'अब्राहम लिंकन का खत सदियों बाद भी प्रासंगिक है'
'अब्राहम लिंकन का खत सदियों बाद भी प्रासंगिक है'
(अब्राहम लिंकन)
जब वो बहुत छोटा था, मुफ़लिसी के कारण उसकी बहिन का इंतकाल हो गया... जैसे ही दस साल का हुआ, उसकी माँ उसे छोड़ दुनिया से रुख़सत हो गईं. जब वो मज़दूरी करके अपना भरण - पोषण करते हुए, थोड़ा सा समय अपनी मुहब्बत के लिए निकालता, दुःखद किशोरावस्था में ही अपनी प्रेयसी को खो दिया... पढ़ने के लिए जो नाव चलाता था, अफ़सोस वो नाव भी टूट कर नदी में समा गई.. जब वो 15 साल का था, तब मिट्रिक में फेल हो गया. जिसके पास किताबें नहीं थीं, फिर भी वो एक वकील के घर में चूल्हा - चौका का काम करता कि उसे इसके एवज़ में सिर्फ़ कानून की किताबें पढ़ने दिया जाए. जुगाड़ में पढ़कर जो संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे प्रख्यात अधिवक्ताओं में शुमार हो गया. वकालत भी ऐसी कि सिर्फ़ गरीबो के लिए मुफ्त में आवाज़ उठाना.... घर में भले ही चूल्हा न जले...
जब उसने बिजनैस में हाथ आज़माया तब 31 की उम्र में बिजनैस में भी फेल हो गया. जब 32 की उम्र में विधानसभा चुनाव लड़ा उसमे भी हार गया. 33 की उम्र में एक बार फिर बिजनैस में हाथ आज़माया और फिर से फेल हो गया. 35 साल की उम्र में मंगेतर का भी देहांत हो गया. 36 साल की उम्र में मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया. लड़ते - लड़ते उसने 43 की उम्र में कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा और फिर से हार गया. 48 साल की उम्र में एक बार उसने फिर से चुनाव लड़ा और फिर से हार गया. 55 साल की उम्र में उसने सीनेट के लिए चुनाव लड़ा और फिर से हार गया. 56 साल की उम्र में उसने उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव लड़ा और करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. 59 साल की उम्र में एक बार फिर से सीनेट का चुनाव लड़ा और फिर से हार गया.... लेकिन लड़ने की प्रबल इच्छाशक्ति से लड़ते हुए, जो आदमी ए लिंकन साइन करता था, वो अमेरिका का सोलहवां राष्ट्रपति बना... ये कोई और नहीं महान कानूनविद ग्रेट अब्राहम लिंकन हैं. संघर्ष का दूसरा नाम अब्राहम लिंकन कहा जाए तो गलत नहीं होगा...कहते हैं कुछ लोगों को भगवान फुर्सत में बनाते हैं, लेकिन कुछ कर गुज़रने का ज़ज्बा भी आला दर्जे का देते हैं. अन्यथा मुफ़लिसी में कोई अर्श से फ़र्श तक का सफ़र कर पाए आसान नहीं होता...
इतनी असफ़लता के बाद जब अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तब वो क्रूर नहीं हुए बल्कि और बेहतरीन इंसान के रूप में जाने गए. अमेरिका में जो तब तक कोई नहीं कर सका, अमेरिका में चले आ रहे सिविल वॉर को खत्म कर दिया.. जिसने अमेरिका में हर एक व्यक्ति को दूसरे के बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया. जिसने एक झटके में अपने साइन से दास प्रथा खत्म कर दिया. जिस दौर में नेताओ का मतलब चोर होता था, तब लिंकन के लिए लोगों में श्रद्धा का भाव था.
