हैप्पी बर्थ डे किंग कोहली

हैप्पी बर्थ डे किंग कोहली 

हम रेडियो की कमेंट्री सुनते हुए बड़े हुए हैं. जब हमने क्रिकेट देखना शुरू किया था तब हमने देखना नहीं...क्रिकेट कमेंट्री सुनना शुरू किया था. रेडियो हम अपने स्कूल में भी जुगाड़ कर लेते थे, क्योंकि क्रिकेट कमेंट्री सुनने का अपना जुनून होता था.. तब इतने चैनल, हाथ में मोबाइल आदि व्यवस्थाएं नहीं होती थीं. सच कहूँ तो 2008 में जब विराट कोहली ने U-19 विश्वकप जीता था, तब हमें पता भी नहीं चला था, कि भारत ने U-19 विश्वकप जीता है. आज क्रिकेट समीक्षको को बोलते हुए सुनता हूं, तब क्रिकेट की दुनिया में गूँज सुनाई दी थी, कि दिल्ली का एक लड़का बेहतरीन कवर ड्राइव खेलता है. हमें यह सब कुछ पता नहीं था.... विराट के शुरुआत के दो चार शतक भी मुझे याद नहीं हैं, क्योंकि हमें तब सचिन के शतक ही याद होते थे, सचिन शतक बनाते थे, तो हमारी खुशी का अपना एक आलम होता था. 2011 विश्वकप में भी विराट ने एक शतक लगाया था, लेकिन तब भी हमें सचिन, द्रविड़ ,धोनी, युवराज के अलावा कुछ नहीं दिखता था. 2011 विश्वकप फ़ाइनल में जल्दी सहवाग, सचिन के आउट होते ही तेंदुलकर का जाते हुए विराट को समझाना... फिर बेशकीमती 35 रन की पारी गंभीर के साथ एक साझेदारी ने भारत के गिरते हुए विकेटों के बीच एक स्थायित्व दिया था. वो बेशकीमती पारी आज भी विराट के कई शतकों पर भारी है... 

हालाँकि तब भी हमें विराट नाम पर कोई विश्वास नहीं था... सचिन के सन्यास लेने के बाद हमारे लिए क्रिकेट में एक रिक्त आया था, तेंदुलकर तो एक ही थे, एक ही रहेंगे. 2011 विश्वकप के बाद विराट कोहली ने अपने क्लास, निरंतरता, फिटनेस के साथ भारतीय क्रिकेट को अपने कांधे पर उठा लिया था.... देखते ही देखते हॉबर्ट में 135 रन की पारी, एशिया कप में 183 रन की पारी के बाद मैं विराट कोहली का फैन बन चुका था, एक दौर में मालिंगा का खूब खौफ़ होता था, लेकिन युवा विराट कोहली ने लसिथ मालिंगा को जमकर कूटा था तब से मालिंगा को क्रिकेट में अपनी पुरानी लय नहीं मिली.

विराट ठेठ दिल्ली का लौंडा बेहद आक्रमक, मगर थोड़ा अभद्र खूब गालियाँ बकता था, कई बार जुर्माना झेला, लेकिन वो अपनी गालियों से बाज नहीं आए. विराट भारतीय टीम का बोझ अपने कांधे पर उठा कर चल रहा थे, तो भारतीय क्रिकेट फैन्स, एवं बीसीसीआई को भी उनकी अभद्रता से कोई दिक्कत नहीं हुई, यूँ लगता था कि विराट के ऊपर कार्यवाही करने के बाद कहीं इस लड़के का हौसला न टूट जाए... विराट की अभद्रता, एवं उनका कॅरियर उफान पर था, चाहे, ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट में शतक लगाना हो, स्लेजिंग का जवाब भी आगे बढ़कर देना हो, क्रिकेट फैन्स विराट के साथ कदमताल करने लगे थे, वो विराट में ही द्रविड़, सचिन, गांगुली को ढूढ़ने लगे थे..

