क्रिकेट प्रेमियों को मनोरंजन के रास्ते तलाशने होंगे

क्रिकेट प्रेमियों को मनोरंजन के रास्ते तलाशने होंगे 
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कहावत है जो भी खुद को समय के साथ नहीं बदलेगा वो स्वतः ही पीछे हो जाएगा. जैसे नोकिया खुद को नहीं बदल पाया आज मार्केट में खड़ा नहीं हो पा रहा. जो भी खुद को अपडेट कर लेगा बदलते हुए दौर के साथ वही कदमताल कर पाएगा उदाहरण अमिताभ बच्चन को देख लीजिए आनन्द, मिली, चुपके - चुपके अभिमान जैसी कलात्मक फ़िल्मों में काम करने वाले अभिनेता आज ब्रह्मास्त्र जैसी फ़िल्मों में काम कर रहे हैं. वक़्त के साथ बदलाव प्राकृतिक है. 

हम वन डे, टेस्ट क्रिकेट कमेंट्री रेडियो में सुनते हुए बड़े हुए. फ़िर एक बार विश्व क्रिकेट में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ, आईसीसी ने क्रिकेट को रोचक बनाने के लिए 20-20 ओवर  वाले मैच की शुरुआत कर दी. हम सब समझ नहीं पा रहे थे, कि यह कैसा क्रिकेट है यहां तक कि सचिन, द्रविड़ जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने खेलने से ही मना कर दिया था. धोनी नए-नए खिलाड़ियों को लेकर टी - 20  विश्वकप जीतकर ले आए.  पहले टी 20 विश्वकप की कामयाबी के बाद दुनिया जुड़ती चली गई. कुछ जिद के कारण नहीं जुड़े लेकिन क्रिकेट प्रेमी धीरे - धीरे मजबूरन ही सही जुड़ते चले गए. दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई ने क्रिकेट प्रेमियों की नब्ज़ पकड़ते हुए इन्डियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की शुरुआत कर दी. टी 20 विश्वकप के सफल आयोजन को देखते हुए सचिन, द्रविड़, गांगुली, जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने भी खेलना ही उचित समझा. टेस्ट क्रिकेट प्रेमी अब तक टी - 20 के आघात से बाहर निकल भी नहीं पाए थे कि आईपीएल आ गया. पहला सीज़न विचित्र सा लग रहा था सचिन, द्रविड़ के ऑउट होने का जश्न मना रहे थे तो गांगुली, द्रविड़ के आउट होने की खुशी मना रहे थे जैसे आज ड्रीम 11 का स्लोगन है कि टीम से बड़ा कुछ नहीं. इस विचित्र से क्रिकेट पर यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसे भी क्रिकेट हो सकता है. 

आज चकाचौंध प्रीमियर लीग में क्रिकेटर, अभिनेता, राजनेता उद्योगपति सभी का दखल बना हुआ है. हो भी क्यों न दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार क्रिकेट भी तो यही है. इस उपयोगिता का महत्त्व समझते हुए धीरे धीरे ग्लैमर, पैसा, स्टारडम सबकुछ जुड़ता चला गया. 

बीते दिनों मुहम्मद कैफ ने कहा - 'आईपीएल ने इंग्लैड, ऑस्ट्रेलिया के खिलाडियों को बदलकर रख दिया है. पहले वहाँ के खिलाड़ी हम लोगों को भाव नहीं देते थे, लेकिन आईपीएल की लोकप्रियता, पैसे ने उनके स्वभाव को बदलकर रख दिया है. अब विदेशी खिलाड़ियों के साथ कोई गाँव का खेल रहा लड़का भी सहज होता है'. देखा जाए तो कैफ ने सही कहा है. रोहित की कप्तानी में पोंटिग, सचिन खेले.. आज गायकवाड़ की कप्तानी में दुनिया के सबसे बड़े कप्तान एमएस धोनी खेल रहे हैं. आईपीएल ने देशी - विदेशी खिलाड़ियों को बराबरी पर खड़ा कर दिया. क्रिकेट में सीनियर - जूनियर जैसा कुछ नहीं रहा. सिर्फ़ पैसा अहमियत रखता है. 

आज हम जैसे क्रिकेट प्रेमी इस बात पर परेशान होते हैं कि बॉलरर्स की जगह बोलिंग मशीन क्यों नहीं रख लेते ! जब 20 ओवर के लगभग हर मैच में पौने 300 रन बन रहे हैं इस हिंसा से क्रिकेट की रोचकता खत्म हो जाएगी.. मैं भी इस बात से सहमत हूँ वाकई क्रिकेट की रोचकता खत्म हो जाएगी, लेकिन नई पीढ़ी को क्रिकेट की रोचकता बड़े स्कोर के मैच में ही दिखाई दे रही है, वैसे आजकल मैं हिन्दी कमेंट्री नहीं सुनता फिर भी एक दिन मैंने धोखे से आईपीएल की हिन्दी कमेंट्री सुनी उसमें क्रिकेट की कोई टेक्निकल बातेँ नहीं थीं, गेंद ऊंची जाती हुई और ये बाउंड्री लाइन के बाहर जाएगी, और नहीं जा सकी, चूंकि फील्डर मौजूद हैं. सुनने वाले को पता ही नहीं गेंद ऊंची कहाँ से गई फील्डर कहाँ खड़ा है'. नई पीढ़ी को कमेंट्री आदि में ज्यादा कोई रुचि नहीं है. वो मैच से ज्यादा ड्रीम 11 पर समय खर्च करते हैं. जबकि हम रेडियो पर कमेंट्री सुनकर ही क्रिकेट एंजॉय करते थे. रेडियो कमेंट्री सुनकर पूरा का पूरा क्रिकेट मैच सुनते हुए ही देख लेते थे. लेकिन एचडी क्वालिटी ने कमेंट्री को ही खत्म कर दिया . जैसे कविताओ में अब तुकबन्दी चलती है वैसे ही क्रिकेट कमेंट्री में भी अब तुकबन्दी सुनाई जाती हैं. 

