पसन्दीदा माधुरी दीक्षित जी'

'पसन्दीदा माधुरी दीक्षित जी' 
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माधुरी नाम से हिन्दी सिनेमा में एक युग शुरू हुआ था, वो आज भी तारी है. माधुरी दीक्षित एक ऐसा सिनेमाई नाम जिनका तिलिस्म लगभग चार दशकों से कई पीढ़ियों में बना हुआ है. माधुरी जितनी बड़ी अदाकारा हैं, उतनी ही उम्दा इंसान भी हैं.. 


माधुरी दीक्षित की दीवानगी का आलम कुछ यूं था कि दुनिया के सबसे बड़े चित्रकारों में शुमार एम. एफ हुसैन न कहा था. "माधुरी दीक्षित धरती की सबसे खूबसूरत महिला हैं, माधुरी दीक्षित जैसे दूसरी कोई महिला हो नहीं सकती, मुझे लगता है कि ऊपर वाले ने माधुरी नाम की एक कालजयी पेंटिग बनाई है". गज गामिनी फ़िल्म मे माधुरी ने शाहरुख खान के साथ अभिनय किया था, ये फिल्म चित्रकार को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से बनाया गया था. माधुरी दीक्षित अपनी दिलकश अदाकारी, नायाब ख़ूबसूरती, बेजोड़ अभिनय के साथ ही अपने नृत्य कौशल से आधुनिक भारत की देवी कही जाती हैं. 

माधुरी दीक्षित बहुत ही संवेदनशील महिला के रूप में भी कभी - कभार सीखने योग्य संदेश देती हैं. कोई भी प्रसिद्ध व्यक्ति अपनी कला के जरिए याद तो आता ही है. वहीँ दौलत - शोहरत भी दूसरा पहलू है. सबसे ज़्यादा वो ही याद किया जाता है, जो समाज के लिए कुछ करे. इंसानो के प्रति तो कोई भी दयावान हो सकता है, लेकिन हमे ध्यान रखना चाहिए, कि हम बेजुबान जानवरो के प्रति कितने संवेदनशील हैं! हमे एक बार खुद से जरूर पूछना चाहिए. आज माधुरी दीक्षित को उनके जन्मदिन पर करोड़ों लोग शुभकामनाएं दे रहे हैं....माधुरी दीक्षित की बेज़ुबान जानवरों के लिए उनकी भावनाएं वाकई उन्हें आला स्वभाव का बनाती है.

बेज़ुबानो के लिए अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए माधुरी कहती हैं - "भारत भर में, आवारा कुत्ते और बिल्लियाँ सड़कों पर जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं. उनमें से कई भूखे मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं. हम इंसानों के कारण हमारी निरंकुशता के कारण या वाहनों से टकरा कर मर जाते हैं. वहीँ कुछ पशुओं को आश्रय स्थलों में सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है, क्योंकि उनके रहने के लिए कोई पैबंद नहीं है. एक मादा कुत्ते की नसबंदी से करोड़ों जन्मों को रोका जा सकता है, और एक मादा बिल्ली की नसबंदी से सात साल में लाखों जन्मों को रोका जा सकता है. नसबंदी के बाद जानवरों को सड़कों और आश्रयों से बाहर सुरक्षित रहते हैं. नसबंदी वाले जानवर भी लंबे समय तक जीवित रहते हैं, स्वस्थ जीवन जीते हैं और उनके घूमने, लड़ने या काटने की संभावना भी कम होती है. अगर ऐसे होता है तो लोगों में जानवरों के लिए प्यार नहीं होगा तो उनके प्रति घृणा भी नहीं होगी, लेकिन अभी जो आवारा जानवरो की स्थिति है, लोगों को जानवरों से घिन आती है". माधुरी दीक्षित हमेशा जानवरों की मदद के लिए तत्पर रहती हैं. कुछ महीने पहले, उन्होंने अपनी खिड़की से एक तार से लटकते हुए एक पक्षी को देखा और पक्षी को मुक्त करने के लिए अपने सहयोगियों को मदद के लिए बुलाया. 2001 में, यह जानने के बाद कि असम में हाथियों को बेरहमी से मारा जा रहा है, माधुरी दीक्षित ने पेटा इंडिया की ओर से उस क्षेत्र के अधिकारियों को एक पत्र भेजा. और आवाज़ उठाई. माधुरी कहती हैं - "कुत्तों और बिल्लियों को खरीदने के बजाय गोद लेने का चयन करके जीवन बचाने में मदद करें.  जानवरों की नसबंदी करके उन्हें लंबे और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण का अभ्यास करने की भी प्रतिज्ञा करें. हर व्यक्ति अपनी ज़िन्दगी में सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए भागमभाग कर रहा है, लेकिन अंतिम दौड़ तो यही है कि हम कितने बेहतर इंसान है..... बेहतर इंसान बनना ही अंतिम लक्ष्य होता है. 

