'घरेलू फ़िल्मों की नायिका बिंदिया गोस्वामी'

घरेलू फ़िल्मों की नायिका 

(बिंदिया गोस्वामी) 

बॉर्डर, रिफ्यूजी, उमराव जान... जैसी फ़िल्में निर्देशित करने वाले निर्देशक जेपी दत्ता को तो सभी जानते हैं, लेकिन पूछा जाए कि इन बेहतरीन फ़िल्मों को भव्यता प्रदान करने के पीछे किसकी कारीगरी छिपी हुई है, तो शायद नाम जानकर अचरज होगा.. दूसरे शब्दों में कहें कि जेपी दत्ता की इन फ़िल्मों की कॉस्ट्यूम डिजाइनर कोई और नहीं, बल्कि गुज़रे ज़माने की बेहद खूबसूरत अदाकारा बिंदिया गोस्वामी थीं.. बिंदिया गोस्वामी को अपने दौर में कम बजट की हेमा मालिनी कहा जाता था... बिंदिया गोस्वामी का पहनावा आम घरेलू महिलाओ की तरह था, ज्यादा आधुनिक चमक - धमक न होने के कारण उन्हें घरेलू नायिका का खिताब मिला था. 

ऐक्ट्रिस बिंदिया गोस्वामी अपने दौर में बांकी अभिनेत्रियों से थोड़ा हटकर थीं, न बहुत ज्यादा बोल्ड और न ही ज्यादा लाजवंती.... और न ही बहुत रूढ़िवादी, ठीक ठाक रोल बहुत सहजता से अदा करतीं थीं. अपने दौर के महानतम फिल्म निर्देशक वासु चटर्जी, हृषीकेश मुखर्जी, अनिल गांगुली, आदि के साथ काम करने के लिए हर कोई बिना फीस लिए भी उत्सुक रहता था... तब बिंदिया को कमाल निर्देशकों के निर्देशन में काम करने का अनुभव प्राप्त हुआ. वैसे देखा जाए तो इन निर्देशकों के साथ काम करना बिंदिया गोस्वामी के लिए किसी नेशनल अवॉर्ड से कम नहीं था, या यूं कहें की असल जीवन का प्रसाद था. ये महान निर्देशक वैसे तो लो बजट पारिवारिक फ़िल्में ही बनाते थे, लेकिन इनकी फ़िल्मों की कास्टिंग परफेक्ट होती थी. वैसे भी इनकी फ़िल्में कहानी, के लिए जानी जाती थीं....हृषीकेश मुखर्जी, वासु चटर्जी का अपने दौर में वही मुकाम था, जो आज राजकुमार हिरानी का हैं. 

मुहब्बत उम्र, स्टेटस, देखकर नहीं होती, मुहब्बत बस हो जाती है. कभी - कभार मुहब्बत भी उम्र भर का पछतावा बन जाया करती है... कमाल की ऐक्ट्रिस बिंदिया ने भी मुहब्बत ऐसी की जो बाद में उम्र भर का पछतावा बन कर रह गई... आम तौर पर किसी की निजी ज़िन्दगी पर लिखना अच्छा नहीं है, लेकिन जब किसी की ज़िंदगी सबक हो तो उसका जिक्र लाज़िमी हो जाता है.. बिंदिया ने एक शादीशुदा ऐक्टर विनोद मेहरा से ही मुहब्बत कर डाली....18 साल की उम्र में शादी कर चार साल बाद अलगाव कर एक बड़े निर्देशक के साथ शादी कर हिन्दी सिनेमा को अलविदा कह दिया. पहली शादी तो महज मज़ाक ही सिद्ध हुई... लेकिन जब दूसरी शादी की तो घरवालों के साथ बगावत करते हुए खुद से 13 साल बड़े निर्देशक से 1895 में शादी कर ली. अपने सिनेमाई कॅरियर के पीक पर लगभग 100 से ज्यादा फ़िल्मों में अभिनय करने के बाद महज 20 साल की उम्र में फ़िल्मों से सन्यास ले लिया. 70-80 के दशक की सबसे खूबसूरत अदाकारा अपनी पर्सनल लाइफ के लिए हमेशा चर्चित रहीं. बिंदिया गोस्वामी की ख़ूबसूरती ऐसी थी, कि जिन प्रोड्यूसर, निर्देशक का बजट कम होता था, जिन्हें हेमा मालिनी की डेट नहीं मिल पाती थीं, जो हेमा को अफोर्ड नहीं कर पाते थे, वे बिंदिया गोस्वामी को साइन कर लेते थे.. 