हमें एक शिकायत यह भी है कि आईपीएल सट्टा बाज़ार बनता जा रहा है, जबकि इसका फॉर्मेट ही पैसा , स्टारडम, युवाओं को जोड़ने के लिए ही हुआ था.  ड्रीम 11, माय 11, टाइप कम्पनियाँ आईपीएल के सह आयोजको में शुमार हैं, 
 इनका प्रमुख स्त्रोत सट्टा ही है, जाहिर है ये अपनी वसूली तो करेंगी ही करेंगी. प्रमुख बात कंपनियां बीसीसीआई के रूपए मानकों पर खरा , उतर रही हैं, बस डिस्क्लेमर लगा देती हैं कि यह खेल जोखिमो के आधीन है जिम्मेदारी से खेलें लत लग सकती है'. जैसे गुटखा कम्पनियों के विज्ञापन में लिखा होता है तंबाकू से कैंसर होता है. यह इसलिए लिख दिया जाता है कि हमारा समाज थोड़ा संस्कारी रहा है इसलिए कि लोगों की भावनाएं आहत हो जाती हैं. अतः किसी की भावनाएं भी आहत न हों , और व्यापार नैतिकता के दायरे में आ जाए  !!!! 

पहले सिर्फ़ क्रिकेट बोर्ड खेलते थे, फिर खिलाड़ियों को फ्रेंचाइजी क्रिकेट में कुदा दिया, और रही कसर और पूरी हो गई. अब क्रिकेट बोर्ड, खिलाडियों सहित क्रिकेट प्रेमी भी ड्रीम 11 खेल रहे हैं.. ग़र नहीं भी खेलते उसका भी उपाय है. भारतरत्न क्रिकेट के भगवान, क्रिकेट के किंग, क्रिकेट के दादा, कैप्टन कूल, लिटिल मास्टर, मुल्तान का सुल्तान, हिटमैन सारे के सारे आईपीएल प्रेमियों सहित क्रिकेट का सट्टा खेलने के लिए आव्हान कर रहे हैं, अब ऐसे कैसे हो सकता है युवा पीढ़ी इनका कहना न माने सारे के सारे ड्रीम 11, माय 11 खेल रहे हैं. मुझे लगता है हम आईपीएल को क्रिकेट के नाम पर अश्लीलता, या सट्टा कहते हुए विरोध करते हैं तो हमें आईपीएल देखने से परहेज़ करना चाहिए. वैसे भी आईपीएल हम जैसे शुद्ध क्रिकेट प्रेमियों के लिए नहीं है इसकी परिकल्पना भी आज के एक भगोड़े करप्ट इंसान ने की थी. और इसमे आप सरकार वाला एंगल भी ढूँढ कर कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे क्योंकि यह कांग्रेस की सत्ता के दौर में शुरू हुआ था आज जिसका संचालन देश के गृहमंत्री के सुपुत्र करते हैं, सह संचालन आज भी कांग्रेस के एक बहुत बड़े नेता कर रहे हैं. अब क्या ही एंगल ढूंढे?? 

कुछ महीने पहले मैंने एक खबर पढ़ी थी कि बीसीसीआई साल में आईपीएल का दूसरा सीज़न भी लाने वाली है मतलब एक साल में दो बार आईपीएल होगा. कुछ टीमें और बढ़ेगी. अभी ढाई महीने पूरी तरह से विश्व क्रिकेट आईपीएल में व्यस्त रहता है. सोचिए ग़र दो सीज़न आ गए तो मानकर चलिए क्रिकेट के नाम पर छह महीने सिर्फ़ और सिर्फ़ आईपीएल मिलेगा. मुझे नहीं लगता अमीर बीसीसीआई के सामने आईसीसी की चल पाएगी आप सभी को तो पता ही होगा क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लंदन से आईसीसी का मुख्यालय दुबई पहुंच गया है. अब या तो हम जैसे क्रिकेट प्रेमी खुद को बदल लें या इससे खुद को अलग कर लें. वैसे भी मैं कभी - कभार आईपीएल देखता हूं  तो हिन्दी कमेंट्री नहीं सुनता क्योंकि वो झेली नहीं होती. इंग्लिश कमेंट्री ही सुनता हूं. ड्रीम11 मैं खेलता नहीं, वैसे ही जैसे गुटखा, शराब का सेवन नहीं करता. अब रहा सवाल आईपीएल हिंसक, अश्लील होने का तो हमें अपने मनोरंजन के रास्ते तलाश करने होंगे. या इसी की तरह बनना होगा. 

दिलीप कुमार 









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