2023 विश्वकप को लेकर आखिरी पोस्ट

'विश्वकप को लेकर फ़िलहाल आख़िरी पोस्ट' 

अपने देश में हर तरफ अवसाद, स्ट्रेस के अलावा राजनीतिक बिडम्बनाएं हैं... स्वस्थ्य मनोरंजन के लिए, सिनेमा, क्रिकेट, संगीत के अलावा कुछ नहीं है... पिछले दो महीने हमारा पूरा मुल्क गुलज़ार था. यह क्या कम है??

एक मैच हारने पर वही लोग गरियाते हैं, जो ड्रीम 11, आईपीएल के बाद क्रिकेट से जुड़े हैं, क्रिकेट एक स्वस्थ खेल के साथ इमोशंस है. हार - जीत तो ज़िन्दगी का हासिल है...वैसे भी ज्यादा जज्बाती नहीं होना चाहिए.

मिच मार्श ट्रॉफी पैरों तले रखा हुआ है, बंधी हुई मुट्ठी घमंड से ज्यादा नादानी कहूँगा... वैसे कई लोग आचरण को बुरा कोई भला कह रहा है, लेकिन कितना भी उदारवाद बोलिए, कि वो लोग संस्कृति को नहीं मानते, लेकिन गुरूर की अपनी एक ही संस्कृति होती है... ख़ैर उसकी ट्रॉफी है चाहे तो पूजा करे, या पैरों में रखे, लेकिन एक बात बोलूँ.. ट्रॉफी पूजने एवं लातों के नीचे रखने के अलावा भी एक दो विकल्प थे, जिससे इंसान अपने आचरण से दुनिया को बेहतर संदेश दे सकता था. अन्यथा तुम जीत कर जीते तो क्या जीते.

देखा जाए तो विजय को शालीन होना चाहिए, जैसे मैक्सवेल ने विराट के कांधे पर हाथ रख दिखा गया.... यूँ लगा अच्छे लोगों का साथ ज़िन्दगी को दिलचस्प बना देता है... जैसे किसी क्रिकेट फैन्स ने ट्विटर पर लिखा प्रिय डेविड वार्नर आप लोगों ने करोड़ों दिल तोड़ दिए ' डेविड वार्नर ने ट्विटर जवाब दिया कि यार क्रिकेट एक जेन्टलमैन गेम है, थैंक्स इंडिया. एक आचरण यह भी उत्तम हो सकता है. 

कुंठित लोग कुछ भी बोलें हम अपनी क्रिकेट को दिल में संजोकर रखेंगे, जिन्हें क्रिकेट से तकलीफ़ हो, तो जाकर जेसीबी की खुदाई देखो.... वैसे भी क्रिकेट सेंस विकसित करने के लिए हमारे मुल्क में दशको इनवेस्ट किए गए हैं, यह हमारे मुल्क की 40 साल की क्रिकेटिंग साधना है. क्रिकेट हमारे मुल्क में आज़ादी से पहले भी होता था, लेकिन 1983 में विश्वकप जीतने के बाद क्रिकेट हमारे गली - खेतों में पहुंच गया था... 2011 के बाद तो लोगों के साथ जुड़ गया, मोटिवेशन के लिए आज क्रिकेट सबसे अच्छा माध्यम है, मैं खुद भी उत्सवधर्मी नहीं हूं, लेकिन स्वस्थ्य मनोरंजन का हिमायती हूं.

एक बात बोलूँ जब 2003 में हम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उतरे थे, तो हमें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी, कि हम जीत जाएंगे, लेकिन जब 2023 में हम ऑस्ट्रेलिया के सामने उतरे तो हमें पूर्ण रूप से यकीन था, कि हम जीतेंगे. हमें इस यकीन को मुक्कमल करने तक के उस पार तक जाना हैं. हमारे क्रिकेट ने अभी यहां तक का सफर तय कर लिया है, कोई बोले कुछ भी लेकिन ऑस्ट्रेलिया टीम उस मुहाने पर खड़ी थी, जिस मुहाने में टीम इंडिया 2003 में खड़ी थी.. हमने अच्छा क्रिकेट खेला है... कोई बात नहीं फिर जीत लेंगे, अगली बार हार भी जाएंगे तो, फिर अगली बार इंतजार करेंगे.... दुःख यह भी है, कि विराट, रोहित शायद ही अगला विश्वकप खेल पाएं.

दिलीप कुमार

#viratkohli #ICCWorldCup, #glenmaxwell #DavidWarner #rohotsharma

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