"कर चले हम फ़िदा'"

"कर चले हम फ़िदा" 
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", कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो" युद्व की विभीषिका पर बनाई गई चेतन आनन्द फ़िल्म 'हक़ीक़त' का यह गीत सुनकर लोगों के मन में देशप्रेम उमड़ने लगता है. इस गीत में राष्ट्रवाद जैसी उग्रता नहीं है, अपितु यह गीत कर्णप्रिय बहुत मार्मिक है...ख़ास बात इतना कर्णप्रिय गीत फ़िल्म के शुरुआत में न बजाते हुए फ़िल्म निर्देशक ने इसे फ़िल्म के क्लाईमेक्स में प्ले किया. अब तो सभी को ज्ञात हो चुका है कि गोल्डन एरा में हर एक गीत अपने आप में एक फ़साना है. यह गीत भी अपने आप में एक कहानी है. जो फिल्म क्लाईमेक्स थीम सोंग ट्रेंड सेटर बना हुआ है. 

1964 में देवानंद साहब के बड़े भाई फ़िल्मकार 'चेतन आनन्द' के द्वारा युद्घ की विभीषिका पर बनाई गई फिल्म 'हक़ीक़त' सबसे कालजयी है. इस फिल्म से पहले चेतन आनन्द एक और फ़िल्म बना रहे थे उस फ़िल्म को बनाने के लिए चेतन आनन्द को और 25 हज़ार रू की आवश्यकता थी. उनकी यह ज़रूरत पूरी नहीं हो पा रही थी. तब उनकी पत्नि ने अपनी सहेली से पूछा कि तुम्हारे मामा तो पंजाब के मुख्यमंत्री हैं? क्या चेतन आनन्द उनसे बात करें?? तब उस सहेली ने कहा "आप मेरे मामा पंजाब के मुख्यमंत्री से मिल कर अपनी समस्या बताइए ; शायद आपकी समस्या हल हो जाए. 'चेतन आनन्द' को तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री 'प्रताप सिंह कैरो' ने यह कहते हुए मदद किया - "मैं आपकी मदद कर देता हूं लेकिन एक शर्त पर की आपको चीनी हमले में शहीद हुए वीरों पर फ़िल्म बनाना होगा". चेतन आनन्द ने कहा - "फ़िल्म तो बन जाएगी लेकिन सेना, वर्दी, युद्ध की विभीषिका पर बनी फ़िल्म भला कौन देखेगा? सीएम कैरो ने कहा "आप फ़िल्म तो बनाइए पूरा का पूरा पंजाब देखेगा, साथ ही पूरा पंजाब आपके साथ खड़ा रहेगा. चेतन आनन्द रायटर के साथ पूरी रात लगे रहे और स्क्रिप्ट तैयार करके सीएम के पास पहुंचे. चेतन आनन्द ने सीएम का दिल जीत लिया. और 'हकीक़त' फ़िल्म के लिए दस लाख फाईनेंस भी करा लिया.. इसी के साथ शुरू हुआ कल्ट क्लासिक फ़िल्म 'हक़ीक़त' एवं उसके कालजयी गीतों का सिलसिला....

सितारों से सजी इस फिल्म में महान बलराज साहनी, धरम जी, विजय आनंद, प्रिया राजवंश, संजय खान, अमजद खान के पिता जयंत, शेख मुख्तार, सुधीर आदि कलाकारों की अदायगी अपने फलक पर थी. फिल्म के गीत  कैफी आज़मी साहब ने लिखे और  महान संगीतकार मदनमोहन जी ने दिलकश संगीत तैयार किया. फिल्म 'हकीकत' के सारे के सारे गीत सुपरहिट हुए. 