2014 एक वक़्त आया, इंग्लैंड दौरा अचानक से विराट कोहली का बल्ला खामोश हो गया था... लगभग नौ - दस महीने विराट के बैट से एक अर्धशतक भी नहीं निकला... वेस्टइंडीज टीम अक्टूबर- नवंबर में भारत दौरे पर आई... विराट ने एक अर्धशतक लगाया था, डर-डर के खेल रहे थे, जैसे कोई डर बैठा हुआ था... इसी सीरीज में कोहली के बल्ले से एक 99 रन की पारी एवं एक शतक निकला.. यही आत्मविश्वास लेकर विराट ऑस्ट्रेलिया पहुंचे, एक ही सीरीज में 04 शतक लगाए, और ऑस्ट्रेलियन पेस अटैक की धज्जियां उड़ा दी. सचिन के बाद विराट पहले ऐसे बल्लेबाज थे, जिन्हें ओवरसीज में गरजते देखा, जिसे हेल्मेट के पास से गुजर रही गेंदों, बॉलर, पिच किसी भी चीज़ से कोई तकलीफ़ नहीं थी. अचानक से टेस्ट क्रिकेट में भारत की स्थिति खराब हो चुकी थी, धोनी ने समय को देखते हुए कप्तानी का भार विराट के कांधे पर रखकर सन्यास की घोषणा कर दी.. धोनी का अपना क्रिकेट में वर्चस्व रहा है, उन्होंने विराट को कप्तानी ऐसे ही सौंपी थी, जैसे पहले के राजे - महराज अपने उत्तराधिकारी को राज्य सौंप जाते थे, वैसे देखा जाए तो धोनी का हाथ विराट के सिर पर ऐसे ही था, जैसे एक पिता का पुत्र के सिर पर होता है. जब विराट कोहली अवसाद से गुजर रहे थे, तब धोनी ही थे जो निरंतर उन्हें गाइड करते थे. बीसीसीआई एवं सेलेक्शन कमेटी ने धोनी के निर्णय को सिर आँखों पर रखा था. टेस्ट में सातवे नंबर पर पहुंच चुकी भारतीय टीम ने अपने खेलने का अंदाज़ बदला, विराट ने टीम को साफ संदेश दिया, जीत से कम कुछ भी मंजूर नहीं. टेस्ट ड्रा से अच्छा होगा हार जाएं... जब लीडर ऐसे बोलता है तो टीम जीतकर ही आती है.. विराट ने टेस्ट में टीम को न. वन बना दिया था.. कई सालों तक टीम नं वन ही रही. विराट ने टीम को तीनों फार्मेट में टीम को बुलन्दियों तक पहुंचाया था. यह भारतीय टेस्ट क्रिकेट का स्वर्णिम दौर था.. इसी दौर में भारत ने टेस्ट क्रिकेट इतिहास में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीता... दुनिया की किसी भी मजबूत टीम को उनके घर में हराया. 

सब कुछ ठीक ही चल रहा था, विराट कोहली मेरी नज़रों से उतर रहे थे, जब उन्होंने अनिल कुंबले जैसे शालीन कोच को बेज्जत करके निकाल दिया था, तब मैंने भी विराट कोहली के विरुद्ध लिखा था. विराट की उस अभद्रता के लिए कोहली को पूरी क्रिकेट की दुनिया ने आड़े हाथो लिया था. उसके बाद विराट का बल्ला ऐसे रूठा जैसे कायनात रूठ गई थी, पूरी दुनिया विराट को टीम पर बोझ बता रही थी, लेकिन बीसीसीआई को पता था, कि फॉर्म आती जाती रहती है, क्लास कहीं नहीं जाता... विराट की कप्तानी छीन ली गई, कई बार लगा कि विराट कोहली एक महान क्रिकेटर हैं, लेकिन लीडर के रूप में औसत हैं, लेकिन कहानी तो कुछ और ही कहती है. टेस्ट, वन डे, टी 20 में आज भी वो देश के सफलतम कप्तान के रूप में याद किए जाएंगे.. विराट कोहली ने पूरे विश्व क्रिकेट को अपनी धमक से गेंद की तरह उछाल दिया था... बल्ला रूठने के बाद अफगानिस्तान के विरुद्ध निकला वो 71 वां शतक विराट को फिर से विश्व क्रिकेट में जिन्दा कर गया.. फिर विश्वकप में पाकिस्तान के विरुद्ध खेली गई 82 रन की पारी ने एक बार फिर से विराट को वहीँ कायम कर दिया था, जैसा पहले उनका रुतबा था. हमेशा अपनी एक जिद में रहने वाले विराट कोहली तूफानी पारी खेलने के बाद पहली बार रो रहे थे, दरअसल वो आंसू नहीं विराट के लिए एक सबक था, कि जब तक बल्ला चलता है, तो दुनिया आपके कदमों में होती है, जैसे ही बल्ला रूठ गया तो दुनिया भी रूठ जाती है. उस दिन रोने के बाद विराट को हर दिन विनम्र होते हुए देख रहा हूँ. इतनी सफलता प्राप्त करने के बाद जब आदमी दुनिया के सामने रोने लगे तो गुरूर उसे छू नही सकता. आज विराट दुनिया के सबसे महानतम क्रिकेटरों में शुमार हैं, लेकिन वो बड़े दिल से बोलते हैं मेरे आदर्श महान सचिन तेंदुलकर हैं....ग्रेट धोनी आप हमेशा मेरे कप्तान रहेंगे... वहीं विराट स्टीव स्मिथ को आधुनिक क्रिकेट का सबसे महान बल्लेबाज मानते हैं, वहीँ आने वाली पीढ़ी का सबसे महान बल्लेबाज बाबर आज़म को मानते हैं, वहीँ वन डे का सबसे महान खिलाड़ी रोहित शर्मा को कहते हैं. ऐसे दूसरों को वही महान बोल सकता है, जो खुद भी महानतम होता है. 

