आज तो ब्लू ब्रिगेड ने रुला दिया
आज तो ब्लू ब्रिगेड ने रुला दिया
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क्रिकेट अनिश्चतता का खेल है. भारत ने जैसे ही टॉस जीता अफ्रीकी कप्तान का चेहरा मुरझा गया था, वहीँ रोहित शर्मा के चेहरे पर एक अलग ही क्रांति थी. और जैसे ही भारत के जल्दी तीन विकेट गिरे, पूरा भारतीय खेमा मायूस हो गया...जैसी उम्मीद थी, आख़िरकार विराट कोहली खड़े हो गए, विराट कोहली ने सैकड़ों बार मैच जिताऊ पारियां खेलीं हैं, लेकिन फ़ाइनल की पारी क्रिकेट इतिहास में अमर हो गई. कई क्रिकेट समीक्षक विराट को स्लो खेलने के लिए आलोचना करते हैं, ध्यान रखिए विराट बल्ला भांजने वाले प्लेयर नहीं है, परिस्थितियों को देखकर खेलने वाले प्लेयर हैं उन्होंने अपने डेढ़ दशक के क्रिकेट कॅरियर में हमेशा अपनी जिम्मेदारी को निभाया है.. कल विराट जब विश्वकप फ़ाइनल में अर्धशतक के क़रीब बैटिंग कर रहे थे, उनके चेहरे पर निराशा झलक रही थी. कमेंटेटर कह रहे थे "अगर विराट इस तरह से खेल रहे हैं तो यह पारी बिल्कुल भी उपयोगी नहीं है, अन्तर सिर्फ़ इतना है कि लोग फेसबुक पर आलोचना करते हैं तो मर्यादा लांघ जाते हैं, वहीँ कमेंटेटर थोड़ी सी मर्यादा में रहकर हालांकि वैचारिक क्रूरता कर ही जाते हैं... वैसे कोहली ने सैकड़ों परियां खेली हैं जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा सिद्ध होगीं..
फ़ाइनल में विराट अर्धशतक बनाकर भी खुश नहीं थे, विराट इस बात को जानते थे कि अगर भारत हार गया तो क्रिकेट इतिहास में इस पारी को कलंक घोषित कर दिया जाएगा, लेकिन विराट डटे रहे. कहते हैं कि मेहनत कभी भी जाया नहीं होती.. फ़ाइनल में विराट की सफ़लता में रोहित शर्मा का अहम योगदान भुलाया नहीं जा सकता. एक लीडर को पता होता है कि अपने सिपाहियों से सर्वश्रेष्ठ कैसे निकलवाना है, जब सभी तरफ से विराट की आलोचना हो रही थी, तब रोहित ने कहा था - "विराट बड़े मैच के बड़े प्लेयर हैं, क्लास कहीं नहीं जाता, विराट इस कप का फ़ाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे, और विराट ने रोहित को सही साबित कर दिया. जब रोहित आउट होकर ड्रेसिंग रूम में बैठे थे तो चिंताएं साफ़ दिख रही थीं, लेकिन एक इत्मिनान भी था कि यार विराट खड़े हुए हैं..ग़र रोहित ने भरे स्टेडियम में यह नहीं कहा होता तो शायद विराट की वो पारी नहीं आती... देखिए इतने बड़े पटल पर अक्षर का जो प्रदर्शन है, उसमे विराट का योगदान भुलाया नहीं जा सकता, विराट ही थे, जिन्होंने अक्षर को सम्भाला गाइड किया. रोहित की कप्तानी में विश्वकप न जीत जाएं इसलिए विराट ने स्लो खेलकर कप हरा दिया.. यह जीत संकीर्ण सोच वालों के गाल पर तमाचा है.
