'क्रिकेट की सस्ती समीक्षा का ट्रेंड'

'क्रिकेट की सस्ती समीक्षा का ट्रेंड' 

दो अलग-अलग युग के खिलाड़ियों की तुलना नहीं की जा सकती .

कई लोग विराट की अनावश्यक आलोचना करते हैं, कि विराट सचिन की तरह नहीं खेल सकते. कई लोग सचिन की आलोचना करते हैं कि सचिन शतक के लिए खेलते थे, स्वार्थी थे. सचिन, सर विवियन रिचर्ड, सर डॉन ब्रैडमैन जैसे नहीं खेल सकते, यार हम कितने नीच प्रवृत्ति के होते जा रहे हैं. अपनी कुंठा कहीं भी झोंक देते हैं. कौन क्रिकेटर किस जाति का है, जैसे राजनीति में में वोट डालने के लिए देखते हैं.. 

देखा जाए तो डॉन ब्रैडमैन क्रिकेट की दुनिया के पहले महानतम क्रिकेटर थे , उनके बाद एवं उनके समय वैसे कोई नहीं था. जैसे सचिन खेलते थे उस समय वो आगे थे. सर विवियन रिचर्ड, अपने दौर में आगे थे. आज विराट अपने समय में आगे है.. सबसे तेज 26 हज़ार रन बनाने वाला, टेस्ट का सबसे सफल कप्तान है. दुनिया भर में रन बनाने के मामले में तीसरे स्थान पर है, शतक के मामले में दूसरे स्थान पर काबिज है, ऐसे खारिज नहीं किया जा सकता. 

विराट आज के समय में सबसे महान इसलिए माने जाते हैं, कि उन्होंने टेस्ट, वन-डे, टी 20 तीनों में बेह्तरीन स्ट्राइक रेट, एवरेज के साथ लगातर रन बनाए हैं.. जब तीनों फॉर्मेट में तुलना की जाएगी तो दुनिया में कोई भी उनके समकक्ष नहीं है... लेकिन ऐसा नहीं है कि सर डॉन ब्रैडमैन, सर रिचर्ड, सचिन, विराट से छोटे क्रिकेटर हो गए, आज ये नाम क्रिकेट सीख रहे बच्चों के लिए भगवान ही हैं.. 

कई लोग सचिन को गरियाते रहते हैं, कि वो रिकी पोंटिग, संगाकारा, द्रविड़ से कमतर थे, तरह-तरह से बकवास लिखते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि सचिन अपने दौर के सबसे महान क्रिकेटर हैं. बांकी क्रिकेटर क्यों शतक, रन नहीं बना सके?? क्या उनका कोई बैट पकड़ लेता था? एक ट्रेंडमार्क तो सचिन ने ही स्थापित किया है, किसी क्रिकेटर की आलोचना करना उद्देश्य नहीं है, और न रहेगा.. 

आज विराट कोहली खूब रन बनाते हैं, बांकी क्रिकेटर उनके तरह शतक, रन क्यों नहीं बना पाते?? सभी के लिए परिस्थिति एक जैसे ही होती है.. स्मिथ, रूट, विलियम्सन, तीनों विराट के युग के खिलाड़ी हैं, तीनों महान हैं, लेकिन वन डे, टी 20 में तीनों मिलाकर भी विराट के रनो, शतकों के बराबर नहीं है, वहीँ टेस्ट में चारों बराबर हैं. इसलिए हमें सच्चाइ स्वीकार करना चाहिए.  

 सर डॉन ब्रैडमैन, सर विवियन रिचर्ड, मास्टर ब्लास्टर सचिन, किंग कोहली अपने अपने युग के सबसे महान क्रिकेटर हैं... आज क्रिकेट सीख रहे बच्चे कोहली बनना चाहते हैं. कोहली सचिन की तरह बनना चाहते थे, सचिन गावस्कर की तरह बनना चाहते थे.. यही सच्चाई है... ऐसे ही फिर कोई अपने युग का महान क्रिकेटर आएगा, जिसकी तरह बच्चे बनना चाहेंगे, जो विराट का रिकॉर्ड तोड़ देगा, क्योंकि रिकॊर्ड टूटने के लिए ही बनते हैं. हम इतने संकीर्ण क्यों होते जा रहे हैं, क्रिकेट सभी सकारात्मक खेल है, जहां राजनीति भी दण्डवत कर जाती है, लेकिन कुछ लोग क्रिकेट को भी कुंठा का बाज़ार बनाने के लिए उतावले है, यह बहुत घातक है, ग़र किसी ने भावुकतापूर्ण किसी क्रिकेटर को कुछ कहा है तो आप फिर से सोचिए कि आपने सद्भाव को कितना नुकसान पहुंचा दिया, आप पूछिए खुद से कि आप क्रिकेट लवर हैं या राजनीतिज्ञ, अपनी क्रिकेट को बचाकर रखने की आवश्यकता है, अन्यथा जातिवादी लोग हमारे क्रिकेट को कलंकित कर देंगे. हम सभी क्रिकेट प्रेमी अभी विश्वकप एंजॉय कर रहे हैं. 

दिलीप कुमार

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