अब्राहम लिंकन नाम से पूरी दुनिया वाकिफ़ है, और उनके प्रति दुनिया में आज भी अभूतपूर्व सम्मान देखा जा सकता है. किसी शायर ने कहा है, कि यह दुनिया हादसों की जगह है, लेकिन कुछ अब्राहम लिंकन जैसे होते हैं जो दुनिया को सिर्फ़ खूबसूरत देखना चाहते हैं. इसी प्रयास में उन्होंने अपने बेटे के प्रिंसिपल को एक खत लिखा. वो खत उन्होंने लिखा तो व्यक्तिगत था, लेकिन आज वो पूरी दुनिया के लिए एक सबक है. वो खत अब पूरी दुनिया के गहन पढ़ने वालों के बीच में विमर्श का विषय बना हुआ है.. अब जाहिर सी बात है, कोई इतना संघर्ष किया हुआ, इंसान जब कुछ कह रहा है तो यकीनन उस लेटर में कुछ तो होगा ही जिससे हर व्यक्ति के नजरिए में कुछ न कुछ तो बदलाव आएगा ही... इस लेटर में लिखा हुआ एक - एक शब्द प्रत्येक समुदाय, शताब्दी, दशक के लिए प्रासंगिक है.
महान अब्राहम लिंकन लिखते हैं - 'डियर टीचर', मेरा प्यारा बेटा आज से स्कूल की शुरुआत कर रहा है. कुछ समय तक उसके लिए यह सब बहुत नया और उससे भी कहीं अधिक बहुत अज़ीब होने वाला है. कृपया आप उसके साथ नर्म पेश आएं. आप उसे मुल्क के बाहर एवं महाद्वीपों के उस पार ले जाए, ताकि उसे पता चले दुनिया उसकी कल्पनाओं से भी बड़ी है. उसे जीवन के सारे रोमांच का सामना करने के लिए तैयार कीजिए. जिसमें युद्घ की विभीषिका, और नितांत दुःख भी शामिल हो, तब उसे जीवन जीने के लिए विश्वास, प्रेम, करुणा के साथ साहस की आवश्यकता होगी.
प्रिय टीचर , क्या आप उसका हाथ थामकर उसे वह सब सिखायेंगे? जो उसे जानना चाहिए. लेकिन थोड़ा नर्मी एवं प्रेम से.. अगर आप यह कर सकते हैं, तो उसे सिखाएं कि इस दुनिया में हर दुश्मन के साथ एक दोस्त भी होता है. इस दुनिया में सारे के सारे लोग न्यायप्रिय नहीं होते. सारे के सारे लोग अन्यायी नहीं होते. दुनिया में सारे के सारे लोग सच्चे नहीं होते, लेकिन उसे सिखाएं बताएं कि इस दुनिया में बहुत सारे बुरे लोग होते हैं, वहीँ एक अच्छा हीरो भी होता है, जो सारी नकारात्मकता को जीतकर समाज को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है. एक तरफ जहां कुटिल नेताओं का जमावड़ा होगा, वहीँ एक सच्चा जननायक भी होता है. यदि आप उसे बता पाएं तो बताइए कि अपनी मेहनत से कमाए गए 10 सेंट की कीमत बेईमानी से मिले एक डॉलर से अधिक क़ीमती है.