हम घर में बैठकर कमेंट करते रहते हैं सोचिए वो अमर कैच सूर्य कुमार से कैच छूट गया होता तो! क्या क्रिकेट प्रेमी सूर्य कुमार को मुआफ करते? बिल्कुल नहीं! सोचिए पूरे आईपीएल में अपने ही मुल्क के एक कम उम्र के लड़के को पूरा स्टेडियम गालियाँ देता था, वो हार्दिक पांड्या कल आखिरी ओवर में मैच नहीं बचा पाते तो क्या आईपीएल वाली हूटिंग अभी नहीं चल रही होती?? यकीनन चल रही होती. आज पांड्या भले ही वो भूल गए हों लेकिन वो कसकता रहेगा.. तब ही तो विश्वकप जीतने के बाद हार्दिक की आँखों से बहता निर्झर प्रवाह बहुत कुछ कहता है.
अगर रोहित ने जसप्रीत बुमराह को गेंद नहीं दी होती तो क्या पूरा विश्व क्रिकेट रोहित को कप्तानी नहीं सिखा रहा होता?? यकीनन सिखा रहा होता.. सोचिए जब हार्दिक निर्णायक ओवर लेकर आए थे तो पूर्णतः विश्वास रहा होगा कि जीत जाएंगे?? बिल्कुल नहीं रहा होगा क्योंकि सामने दुनिया का सबसे ख़तरनाक हिटर किलर - मिलर खड़े थे, लेकिन हार्दिक ने आलोचकों का मुँह बंद कर दिया... मैच देखते हुए मेरी धड़कने बढ़ी हुई थीं, मैं तब सोच रहा था यार ये कितने दिलेर होते हैं, शायद ही हम सभी उस मौके पर इतने सहज हो पाएं! देखिए दुनिया आपके संघर्ष, मेहनत को नहीं देखती वो सफ़लता के साथ खड़ी होती है, कल के मैच को देखकर भी यही लग रहा है...आज पूरा मुल्क टीम इंडिया का इस्तकबाल कर रहा है.
राहुल द्रविड़ जैसे शालीन इंसान को जश्न मानते हुए देखना अपने आप में एक सुखद क्षण है, राहुल द्रविड़ ने इस पल को जीने के लिए पूरी जिंदगी ख़फ़ा दी है, ये जीत उसी अथक संघर्ष का भी प्रतिफल है. राहुल जितने अच्छे इंसान क्रिकेटर रहे हैं, उतने ही लाज़वाब कोच सिद्ध हुए.
डेढ़ दशक साथ में खेलने के बाद रोहित - विराट दोनों चैम्पियन ने एक साथ छोटे फॉर्मेट से सन्यास का एलान कर दिया है. इससे अच्छा वक्त इससे अच्छा मंच सन्यास के लिए कोई नहीं हो सकता. एक आता है एक जाता है यह तो नियति है, लेकिन विराट - रोहित ने जिन शब्दों का प्रयोग करते हुए सन्यास का एलान किया वो सुनना अपने आप में सुकून देह है... रोहित - विराट अपने पीछे एक विरासत छोड़कर जा रहे हैं, दोनों की भरपाई भी बड़ी मुश्किल है, लेकिन यह वक़्त आना ही था. रोहित - विराट दोनों ने न जाने कितने साझे ख्वाब देखे होंगे, न जाने कितनी आलोचना सुनी होगी जो सीमाएं लांघ जाती थी, लेकिन दोनों ने जाते हुए इतिहास लिख दिया है जो क्रिकेट इतिहास में हमेशा पढ़ाया, सुनाया जाएगा... हालाँकि भारतीय समाज को एक बार खुद पर गौर करना चाहिए जैसे आप जीत के साथ खड़े हैं क्या हार के साथ खड़े होते?? जिस दिन हमारे भारतीय समाज को इस बात की समझ आ जाएगी! हालांकि उसकी गुंजाईश नहीं है.....रोहित - विराट यार तुम दोनों ने रुला दिया इसके लिए दिल की अथाह गहराई से प्यार रहेगा ❤️
दिलीप कुमार पाठक
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