कई लोग ढूंढते रहते हैं वो विराट कहाँ गया जो मैदान में खूब आक्रमक रहता था, लड़ता झगड़ता रहता था, लेकिन वो विराट अब बड़ा सचमुच का बड़ा हो गया है. अब शायद विश्व क्रिकेट में खेल रहे खिलाडियों में सबसे ज्यादा वरिष्ठ है. अब वो विराट नए-नए लड़कों से लड़े तो कैसे लड़े...विराट कहते हैं 'अब मुझे शोभा नहीं देता' ... इसलिए वो विराट अब, नवीन उल हक को मुआफ कर देता है कि एक नए लड़के का कॅरियर खराब न हो जाए, क्योंकि उसे याद आता है वॊ दौर जब बड़े बड़े क्रिकेटर उसकी नादानी नजरंदाज़ कर देते थे. अब विराट लड़ नहीं सकते , बस क्रिकेट एंजॉय कर रहे हैं. आम तौर पर कप्तानी छोड़ने के बाद क्रिकेटर टीम में अपना योगदान केवल खिलाड़ी के रूप में हो देते हैं, आज विकेट मिलने पर बॉलर से ज्यादा विराट जश्न मनाते हैं. आज विराट रोहित के कांधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं, अब रोहित - विराट की जुगलबन्दी देखते ही बनती है. इस विश्वकप का एक्स फैक्टर विराट कोहली ही हैं, 

विराट कोहली ने समय के साथ खुद को क्या खूब ढाला है. विराट बहुत ज्यादा पढ़े - लिखे नहीं है. फिर भी विराट ने मनुष्यता खूब पढ़ा है, जब मुहम्मद शमी को देशद्रोही, एवं अर्शदीप सिंह को कैच छोड़ने पर लोग खालिस्तानी कह रहे थे, तो विराट ने खुलकर अपने खिलाडियों का साथ देते हुए नफ़रती राजनीतिक लोगों को आईना दिखाया था.. आज जब क्रिकेट में कुछ लोग राजनीतिक एंगल ढूंढते हैं तो विराट बाबर, मुहम्मद रिजवान दोनों को खुलकर हौसलाअफजाई करते हैं. जब देश में कोई असंवेदनशील मुद्दा होता है तो विराट हमेशा से ही समाज को सूद समेत लौटा देते है, जो प्यार समाज़ ने उन्हें दिया है... जब किसानो को खालिस्तानी बोला गया, जब आंदोलनकारी महिलाओ को बिरियानी खाने वाली बोला गया.. जब विश्विद्यालय की लाईब्रेरी में घुसकर बच्चों को मारा गया, जब निरंकुश सत्ता ने हर किसी का दमन करना शुरू किया था, तब बड़े से बड़े सुपरस्टार, सेलिब्रिटी डर के मारे चुप थे, तब अपना विराट खुलकर बोल रहा था... आज कुछ लोग विराट को आईपीएल में ट्रॉफी , आईसीसी ट्रॉफी न जीतने के लिए पर्सनल कटाक्ष करते हैं, तो वो सह जाता है. जब उसकी पत्नी, बेटी को गालियां देकर ट्विटर पर ट्रेंड कराया जाता है, तो खूब समझ आता है वो कौन लोग हैं, लेकिन विराट कोहली कुछ नहीं बोलता वो सह लेता है... अब विराट को 100 शतक बनाने की भी आवश्यकता नहीं है, अब विराट को विश्वकप जीतने का भी कोई प्रेशर नहीं है... अब हम सिर्फ और सिर्फ विराट को खेलते हुए देखना चाहते हैं, जब तक विराट खेलना चाहें.... वैसे 2011 विश्वकप जीतने के बाद में युवा विराट ने भारतीय क्रिकेट (सचिन) को अपने कांधे पर उठा लिया था.. इस बार ग़र भारत विश्वकप जीते तो पंद्रह साल से अपने कांधे पर क्रिकेट का बोझ उठाए विराट को भी कोई उसी तरह उठा ले जैसे विराट ने सचिन को उठाया था.. आज विराट का जन्मदिन है... मेरी दुआएं

दिलीप कुमार

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