माधुरी दीक्षित को उत्तम मानवीय सोच रखने के लिए 2014 में भारत में बाल अधिकारों के लिए यूनिसेफ सेलिब्रिटी एडवोकेट नियुक्त किया गया था. माधुरी ने कॅरियर पीक पर बच्चों के लिए अपनी सिनेमाई सफ़र से ब्रेक लेने के बाद एक बेह्तरीन माँ के रूप में पहचान मिली. उनकी करिश्माई शख्सियत भारत के विभिन्न समुदायों और वर्गों में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए, बच्चों के मौलिक अधिकारों के संदेश का प्रचार करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं. माधुरी दीक्षित विशेष रूप से बाल श्रम और बाल तस्करी की रोकथाम और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करते हुए यूनिसेफ का समर्थन करती रही हैं. इन मुद्दों पर उनकी कुछ प्रमुख जन-कल्याण घोषणाओं को बड़े पैमाने पर भारत के विभिन्न समुदायों को शिक्षित करने के लिए संचार-सामग्री के रूप में उपयोग किया जा रहा है. यूनिसेफ के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बात करते हुए, माधुरी दीक्षित कहती हैं, “उचित पोषण, परवरिश और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का मूल अधिकार है. मैं इस महत्त्वपूर्ण विषय का पूरा समर्थन करती हूँ और लोगों के बीच इन मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहती हूँ, ताकि हमारे देश के बच्चों को उनके मूल अधिकार मिल सकें. मुझे खुशी है कि मैं इस मंच के माध्यम से अपनी आवाज़ का इस्तेमाल इन बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कर सकती हूं". माधुरी दीक्षित ने अपनी अदाकारी के साथ, डांस, अपने लुक, शिष्ट व्यवहार के कारण जितनी आकर्षक हैं, उतनी ही मानव अधिकारों एवं मनुष्यता के लिए भी खूब काम करती हैं. 

सिनेमा को लेकर माधुरी का समर्पण तो अनोखा ही है, उन्होंने कालजयी फिल्म देवदास के एक गीत “कहे छेड़ छेड़ मोहे ” में जो घाघरा डाला था उसका वजन 30 किलो था... औसतन शरीर होते हुए भी माधुरी दीक्षित ने अपना समर्पण सिद्ध किया. 

यूँ तो माधुरी दीक्षित अपनी अदाकारी से सर्वकालिक महान अभिनेत्रियों में शुमार हैं. अपने अभिनय से सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए चौदह बार नामांकित होने का अनोखा रिकॉर्ड भी उनके पास है. आज के दौर में नई -नई अभिनेत्रियाँ माधुरी दीक्षित जैसे बनना चाहती हैं, आज माधुरी दीक्षित आदर्श अभिनेत्री के रूप में जानी जाती है, हालांकि यह उनकी प्रतिभा, समर्पण का प्रतिफल है. एक दौर में माधुरी दीक्षित सबसे ज्यादा फ़िल्मों के लिए फीस लेती थीं. हर दौर में सिनेमा में राईवलरी रही है, कभी मीना कुमारी - मधुबाला में तो कभी आशा पारेख - वहीदा रहमान में कभी रेखा - हेमा मालिनी में इनके बाद ही श्री देवी - माधुरी दीक्षित की राईवलरी शुरू हुई... हालाँकि श्री देवी - माधुरी दीक्षित अपने शिष्ट व्यवहार के लिए जानी जाती हैं, दोनों ने कभी भी अपनी राईवलरी को स्वीकार नहीं किया. 90 के शुरुआत में ही श्रीदेवी का ग्राफ गिरने लगा था, वहीँ माधुरी तेजाब फिल्म से सुपरस्टार बनीं... बाद में हिन्दी सिनेमा में धक-धक गर्ल से प्रसिद्ध हुईं. माधुरी दीक्षित के जीवन पर अधिकांश जानकारियां पब्लिक डोमेन में हैं, कोई रहस्यमय पर्सनैलिटी नहीं है. 

