"किसी को याद हैं? अभिनेता राज किरन"

किसी को याद है? 

ये अभिनेता राज किरन हैं, 80 के दशक में लगभग हर बड़ी फिल्म का हिस्सा होते थे.. सहायक हीरो होते हुए भी अपनी आकर्षक पर्सनैलिटी से दर्शकों को आकर्षित करते थे. कला एवं व्यापारिक दोनों तरह की फ़िल्मों में काम करते थे. एक दशक में लगभग 100 से ज्यादा फ़िल्मों में काम किया था. कौन भूल सकता है. अर्थ फिल्म में विपत्तियों से घिरी शबाना आज़मी को समझाते हुए उन्हें अवसाद से निकाल कर ले आते हैं. तेरी मेहरबानियाँ फ़िल्म में नौकर के रोल में विधवा मालकिन को बचाने के लिए अपने शरीर की खाल खिंच जाने देते हैं, लेकिन मुँह नहीं खोलते. मुँह खोलते भी तो कैसे गूंगे का रोल करते हैं, अदाकारी ऐसी की संवेदनाएं फ़ूट पड़ती हैं. बेहतरीन अदाकार राज किरन को कौन भूल सकता है? जो आज पता नहीं कहाँ गुम हो गए. 


जब भी थोड़ा संजीदा मौसम होता है, तो जगजीत जी की यादगार मार्मिक गजलें याद आती है.. ऐसे ही एक गज़ल है " झुकी झुकी सी नज़र बेरकरार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं"... यह ग़ज़ल उनके ऊपर ही फिल्माई गई है.. बरबस ही राज किरन याद आते हैं.. और ज़िन्दगी ने जैसे उनके साथ खेल खेला तो लगता है यह ग़ज़ल उन्हीं के लिए बनाई गई है. पारिवारिक फ़िल्मों में हमेशा क्लाइमेक्स में एक सीख दे जाते थे, कि पारिवारिक मूल्य क्या होते हैं. अफ़सोस उनके साथ परिवार ने ही विचित्र सा खेल खेला.. कि असामयिक ही अवसाद में टूट गए. 

राज किरन के ऊपर जब विपत्ति आई तो खुद को नहीं समझा सके... वैसे भी दूसरों की बजाय खुद को संभालना मुश्किल होता है. एक दौर था जब राज किरण की फिल्मों में खूब डिमांड थी. अफ़सोस वो भी दौर आया जब अभिनेता को काम के लाले पड़ गए. उनके परिवार ने उनकी सारी संपत्ति हड़प ली थी. राज को सिनेमा से सिर्फ़ रुसवाइयां मिलीं और फिर परिवार का धोखा, ये सब राज किरण बर्दाश्त नहीं कर पाए, वो मानसिक अवसाद का शिकार हो गए. इसी दौरान वो हर किसी से दूर हो गए, उनके बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं. लगभग 26 साल हो गए, आजतक कोई पता नहीं है. ज़िन्दा हैं या दुनिया छोड़ गए... 

ऋषि कपूर राज के अच्छे मित्र थे, दोनों ने एक साथ बहुत सी फ़िल्मों में काम किया था. राज ने ऋषि कपूर की सुपरहिट फिल्म कर्ज़ से ही प्रसिद्धी पाई थी. ऋषि ने उनके बारे में पता करने की कोशिश की. पता चला कि राज किरण अमेरिका के पागलखाने में हैं. दीप्ति नवल ने भी राज किरण को लेकर चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया था.  अमेरिका में राज को टैक्सी चलाते हुए देखा था ! अब पहला सवाल यह उठता है, कि ऋषि कपूर, दीप्ति नवल सहित ऐसे कई लोग रहे हैं जो राज किरन को अपना सच्चा मित्र कहते थे, लेकिन पहले मदद क्यों नहीं की. जब कि सच्चे मित्रों को तो ज़िन्दगी की उलझनें पता होती ही हैं. मान भी लेते हैं, कि इन्हें पहले से पता नहीं था, तो अचानक से कई सालों बाद ढूढ़ने की ज़रूरत क्यों आन पड़ी... फिर अगर राज किरन, दीप्ति नवल एवं ऋषि कपूर को मिल ही गए थे, तो फिर साथ ले क्यों नहीं आए. तत्काल उन्हें अपने सुपुर्द क्यों नहीं कर लिया. वैसे भी उनकी बेटी ने इन बातों को नकारते हुए अफवाह ही बताया था.. राज की बेटी, या ऋषि कपूर या फिर दीप्ति नवल सच किसे माना जाए. राज की बेटियां हर साल अपने पिता के जन्मदिन पर पिता की याद में सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट लिखते हुए कहतीं हैं "हमारे पापा अभी भी मिसिंग हैं". 

अब दूसरा सवाल यह है कि जिस आदमी के पास पैसे न हो मानसिक रूप से सक्षम न हो वो फॉरेन कैसे पहुंच सकता है? जो भी हो सच कौन जाने... पता नहीं कितनी सच्चाई है. बुरे वक़्त में उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर फॉरेन चली गईं.. उनकी पत्नी तर्क देती हैं, कि मैंने राज का बहुत इंतज़ार किया, वो नहीं आए, आखिरकार मैंने शादी कर ली". राज की पत्नी की बात को सच भी मान लिया जाए तो, उन्हें बताना चाहिए कि अगर आपको उनसे इतनी हमदर्दी थी, तो आप उन्हें छोड़कर विदेश क्यों चली गईं ? इन सभी बातों का जवाब तो सिर्फ एक व्यक्ति ही दे सकते हैंं, वो हैं राज किरन, दुःखद नियति तो उन्हें कहीं और ले गई है.. 

इसीलिए कहते हैं, जो भी करिए खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाए रखें. ज़िन्दगी में आर्थिक मैनेजमेंट करना चाहिए 
, क्योंकि इस निरंकुश दुनिया में दौलत के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है. वैसे भी अब रिश्ते निभाने की परंपरा खत्म हो चली है. हिन्दी सिनेमा भी अज़ीब सी दुनिया है.. न जाने ऐसे कितने सितारे हैं, जो आगे बढ़ चुकी दुनिया में एक कोने में पसमांदा हैं.. केवल सिनेमा ही नहीं वास्तविक दुनिया में व्यक्ति को खुद ही जूझना पड़ता है.. मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.. वैसे भी वो कांधे मिलते भी कहाँ है!! जिनमें सिर टिकाकर रो लिया जाए.. हम भी तो यही करते हैं, दुःखी लोगों से दूर भागते हैं, खुशमिज़ाज लोगों को ढूंढते रहते हैं. खुशियाँ तो सभी बांट लेते हैं, बहुत कठिन है किसी को मुश्किल वक़्त में सहारा देना... 

दिलीप कुमार

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