'नीतीश कुमार को इतिहास मुआफ नहीं करेगा'
'नीतीश कुमार को इतिहास मुआफ नहीं करेगा'
नीतीश कुमार को इतिहास कायर कहेगा' जी हाँ इसी नाम से पुकारेगा.. नीतीश कुमार जेपी आन्दोलन की कोख से पैदा हुए समाजवादी नेता हैं. भारतीय राजनीति में जार्ज फर्नांडिस, जेपी नारायण, जैसे नेता जिनके गुरु थे. जननायक कर्पूरी ठाकुर, जैसे समाजवादी नेता जिनकी प्रेरणा थे, लेकिन किसी ने क्या खूब कहा है कि समाज़वादियों की शरणस्थली भाजपा ही रही है. फिर चाहे जेपी हों, जार्ज फर्नांडिस हों, या नीतीश कुमार ही क्यों न हों, नीतीश कुमार ने पद के लालच में विपक्ष को छोड़कर मोदी की टोली में शामिल हो गए.. वही नीतीश कुमार जो एक दौर में नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा नहीं करते थे, जो धर्मनिरपेक्ष भारतीय राजनीति के लिए नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा खतरनाक मानते हुए भाजपा से गठबंधन तोड़ आए थे.
अब समय बदल चुका है. बेदाग नीतीश कुमार राजनीति के पीक पर थे, इन्डिया गठबंधन में शीर्ष पर कायम थे. बहुत मुमकिन था, अगर इंडिया गठबंधन बहुमत प्राप्त कर लेता तो पीएम के लिए सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार ही होते... नीतीश कुमार पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण सभी पार्टियों में अपना प्रभाव रखते हैं. जिन्हें राजनीति की समझ है वो जानते हैं कांग्रेस गठबंधन में सरकार बनाने के लिए जल्दबाज़ी में नहीं थी, राजनीति में ऐसा होता तो वैसा होता सब बेमानी है...
एक दिन में सबकुछ बदल जाता है. और एक दिन में सबकुछ भी नहीं बदल जाता. इतने बड़े निर्णय एक दिन में नहीं लिए जाते. सवाल यह है कि नीतीश कुमार सीएम होते हुए अपनी सैद्धांतिक राजनीतिक मूल्यों की बलि देकर एनडीए के साथ क्यों जा रहे हैं? जाहिर है एनडीए नीतीश कुमार को पीएम तो बना नहीं देगा.. नीतीश कुमार ने कई बार राजनीति में पलटी मारी है, फिर भी भारतीय राजनीति में वो मेरे पसंदीदा नेता रहे हैं, उनके काम करने का स्टाइल, नर्म स्वभाव, धैर्य , उनकी शख्सियत में एक से बढ़कर एक खूबी हैं. विपक्ष को एक ही टेबल पर लाने का सबसे ज्यादा श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है.... जो भी हो इस महत्वपूर्ण लड़ाई में ग़र नीतीश कुमार एनडीए के साथ जाएंगे तो उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी. बतौर राजनेता नीतीश कुमार में सैकड़ों खूबियाँ हैं, लेकिन विश्वसनीयता पर संदेह सारी खूबियों पर भारी है... पांच दशक की नैतिक राजनीति अब नेपथ्य की ओर होगी. भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार की सर्वमान्यता खत्म हो जाएगी. पीएम सीएम कोई भी बने उससे क्या फर्क़ पड़ता है, लेकिन राजनीति में आपको सर्वमान्य आपका आचरण, आपका प्रभाव बनाता है.... एनडीए नीतीश कुमार को पीएम भी बना दे, लेकिन जो उनका सम्मान है वो कभी नहीं होगा..
कर्पूरी ठाकुर पीएम नहीं थे, लेकिन उनका राजनीतिक जीवन एक प्रेरणा है.... सीएम पीएम से फर्क़ नहीं पड़ता, इज्ज़त आपके आचरण से मिलती है. इन्हीं कर्पूरी ठाकुर को भाजपा, आरएसएस जमकर गरियाते थे, लेकिन आज इसी भाजपा की सरकार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारतरत्न से सम्मानित किया. सम्मान कमाना पड़ता है. कर्पूरी ठाकुर को आज भाजपा भी नमस्कार करती है, वो इसलिए करती है क्योंकि कर्पूरी ठाकुर सैद्धांतिक नेता थे, ग़र उन्होंने नीतीश कुमार की तरह समझौता किया होता तो आज उन्हें भारतरत्न नहीं मिलता.
नीतीश कुमार एनडीए के साथ पद पाकर भी अपनी प्रतिष्ठा गँवा देंगे. कम सीटों के बाद भी बीजेपी एवं महा गठबंधन सीएम नीतीश को ही बनाती थी. यह भी नीतीश कुमार की सैद्धांतिक राजनीति के कारण उनकी इज्ज़त थी, बीजेपी भी चाहे अनचाहे उनकी इज्ज़त करती रही है, कई बार कांग्रेस के साथ प्रतिद्वंदी आरजेडी ने भी नीतीश कुमार को सिर आँखों पर बिठाया है. अन्यथा भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार की जदयू पार्टी की ऐसी हैसियत नहीं है, कि उन्हें विपक्ष उनके पीछे खड़ा होता और इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाता और न ही भविष्य में पीएम पद का उम्मीदवार बनाती. दौर चाहे कोई भी रहा हो, सैद्धांतिक राजनीति वाले नेताओं की हमेशा इज्ज़त रही है, लेकिन इसके लिए समय कड़ी परीक्षा लेता रहा है. जिसमें नीतीश कुमार बुरी तरह फेल हुए हैं. आज जब पूरा विपक्ष नीतीश कुमार के पीछे खड़ा होने के लिए तैयार था तब ही नीतीश कुमार कठिन परिस्थिति में विचलित हो गए. विपक्ष के कई नेताओं ने कहा 'नीतीश कुमार जहां प्रधानमंत्री बनने के लिए सबसे ज्यादा काबिल व्यक्ति थे, थोड़ा वक़्त कठिन था, लेकिन वो हौसला हार गए और खुद को मुख्यमंत्री तक सीमित कर लिया. दौर कोई भी रहा हो मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार के सामने सजदा करती थी, अब वो दौर खत्म हो गया.. नीतीश कुमार सीएम तो बन भी जाएंगे लेकिन इज्ज़त गंवा देने के बाद, 'तुमने खोकर पाया तो क्या पाया, तुमने पाकर खोया तो क्या खोया'.. आज देश में मोदी सरकार में बढ़ रही तानाशाही के विरुद्ध नीतीश कुमार ने अपनी सैद्धांतिक राजनीति की बलि दे दी. इतिहास सभी के साथ निष्पक्ष होता है, अतः इतिहास नीतीश कुमार को कभी मुआफ नहीं करेगा.
दिलीप कुमार
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