बिंदिया गोस्वामी का जन्म राजस्थान में हुआ, इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत दिलचस्प है. इनके पिता अयंगर साउथ इंडियन थे, एवं माता कैथोलिक थीं. पिता ने अपने जीवन में सात शादियाँ की थीं. बिंदिया को लाइम लाइट में रहना पसंद था, अतः उन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की, उनके ऐक्ट्रिस बनने के ख्वाब को पँख मिल गए, जब उन्हें पड़ोसी संगीतकार प्यारेलाल के घर एक पार्टी में शामिल होने का अवसर मिला....चर्चित अदाकारा हेमा मालिनी की माँ जया चक्रवर्ती ने बिंदिया गोस्वामी को देखा तो उन्हें लगा कि इस लड़की का  चेहरा बिल्कुल हेमा मालिनी से मिलता है. इसके बाद तो जया चक्रवर्ती ने बिंदिया का नाम कई निर्देशकों को सुझाया. गोस्वामी को पहली फिल्म जीवन ज्योति 1976 में मिली, इसमे उनके अपोजिट विजय अरोरा थे, जो अपना डूबता कॅरियर संभालना चाहते थे. यह फिल्म औसत साबित हुई, हालांकि बिंदिया ने उस फिल्म में बेहतरीन अभिनय से कई निर्देशकों को प्रभावित किया. तब हिन्दी सिनेमा में पारिवारिक हल्की - फुल्की कॉमिक फ़िल्मों का दौर था... पारिवारिक फ़िल्मों के महान निर्देशक वासु चटर्जी ने बिंदिया गोस्वामी को अपनी फ़िल्म खट्टा - मीठा में अभिनय करने का मौका दे दिया. 1977 में रिलीज हुई फिल्म में यादगार अभिनय के कारण बिंदिया गोस्वामी का नाम देश - दुनिया के घर - घर तक पहुंच गया था. इस फिल्म के बाद स्टारडम ऐसा की फ़िल्मों, निर्देशकों की लाइन लग गई थी. बिंदिया ने बहुत सारी सुपरहिट फ़िल्में दीं. 1977 में आई फिल्म प्रेम विवाह, इसी साल आई सुपरहिट फिल्म दादा, और 1980 में आई मल्टी स्टार्टर फ़िल्म शान.. वहीँ 1979 में आई महान निर्देशक हृषीकेश मुखर्जी की कॉमिक कॉकटेल सुपरहिट फ़िल्म 'गोलमाल' ने बिंदिया को नाम और पहिचान के साथ स्टारडम हासिल हुआ... इस फिल्म के लिए उन्हें आजीवन नहीं भुलाया जा सकता. 

