आँखों से अभिनय करने वाला अदाकार

आँखों से अभिनय करने वाला अदाकार 

अजय देवगन 

90 के दशक में एक नए ऐक्टर की एंट्री होती है, जो अपनी स्टाइल, संजीदा अभिनय से सभी को अपना दीवाना बना लेता है. 'फूल और कांटे' फिल्म में दो बाइक पर खड़ा एंट्री लेने वाला स्टाइलिश ऐक्टर अजय देवगन देखने में हीरो टाइप नहीं लगते ही नहीं थे. नसीर साहब, ओम पुरी, नाना पाटेकर के बाद ख़ैर इस बहस पर तो मिट्टी डालना चाहिए कि हीरो को फेयर, लम्बा, ख़ूबसूरत होना ही चाहिए. फ़ूल और कांटे से अजय देवगन ने युवाओं में जबरदस्त लोकप्रियता की पैठ बनाई. जिसका असर आज भी दिखाई देता है. अजय ऐसे संजीदा अभिनेता हैं, जो अपनी आँखों से सारा अभिनय कर देते हैं, जिनकी आँखे बोलती हैं. अजय देवगन ऐक्टिंग स्किल में अपने दौर के मेन स्ट्रीम अभिनेताओं में अव्वल हैं. उनकी सिनेमैटोग्राफी इस बात की गवाही देती है. 

90 के दशक में सिल्वर स्क्रीन पर एक से बढ़कर एक ऐक्टर छाए हुए थे. दूसरी पीढ़ी के ऐक्टर अमिताभ बच्चन, तीसरी पीढ़ी के सनी देओल, अनिल कपूर, ऋषि कपूर, गोविंदा आदि का कॅरियर पीक पर था. फिर भी अजय देवगन ने अपनी प्रतिभा का नायाब प्रदर्शन किया. अजय देवगन की पहली फ़िल्म जब रिलीज होने के लिए तैयार थी, तब उस दौर के बड़े ऐक्टर अनिल कपूर - श्रीदेवी जैसे दिग्गजों की फिल्म लम्हें भी रिलीज के लिए तैयार थी. अनिल कपूर ने बाकायदा समझाया भी था... 'हमारी बड़ी फिल्म है, हम स्थापित कलाकार हैं, हमारे साथ क्लैश मत करो, हमारा क्या ही नुकसान होगा. अपनी फ़िल्म को हटा लो अन्यथा तुम्हारा कॅरियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा'... बहरहाल फिल्म रिलीज करना, न करना अजय देवगन का निर्णय नहीं था, लेकिन डेब्यू कर रहे ऐक्टर की फिल्म के सामने दिग्गज अनिल कपूर - श्रीदेवी की फिल्म लम्हे औंधे मुँह गिर गई थी. अजय देवगन की शिष्यता भी कमाल की है, उन्होंने कहा था लम्हे फिल्म का सब्जेक्ट नया था शायद इसलिए फिल्म नहीं चली अन्यथा अनिल कपूर बहुत बड़े ऐक्टर हैं. ऐसे सम्मान जाहिर करते हुए उन्होंने अनिल कपूर के प्रति आदर का भाव प्रदर्शित किया था. आप कुछ भी हासिल कर लें आपको अपनी शिष्टता नहीं छोड़ना चाहिए. 

तीनों खानों के स्टारडम का फलक तो अंधों को भी दिखता था. जब तीनों खान पीक पर थे तो लगता था कोई आसपास है ही नहीं. वहीँ अपनी ऐक्टिंग स्किल के दम पर अजय देवगन तीनों खानों के साथ लगातार तीन दशकों से कदमताल करते हुए अजय का स्टारडम हमेशा कायम रहा. अजय का स्टारडम हमेशा स्थायी रहा है..सिनेमा की दुनिया अपने तरीके से उलट - पलट होती रहती है, लेकिन अजय की सिनेमाई दुनिया अपनी गति से चलती है. अजय की टाइमिंग कमाल की है, जैसे कोई बल्लेबाज पांच-दस मैच खेलने के बाद अचानक से शतक लगा देता है, वैसे ही अजय अचानक से कोई न कोई बेहतरीन सब्जेक्ट लेकर आते हैं और ब्लॉकबस्टर दे जाते हैं. सफलता के रूप में अजय तीनों खानों के प्रतिस्पर्धी रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी अफवाहों के बाज़ार को कोई हेडलाइन नहीं दी. अजय मध्यमार्गी स्वाभाव के सहज व्यक्ति मालूम होते हैं. ऐसे स्वभाव के व्यक्ति का ठहराव अपने आप में बेमिसाल होता है. 

हिन्दी सिनेमा अपने समय के साथ बदलता रहता है, साथ ही किसी भी अभिनेता का सुपरस्टारडम कुछ समय के लिए ही रहता है. फिर कोई और स्टार पटल पर आता है. हिन्दी सिनेमा का यही अंदाज़ है. हालाँकि अभिनय के लिए जाने वाले अभिनेताओं की दुनिया अलग है, वो न पुराने होते हैं और न अप्रासंगिक....हिन्दी सिनेमा में तरह तरह के ट्रेंड आते रहते हैं लेकिन ऐक्टिंग का अपना ट्रेंड एक ही रहा है, ग़र आपको हिन्दी सिनेमा में अपनी पहिचान बनाना है या आपको स्थापित होना है तो आपको चाहिए अभिनय सिर्फ़ अभिनय. आप नृत्य कौशल, स्टंट आदि से कुछ समय के लिए ध्यान आकृष्ट कर सकते हैं लेकिन तय है कि आप बिना ऐक्टिंग स्थापित नहीं हो पाएंगे.  