मसलन, "होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा", "जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है" , "कहीं वो तुम तो नहीं".... "मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था"... आदि सारे के सारे गीत आज भी गुनगुनाए जाते हैं, लेकिन सभी गीतों में सबसे ज्यादा सुना गाया जाने वाला कालजयी गीत - "कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों"... 
इस गीत की भी बेहद दिलचस्प दास्ताँ है..'कैफ़ी साहब ने जब यह गीत लिख कर चेतन आनन्द को सुनाया, और गीत देने से पहले दो शर्तें रखी - "चेतन साहब पहली शर्त यह है कि यह गीत कई अदाकारो पर फ़िल्माया जाना हैं फिर भी इसे आवाज़ सिर्फ़ और सिर्फ़ महान रफ़ी साहब देंगे' जबकि फिल्म के अन्य गीतों में 'मन्ना दा', 'भूपेंद्र सिंह' आदि गायक भी अपनी आवाज़ देंगे, फिर भी मुझे विश्वास है कि इस गीत के साथ महान रफ़ी साहब ही न्याय कर पाएंगे. दूसरी शर्त जो सबसे महत्वपूर्ण है. हो सकता है, आपको अज़ीब लगे ! क्यों कि मैं कोई फ़िल्मकार नही हूं एक गीतकार हूं, फिर भी कहूँगा यह गीत फ़िल्म के क्लाईमेक्स में बजेगा". 

चेतन आनन्द न कहा - "कैफ़ी साहब गीत रफी साहब गाएंगे यह कोई शर्त नहीं है, भला कौन होगा जो रफी साहब की आवाज़ नहीं चाहेगा? मुझे आपकी शर्त स्वीकार है. लेकिन फिल्म का सबसे यादगार गीत क्लाईमेक्स में बजेगा तो इसे सुनेगा कौन? और इसका क्या लाभ?? जबकि क्लाईमैक्स तक तो बहुतेरे दर्शक सिनेमा हॉल से बाहर चले जाएंगे". कैफ़ी साहब ने कहा - "यह गीत ही फिल्म की जान है जब दर्शक घर जाने के लिए खड़े होंगे तब हॉल में "कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो" गीत गूंजेगा ".चेतन आनन्द को कैफ़ी साहब की बात माननी पड़ी. गाना तैयार हुआ रफी साहब ने अपनी जादुई आवाज़ से गीत को अमरत्व दे दिया. जब रिलीज के पहले ही दिन पहले शो के क्लाईमेक्स में रफी साहब की दिलकश आवाज़ में यह गीत बजा तो ऐसा कोई भी दर्शक नहीं था, जो देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत न हुआ हो. आज भी जब यह गीत रफी साहब की दिलकश आवाज़ में बजता है तो हर किसी के आँखों से अश्रुधारा फ़ूट पड़ती है. 

पहले ही दिन पहले शो देखने आए लोगों की आँखों में आंसू भी थे और देश के लिए जान देने की भावना भी.. चेतन आनन्द सहित 'हक़ीक़त' फिल्म की यूनिट को यह अंदाज़ा नहीं था कि 'कैफ़ी आज़मी' का यह प्रयोग रफ़ी साहब की आवाज़ मदनमोहन जी के संगीत के साथ ऐसा तिलिस्म रचेगा. तब तक के इतिहास का यह पहला गीत था जो फिल्म खत्म होने के बाद क्लाईमेक्स में बजता है. इससे पहले कभी किसी फिल्म में कभी कोई थीम सोंग फिल्म के क्लाईमैक्स में नहीं बजाया गया था. शायद यह गीत फ़िल्म क्लाईमैक्स गीत का ट्रेंड लाने वाला गीत  "कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो" ही रहा. आज तो सैकड़ों ऐसे गीत सुनाई देते हैं, लेकिन फिल्म थीम सोंग बजने के पीछे कैफ़ी आज़मी की सोच थी जिसे फ़िल्मकार चेतना आनन्द ने सिल्वर स्क्रीन पर उतारा था. 

चेतन आनन्द ने पंजाब के सीएम कैरो से किया वायदा तो पूरा किया ही साथ ही देश के सैनिकों को भी अपनी फिल्म मेकिंग से सम्मान दिया. वही हिन्दी सिनेमा एवं संगीत प्रेमियों में देश प्रेम का ज़ज्बा भी पैदा किया. युद्ध की विभीषिका एवं देश प्रेम से सम्बन्धित फ़िल्मों में हक़ीक़त आज भी सबसे आला मुकाम रखती है. "कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो" गीत आज भी लोकप्रिय, कर्णप्रिय बना हुआ है. 

दिलीप कुमार 

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