स्कूल में नकल करके पास होने से कहीं अधिक सम्माननीय है ईमानदारी से फेल हो जाना. टीचर कृपया उसे सिखाएं कैसे शालीनता से हार को स्वीकार किया जाता है. और जब ईमानदारी से जीत हासिल हो तो कैसे उसका उपभोग करना है, कि हारे हुए व्यक्ति को आपकी जीत बुरी न लगे. उसे सिखाएं लोगों के साथ नर्मी और कोमलता से पेश आना चाहिए. वहीँ कोमलता की अपनी सीमा होती है.. कठोर लोगों के साथ थोड़ा सख्त होना भी सिखाएं. उसे ईर्ष्या की जगह शांत, सरल और संजीदगी के साथ गहरी मुस्कान का रहस्य सिखाएं. उसे सिखाएं कि जब वह दुख में हो कैसे मुस्कुराए, क्योंकि आपके आंसुओ को देखकर वैसे भी आपके आंसू पोछने कोई नहीं आएगा. फिर भी रोना पड़े तो रोने पर परहेज़ न करें, क्योंकि वही रो सकता है, जिसमें संवेदना है. उसे सिखाएं कि असफलता में भी गौरव और सफलता में भी निराशा हो सकती है, यह भी एक गूढ़ रहस्य है, जो खुलकर लोगों के सामने नहीं आया. उसे सनकियों का उपहास करना सिखाएं. कृपया उसे बताएं कि संसार की किताबों में कितने अनंत रहस्य छिपे हैं, जिन्हें आजतक समझा नहीं जा सका है.
प्यारे बच्चे की आँखों में अनंत सपने देखने की जिज्ञासा पैदा कीजिए. आकाश में पक्षियों, धूप में मधुमक्खियों और हरी पहाड़ी पर फूलों के रहस्यों के बारे में सोचने-विचारने की सालाहियत पैदा कीजिए. उसे बताएं एक बार तय कर ले कि उसके पैर सही जगह पर हैं, तो उसे अडिग रहना सिखाएं, उसे अपने विचारों के प्रति अटल रहना सिखाएं, फिर भले ही उसे हर कोई गलत ही क्यों न कहे. मेरे बेटे को यह ताकत दीजिए की जब सभी एक दिशा में जा रहे हों, तो उसे विद्रोही बनने की शिक्षा दीजिए क्योंकि भेड़चाल का रास्ता अंधा होता है. उसे हर किसी की सुनने की आदत होनी चाहिए, सभी की सुने, लेकिन सत्य को सत्यता की कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही माने. फिर अन्तरात्मा से उसे जो अच्छा लगे वही करे.
उसे इस बाज़ार के हिसाब से अपनी प्रतिभा और अपने दिमाग को सबसे ऊंचे दामों पर बेचना सिखाएं, लेकिन यह भी सिखाएं कि वो कभी किसी भी कीमत पर अपने दिल और अपनी आत्मा का सौदा न करे. उसे अधीर हो सकने का साहस दें, लेकिन साथ ही उसे धैर्यवान होने की सीख भी दें. उसे सिखाएं कि हमेशा अपनी आत्मा की उदात्तता और गहराई में यकीन करे क्योंकि तभी वह मनुष्यता और ईश्वर की उदात्तता में भी यकीन कर पाएगा. यह मेरा विनम्र आग्रह है प्रिय टीचर , लेकिन देखें कि आप सबसे बेहतर उसे क्या सिखा सकते हैं. वह इतना प्यारा छोटा बच्चा है, और वह मेरा बेटा है...मैं उसे ऐसा ही बनते देखना चाहता हूं, लेकिन उसे यह सबकुछ मैं नहीं सिखा सकता". टीचर कृपया मेरे बेटे को उत्तम इंसान बनने की शिक्षा प्रदान कीजिए'.... अब्राहम लिंकन
महान अब्राहम लिंकन का खत पूरी दुनिया में गहन पढ़ने वालों ने पढ़ा है, जिस पर विमर्श भी होता है. लिंकन के इस ख़त को प्रत्येक व्यक्ति को पढ़ना चाहिए, ताकि उसे पता चले कि एक पिता का उत्तरदायित्व क्या होता है?? वहीँ प्रत्येक टीचर को पढ़ना चाहिए कि एक भावुक पिता अपने छोटे से प्यारे बच्चे को अदद एक अच्छा इंसान बनना देखना चाहता है, क्योंकि ग़र वो एक बेहतर इंसान बन गया तो दुनिया की सच्चाइयों से अवगत होने के बाद समान्य रहेगा... यह खत पढ़ने की दरकार है.
दिलीप कुमार
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