गोलमाल फिल्म  केवल स्वस्थ कॉमिक फिल्म के रूप में ही नहीं हिन्दी सिनेमा की कल्ट फ़िल्मों में शुमार है. या यूं कहें फिल्म गोलमाल उनकी ज़िन्दगी का हासिल है.. महान हृषीकेश मुखर्जी की इस महान फिल्म पर अब तक 5 से अधिक रीमेक बन चुके हैं, लेकिन बिंदिया गोस्वामी वाली गोलमाल का स्वस्थ कॉमिक कॉकटेल सभी फ़िल्मों पर भारी है. हिन्दी सिनेमा में बिंदिया गोस्वामी के नाम एक बेहतरीन रिकॊर्ड दर्ज है, बहुत छोटी सी 20 साल की उम्र में ही सबसे ज्यादा साफ-सुथरी फ़िल्में कर डाली. 70 - 80 के दशक में सबसे ज्यादा रोमांटिक, व्यपारिक एवं पारिवारिक, फ़िल्में ज्यादा बनाई जा रहीं थीं, उस दौर में कर्णप्रिय प्रिय सदाबहार गीतों का चलन भी कमाल था, और उसी ट्रेंड पर गीत तैयार किए जाते थे.... बिंदिया गोस्वामी की फ़िल्मों में गीतों का फिल्मांकन बहुत शानदार रहा है... यूँ तो उन्होंने अपने दौर के सबसे बड़े - बड़े अभिनेताओं के साथ स्क्रीन साझा किया, जिसमें सुनील दत्त, संजीव कुमार, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, अमिताभ बच्चन, अमोल पालेकर आदि का नाम दर्ज है. 

बिंदिया गोस्वामी ने अपने पीक पर 1970 - 80 के दशक में अपनी अधिकांश फ़िल्में विनोद मेहरा के साथ की... विनोद मेहरा आशिक मिजाज़ इंसान थे, उन्होंने अपनी दस साल पुरानी शादी की परवाह नहीं किया. कई सालो डेट करने के बाद भी कोशिश किया कि बात ढंकी रहे, हालांकि सिल्वर स्क्रीन की कहानियाँ छिपती नहीं है, हालांकि हमारा मीडिया हमेशा से ही ऐसे ही रहा है, मसलन घर तोड़ने वाला.... इनके किसी अपने ने बात लीक कर दिया कि दोनों ने 1980 में शादी कर ली है... विनोद मेहरा की पहली पत्नी थीं, बहुत बाजीगर उन्होंने सीधे ही बिंदिया को धमकी दे डाली, कि मेरे पति से दूर रहो अन्यथा तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा.. उनकी धमक का असर यह हुआ कि डर से विनोद मेहरा के समझाने के बावजूद भी बिंदिया  विनोद मेहरा से अलग हो गईं.... और इस प्रेम कहानी का दुःखद अंत हो गया. 

सरहद फिल्म के सेट पर निर्देशक जेपी दत्ता... से बिंदिया की मुलाकात हुई, और उन्हें लगा यही वो इंसान है जिसके साथ ज़िन्दगी बिताई जा सकती है.... विनोद मेहरा से अलग होने के बाद जेपी दत्ता से शादी कर ली, लेकिन इस शादी में भी अड़चने आईं, फिर भी दोनों ने बगावत करते हुए शादी कर ली.... महज 20 साल की उम्र में शादी करने के बाद बिंदिया ने हिन्दी सिनेमा को अलविदा कह दिया... और मिसेज दत्ता बनकर रहने का फैसला किया. बिंदिया गोस्वामी कहती हैं - 'मैं अपने जीवन में बहुत संतुष्ट हूं, मुझे अपने जीवन में अनिल गांगुली, हृषीकेश मुखर्जी, वासु चटर्जी जैसे महान निर्देशकों के डायरेक्शन में काम करने का मौका मिला, वहीँ उनकी कालजयी फ़िल्मों के याद करने के साथ ही मुझे भी याद किया जाता है, और मुझे क्या चाहिए'. बिंदिया गोस्वामी ने कम उम्र में ही बिना अंग प्रदर्शन एक से बढ़कर एक फ़िल्मों में अभिनय किया... हालाँकि छोटी सी उम्र की बचकानियों ने कॅरियर चौपट कर दिया.... बिंदिया गोस्वामी का सिनेमाई कॅरियर बांकी अभिनेत्रियों के लिए एक सबक है, स्टारडम मिलना जितना मुश्किल है, उसे सम्भाल पाना उससे भी ज्यादा मुश्किल है... 


दिलीप कुमार 


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