अजय देवगन के अप्रासंगिक न होने का प्रमुख कारण है उनका प्रायोगिक होना. अजय ने समय-समय पर बदलते हुए समय के साथ खुद के साथ ही अभिनय में भी बखूबी बदलाव किया है यही कारण है कि आज भी टिके हुए हैं. अजय के स्क्रिप्ट समझने की क्षमता कमाल है क्योंकि वो एक उम्दा निर्देशक भी हैं. 90 के दशक में दिलवाले, का जुनूनी अभिनय, जिसने भारतीय समाज को बदल कर रख दिया था. भगत सिंह का कालजयी किरदार अजय ने अमर कर दिया था. अपहरण, लज्जा, दिलजिले, गंगाजल आदि में अजय का ताब देखते ही बनता है. वहीँ तानाजी बदलते हुए दौर में भी एक बडा रिस्की सफल प्रोजेक्ट है. हिस्टोरिकल प्रोजेक्ट्स पर कैसे काम किया जाता है अजय आज के अभिनेताओं के लिए प्रेरणा हैं. 

अजय की फिल्‍म ‘फूल और कांटे’ अपने दौर की सबसे चर्चित सुपरहिट फ़िल्म थी. इस फिल्‍म में दो मोटर साइकिल पर पैर रखकर की गई एंट्री आज तक चर्चा का विषय बनी रहती है. 'फूल और काँटे' के बाद आई उनकी फिल्‍म ‘जिगर’ भी हिट रही. इसके बाद उनकी कई फिल्‍में आईं, जिन्‍होंने बॉक्‍स ऑफिस पर अच्‍छा व्‍यवसाय किया. फिल्‍म ‘हम दिल दे चुके सनम’ उनके कॅरियर का टर्निंग प्‍वाइंट रही, जिसके लिए उन्‍हें कॉफी प्रशंसा मिली. महेश भट्ट की ‘जख्म’ एवं राजकुमार संतोषी निर्देशित फ़िल्म 'द लेजेंड भगत सिंह' के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बदलते हुए दौर में अजय देवगन ने खुद पर जबरदस्त काम किया. अब हीरो बॉडी वाले ही चलेंगे, वहीँ कन्टेन्ट भी सतही था, फ़िर भी अजय ने खुद को बदल डाला. 2011 में आई उनकी फ़िल्म 'सिंघम' में एक्सन हीरो के रूप में लोगों ने खूब पसंद किया. आज के दर्शको के लिए सिंघम सीरीज सक्सेसफुल है. कम्पनी, खाकी, शेक्सपियर के नाटक पर आधारित ओमकारा अजय का सर्वोत्तम सिनेमा है. 

अजय देवगन की हेयरस्टाइल हमने भी रखी हुई थी. भले ही एक जमात अजय को सुपरस्टार न मानती हो लेकिन उनकी हेयरस्टाइल सबसे ज्यादा कॉपी की गई थी. मैंने भी अजय की हेयरस्टाइल रखी हुई थी. हम जब अजय की फ़िल्में टीवी, थियेटर पर देखते थे तो खूब विमर्श करते थे. अजय का मज़ाक बनाया करते थे कि अजय देवगन को डांस नहीं आता. अजय खड़े - खड़े गाना समाप्त कर देते हैं लेकिन मजाल है पैर थिरक जाए. हालांकि यही अदा उनकी अद्भुत रही है जो हमेशा निखर कर आती थी. आज जब सिनेमा, अभिनय आदि की समझ बढ़ी तो पता चला कि असल अभिनय वही है जो अजय देवगन, करते हैं या उनके लीक के ऐक्टर करते हैं. क्योंकि बांकी नृत्य, स्टंट तो जुगाड़ है. अजय देवगन संजीदा, ट्रेजडी, ऐक्टिंग के साथ ही, कॉमिक अंदाज़ में भी कमाल की ऐक्टिंग करते हैं. हाल फिलहाल, शैतान, दृश्यम सीरीज, ने सिनेमा के नाजुक दौर में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है. जो काबिले तारीफ है. अजय देवगन के अंदर ऐक्टिंग के सारे तत्व मौजूद हैं, वो जब चाहे जैसी ऐक्टिंग कर सकते हैं, जो करते हैं, सिल्वर स्क्रीन पर कमाल बनकर आता है.

अजय देवगन का धैर्य, अद्भुत है, कोई नेगेटिव एटिट्यूड नहीं है, इतनी सफलता प्राप्ति के बाद भी हमेशा अपने सब्जेक्ट से भटकते नहीं है. पब्लिसिटी से बचते हैं, हमेशा अपने प्रोजेक्ट्स पर व्यस्त रहते हैं, आज के सस्ते दौर में अजय देवगन जैसे सुपरस्टार उँगलियों में गिने जा सकते हैं, जिन्होंने अपनी दुनिया अपने इर्द - गिर्द बना रखी है. आपार सफ़लता प्राप्ति के बाद भी अपनी शिष्टता नहीं छोड़नी चाहिए, ग़र कोई प्रभावी रोल मिले तो उसे करना चाहिए. अजय देवगन ने कई फ़िल्मों में छोटे मगर प्रभावी रोल किए हैं, नए - नए अभिनेताओं को अजय देवगन से सीखना चाहिए.. मैं हमेशा कहता हूं कैरेक्टर रोल में अजय देवगन का कोई सानी नहीं है, उनके समकालीन कोई भी ऐक्टर अजय देवगन की रेंज छू नहीं सकता. आने वाला दशक अजय देवगन का है, क्योंकि मुझे अजय देवगन की आला स्क्रिप्ट समझ पर पूर्णत विश्वास है. हिन्दी सिनेमा में जब इतिहास लिखा जाएगा अजय देवगन को अभिनय के लिए सर्वोत्तम मेन स्ट्रीम अभिनेताओं में शुमार किया जाएगा. 

दिलीप कुमार

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