिस, गांगुली, वसीम अकरम, यहां तक कि कपिल देव, इमरान खान, सर विवियन रिचर्ड, आदि भी यही कहते हैं. आज के दौर में विश्व क्रिकेट की सबसे बड़ी जमा पूंजी विराट, रूट, स्मिथ, विलियम्सन ही हैं. कहते हैं कि एक जाता है तो दूसरा आता है जैसे एक महान पीढ़ी के बाद ये चारो आए, उसी तरह इनके बाद कौन?? कह पाना बड़ा मुश्किल है. एक दौर में टेस्ट क्रिकेट में सफेद जर्सी पहनकर खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता था, लेकिन अब खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट खेलने से कतराते हैं. जबकि ये चारो टेस्ट क्रिकेट के लिए अलग ही जुनून रखते हैं.. मुझे लगता है कि चारो देशों के क्रिकेट बोर्ड को टेस्ट क्रिकेट को ज़्यादा से ज़्यादा तवज्जो देना चाहिए. महान रिकी पोंटिग ने कहा था - प्रमुख क्रिकेट बोर्ड्स को टेस्ट क्रिकेट पर ज़्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है अन्यथा टी 20 क्रिकेट टेस्ट क्रिकेट को खत्म कर देगा, और टेस्ट क्रिकेट खत्म हो गया तो क्रिकेट का कोई मतलब नहीं रह जाता. 

हालाँकि रूट के इस कीर्तिमान स्थापित करने के बाद बांकी तीनों के अंदर भी टेस्ट खेलने की उत्सुकता बढ़ गई होगी. अभी टेस्ट क्रिकेट में फैब फोर (रूट, विराट, विलियम्सन, स्मिथ) की बैटल शुरू होगी जिसमें रूट बेशक आगे निकल गए हैं लेकिन ध्यान रहे पिछले तीन सालों में रूट सबसे पीछे थे, इसलिए स्मिथ, विराट, विलियम्सन को कम नहीं आंकना चाहिए... विराट के धीमा खेलने का बदला अंदाज़ वहीँ उनका कहना कि मैं एक टेस्ट बल्लेबाज़ के रूप में याद रखने की हसरत रखता हूं. इसलिए भी आने वाली चारो की टेस्ट बैटल एतिहासिक होने वाली है. तय है कि विराट टेस्ट क्रिकेट के लिए वनडे पहले छोड़ देंगे.. 

अभी रूट 12 हज़ार रनों 32 शतकों के साथ 32 साल के हैं.. वहीँ स्मिथ 34 साल के हैं जिनके लगभग 10 हज़ार रन के साथ 32 शतक हैं. विराट अभी 35 साल के हैं जिनके लगभग 9 हज़ार रनों के साथ 29 शतक हैं. वहीँ विलियम्सन भी 9 हज़ार रन एवं 32 शतकों के साथ 34 साल के हैं. कोई कुछ भी बोलता रहे लेकिन अभी ये चारों कम से कम 5 साल और खेलेंगे इस हिसाब से अगर हिसाब लगाएं तो भारत साल में लगभग 10 टेस्ट खेलता है, वहीँ ऑस्ट्रेलिया लगभग 12 टेस्ट खेलता है. न्यू जीलैंड भी 8-9 मैच खेलता है.वहीँ सबसे ज्यादा लगभग 15 टेस्ट इंग्लिश टीम खेलती है. इस हिसाब से अगर देखा जाए तो ये चारो अभी लगभग - लगभग 40-50 टेस्ट खेल सकते हैं, स्मिथ, रूट के लिए ज़रूर कंपटीशन होगी क्योंकि वहाँ टेस्ट के बल्लेबाज़ ज़्यादा होते हैं वहीँ विराट के लिए बेंच में ज़्यादा स्पर्धा नहीं होगी क्योंकि भारत के खिलाड़ी टेस्ट खेलने की बजाय आराम करना पसन्द करते हैं. हाँ विलियम्सन की चोट ज़रूर चिंता का विषय रहती है, लेकिन बांकी तीनों की फिटनेस अपने आप में दुनिया भर के खिलाडियों के लिए प्रेरणा हैं. विराट तो फिटनेस के लिहाज से युवाओं को भी मात देते हैं. 

मैं चाहता हूं कि ये चारो टेस्ट में 14+ हज़ार रन बनाएं और आने वाली पीढ़ी के लिए एक विरासत छोड़ जाएं. अन्यथा आने वाली पीढ़ी टेस्ट क्रिकेट में उत्साह हीन हो जाएगी. अतः चारो के क्रिकेट को सिर्फ़ एंजॉय किए जाने की दरकार हैै. वैसे भी रिकॉर्ड टूटने के लिए ही बनते हैं. सचिन का रिकॉर्ड न भी टूटे फिर भी ये चारो टेस्ट क्रिकेट में सचिन के बाद ही दिखाई देंगे, जो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा देते रहेंगे.

दिलीप कुमार

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