दिलवाले

दिलवाले फिल्म ने नब्बे के दशक से नव युगलों का ढंग बदल कर दिया था. यूनिवर्सिटी कॉलेज में प्रत्येक ल़डका खुद को अजय देवगन की तरह पेश करता, अजय देवगन जैसे हेयरस्टाइल रखने लगा. अजय के जैसे वॉक, टॉक, स्टाइल, वो भी बहुत ही शालीनता के साथ कैम्पस की सबसे खूबसूरत लड़की के सामने खुद को पेश करना उस दौर का चलन बन गया था.

वहीँ कैंपस के कैंटीन में, गार्डन में, उसको नजरों से देखने से पहले अपनी सपना का चयन करना यह पहले ही तय हो जाता था. क्लास, ग्रुप में वो अजय देवगन खुद जाना - पहिचाना होता था, अपनी स्टाइल एवं बहादुरी के साथ शालीनता के कारण लोकप्रिय होता था.

फिर कैंटीन में दोस्तों में गॉसिप चलती रहती थी, एक डायलॉग बहुत प्रचलित था "तुझे तो प्यार हो गया है फुर्सत से " देख भाभी देख रही है टाइप ये बातेँ दोस्तों में आम हो गईं थीं. और यह बहुत हद तक खुलेआम होता था. गार्डन में, कैंटीन में, बोलते हुए दोस्त माहौल बनाते थे. वहीँ लाइब्रेरी में दोनों में नज़रों से वाद-संवाद होता. कुलमिलाकर प्रेम कहानी परवान चढ़ती तब तक कैम्पस में, नायक - नायिका के घर तक बातेँ पहुंच जातीं. बहुत बार नायक - नायिकाओं में वो सामजिक गैप भी होता है जो "दिलवाले " में अरुण एवं सपना के बीच होता है. शादी के लिए दोनों कमिटमेंट कर लेते,और ग्रुप के दोस्त बहुत साथ देते फिर भी सैकड़ों प्रेम कॉलेज, यूनिवर्सिटी खत्म हो जाने के बाद सामाजिक दबाव में टूट गए. सच्चाई है आज भी बहुत सारे अरुण - सपना एक हो गए कइयों का प्यार शादी तक पहुंचा. अब वो अरुण - सपना निजी जीवन में अपने - बाल बच्चे देख रहे हैं एवं दाम्पत्य सुख भोग रहे हैं.

ख़ैर लौटकर आते हैं अपने मूल विषय पर यूनिवर्सिटी, कॉलेज के बाद जिन अरुण - सपना का प्रेम शादी तक नहीं पहुंच सका, यकीन करिए हर उस अरुण ने अपनी सपना को पाने के लिए हस्ती लगा दी. अफ़सोस असल ज़िन्दगी में मामा ठाकुर मरता नहीं है. अपनी सामजिक हैसियत का फायदा उठाकर सपना की जबरदस्ती शादी कर देता है. सपना अरुण का प्यार लेकर अपनी ससुराल चली गई. अब अगर एक सर्वे किया जाए तो उस दौर में जितनी भी प्रेम कहानी शादी तक नहीं पहुंची. अरुण - सपना जिनके आदर्श थे. उस दौर में जितनी भी सपना थीं उन्होंने अपने बच्चे का नाम अपने प्रेमी के नाम पर ज़रूर रखा होगा. 

आज भी किसी भी घर में अगर टीवी सेट पर अजय देवगन की दिलवाले आती है, तो बड़ी चाव से देखी जाती है. उस फिल्म के गाने उस दौर के अरुण - सपना को आज भी बेचैन कर जाते हैं. आज भी दिलवाले के उन गीतों में वो दर्द है कि सुनने वालों की आत्मा रोने लगती है. दिलवाले के गाने अगर बजते हैं अगर कोई चालीस के लगभग का व्यक्ति अगर इमोशनल हो जाता है तो उसको आज भी पूछा जाता है पुराना प्यार याद आ गया क्या?? वगैरह... वगैरह.. 
उस दौर में अरुण - सपना ने अपना प्रेम हासिल करने के लिए जतन किए कोशिश किया. साथ ही उन्होंने आदर्श प्रेम को स्थापित किया. उन्होंने कभी भी घर से भागने की जहमत नहीं दिखाई. फिल्म एक साफ सुथरा संदेश दे जाती है. आज उस दौर के अरुण - सपना का प्यार इतना अच्छा स्वार्थ से परे, पाने-खोने से परे, उस दौर के मामा ठाकुर आज भी कभी - कभार पछताते हुए मिल जाते हैं कि मेरी बेटी तो बहुत आदर्श थी . वो लड़का भी आदर्श था, लेकिन मैंने उनको मिलने नहीं दिया यह मामा ठाकुर कोई भी हो सकता है भाई /पिता /मामा /फूफा आदि

सोचिए दिलवाले नहीं बनाई गई होती तो कौन दोस्त कसम खाता की इस रिश्ते का नाम तो नहीं पता मग़र मुहब्बत की कसम मैंने इन दोनों को मिलाने की कसम खाई है. मैंने पहले ही कई बार कहा है कि आजादी के बाद से भारतीय सिनेमा का समाज से एक अंतर्संबंध स्थापित हुआ था उस दौर के बहुत से विक्रम ने अपने प्रेम यानी सपना को अपने भाई अरुण के लिए दिल में ही हमेशा के लिए दफन कर दिया. इस फिल्म ने भारतीय समाज को बदल कर रख दिया था. इससे कोई भी अछूता नहीं रहा. आठ फ्लॉप फ़िल्मों के बाद अजय देवगन को यह फिल्म मिली. इसकी सफलता ने अजय देवगन को स्थापित कर दिया. सुनील शेट्टी का जलवा भी कायम हो गया. दिलवाले भारतीय सिनेमा की कालजयी फिल्म मानी जाती है. मेरा मानना है कि दिलवाले नहीं बनी होती तो भारतीय समाज़ कुछ और होता.

दिलवाले के साथ हिन्दी सिनेमा का सफर जारी रहेगा.....

दिलीप कुमार

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