दिल तो पागल है, साजन, हम आपके हैं कौन, दिल, तेजाब, जैसी रोमांटिक फ़िल्मों में बेह्तरीन रोल करने के लिए जानी जाती हैं. माधुरी जब पर्दे पर रोमांस करती थीं, तब हम और हमारे पिता उनसे और एक पीढ़ी के लोग यानी कि तीन पीढ़ी के लोगों के दिल धड़कने लगते थे. ऐसे रोमांटिक रोल करने वाली माधुरी दीक्षित ने नारी सशक्तिकरण के लिए भी एक से बढ़कर एक फ़िल्मों में यादगार रोल किए. ‘लज्जा’ राजकुमार सन्तोषी की फिल्म में पुरुष प्रधान समाज की शिकार चार अलग-अलग महिलाओं की कहानी दिखाई जाती है. इसमें मनीषा कोइराला, रेखा, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, अजय देवगन, महिमा चौधरी नजर आए थे. यह फिल्म अपनी कहानी के लिए जानी जाती है. लज्जा को कल्ट फिल्म का दर्जा हासिल है. गुलाब गैंग में माधुरी दीक्षित जूही चावला के साथ दिखती हैं. यह पुरुष प्रधान समाज पर गहरी चोट करती हुई फिल्म है, जिसमें माधुरी दीक्षित का दमदार अभिनय देखा जा सकता है. 

प्रकाश झा सामजिक फ़िल्मों के निर्माण के लिए विख्यात हैं. प्रकाश झा ने एक महिला प्रधान फिल्म बनाई थी, जिसमें शबाना आजमी, माधुरी दीक्षित, अयूब खान और ओम पुरी जैसे मंझे हुए अदाकारों का जमघट था. इसमें भी माधुरी पितृसत्तात्मक समाज की सोच के खिलाफ लड़ती नजर आ रही हैं. अंजाम फिल्म तो माधुरी के फैन्स को देखना ही चाहिए. अंजाम फिल्म माधुरी दीक्षित की महान अदाकारी का नायाब स्मारक है. अंजाम बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई थी, लेकिन फिल्म को समीक्षकों ने खूब सराहा था. अंजाम में स्त्री मन को दिखाया गया है, कि स्त्री को कोई दौलत, ताकत से नहीं जीत सकता. हालाँकि स्त्री एक संवेदनशील इन्सान को अपना दिल दे देती है, लेकिन एक बार स्त्री किसी के प्रति घृणा पाल ले तो फिर उस व्यक्ति से प्रेम नहीं कर सकती. शुरू में लगता है, कि फिल्म एक सरफिरे आशिक की कहानी है, लेकिन जैसे ही ये आगे बढ़ती है. फिर सीधी सादी माधुरी अंगार बन कर बदला लेती हैं, हालांकि फिल्म में एक मनुष्यता की झलक भी है, क्योंकि खुद फिल्म में शाहरुख उनके दुश्मन होते हैं, और वो अपंग हो जाते हैं, जिससे माधुरी अपंग व्यक्ति को मारकर बदला नहीं लेना चाहती, खुद उसकी केयर टेकर बनकर ठीक कर देती हैं, फिर अपना बदला लेती हैं. फिल्म में असली नायिका माधुरी ही साबित होती हैं 

माधुरी दीक्षित तेजाब, परिन्दा, अंजाम, हम आपके हैं कौन देवदास, राम - लखन, साजन खलनायक जैसी सुपरहिट फ़िल्मों के लिए जानी जाती हैं. माधुरी दीक्षित अपनी अलौकिक नृत्य प्रतिभा के लिए नृत्य की देवी के लिए याद की जाती हैं. आम तौर पर अभिनेत्रियां विवाह के बाद या दूसरी पारी में सफल नहीं होतीं... वहीँ माधुरी दीक्षित का चार्म अब तक बना हुआ है... दूसरी पारी में माधुरी दीक्षित ने कुछ यादकर भूमिकाएं की. डेढ़ इश्किया, आजा नचले, गुलाब गैंग, लज्जा, गजकामिनी जैसी फ़िल्मों में यादकर अभिनय किया... माधुरी दीक्षित जितना अपनी फ़िल्मों के लिए सराही जाएंगी, उससे कहीं अधिक अपनी उच्च मानवीय सोच, सामाजिक जीवन में लोगों के प्रति कुछ करने के लिए भी सराही जाएंगी. माधुरी दीक्षित आला स्वभाव की बेहतरीन इंसान हैं... आख़िरकार हम सब बेहतरीन इंसान बनने के लिए ही जद्दोजहद कर रहे हैं. माधुरी दीक्षित ने अपने बाद की अभिनेत्रियों के लिए एक अध्याय ज़रूर लिखा है, जिसे पढ़ते हुए आज की नई अभिनेत्रियां भी किवदंती बनने के लिए दौड़ रही हैं. 

दिलीप कुमार

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