"मुहब्बत का पैगाम 'पठान'

मुहब्बत का पैगाम "पठान" 

वक़्त कभी किसी के लिए नहीं रुकता, वो अपनी गति से चलता रहता है. कई लोग होते हैं, जो समय के साथ न चलकर अपनी एक लकीर खींच देते हैं. उनमे से ही एक शाहरुख खान, जिन्हें किंग ऑफ रोमांस के नाम से जाना जाता है. शाहरुख एक ऐसा लविंग नाम है, एक ऐसा प्यारा इंसान जिससे आप बेशुमार प्यार कर सकते हैं. वो आपको बेशुमार प्रेम करेंगे... शाहरुख आज के नफ़रत के दौर में प्रेम बांटते हैं. शाहरुख खान को सिर्फ और सिर्फ मुहब्बत ही आती है. शाहरुख से नफरत करने वाले लोग भी हैं, लेकिन शाहरुख उनके लिए भी बेशुमार प्रेम की कामनाएं करते हैं. शाहरुख कहते हैं "मैं सिर्फ प्रेम कर सकता हूं, मेरा काम नस्लों को प्रेम सिखाना है, मैं रहूं या न रहूं आने वाली नस्लें याद करें कि कोई था जो सारे जहान के लिए बाहें खोलकर रखता है.. शाहरुख सिर्फ प्रेम करते हैं और करते रहेगे.
हिन्दी सिनेमा 70-80 के दशक में खराब दौर से गुजर रहा था, नब्बे के दशक में एक दुबला- पतला हीरो आया, जिसने डूबते हुए सिल्वर स्क्रीन को जिंदा कर दिया था.. शाहरुख खान आते ही छा गए, लेकिन उनके यहां तक पहुंचने में उनके संघर्ष की कहानी अपने आप में प्रेरित करने वाली है. शाहरुख को जो स्टारडम मिला वो अपने आप में अद्वितीय है. शाहरुख खान का स्टारडम 2014 तक आसमान में था, लेकिन यहां से शुरू होता है उनका एक नया जीवन जिसे लोग कहते थे, शाहरुख अब सिल्वर स्क्रीन पर खत्म हो चुके हैं, तरह - तरह लिखा गया, हो भी क्यों न जिसके कारण हुज़ूर में बॉक्स ऑफिस सजदा करता था, वो अब तक शाहरुख खान को फ्लॉप पर फ्लॉप दे रहा था. शाहरुख खान कहते थे पिक्चर अभी बांकी है, मैं कहीं नहीं गया फिर से आपका मनोरंजन करने के लिए आऊंगा, मैं समझ गया हूं आपको क्या चाहिए, उसका बंदोबस्त करने के लिए बिजी हूं, वायदा है फिर से ऐसे ही किसी बेहतरीन फिल्म की स्क्रिप्ट के साथ लौट आऊंगा छोटे से हवा के झोंकों से थोड़ा ही ढह जाऊँगा." यह एक दौर शाहरुख खान के लिए नया सबक था, हर किसी की को अपने जीवन में एक नाजुक दौर से दो चार होना पड़ता है. 
शाहरुख चार साल से अधिक समय तक सिल्वर स्क्रीन से गायब रहे...आख़िरकार देर आए दुरुस्त आए, रोमांटिक हीरो के रूप में विख्यात शाहरुख खतरनाक एक्शन फिल्म 'पठान' के जरिए आए भी तो अपने नाम के मुताबिक एक गीत के साथ नफ़रत उनका पीछा करते हुए उनको अपने आगोश में लेने वाली थी, लेकिन शाहरुख ने जवाब दिया केवल और केवल मुहब्बत से... बेशरम रंग गीत ही तो था, जिसने पठान की जमीन तैयार की. आज के दौर में सोशल मीडिया जिसे चाहे हिट करा दे, जिसे चाहे फ्लॉप, फिर भी एक उम्मीद होती है उसको नहीं छोड़ना चाहिए. हिन्दी सिनेमा आख़िरी सांसे ले रहा था, यूँ लगता था जैसे हिन्दी सिनेमा भी खत्म हो गया, लेकिन उम्मीद थी, जैसे नब्बे के दशक में शाहरुख आए थे और हिन्दी सिनेमा को अपने कांधे पर उठा लिया था. ऐसे ही शाहरुख खान ने 2023 की शुरुआत में भी फिर से यही कर दिखाया... उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज़ में कहा भी था, "मैं किसी हवा के झोंके से थोड़ा ही ढह जाऊँगा शाहरुख कोई नाम नहीं है जीवन के पैंतीस साल की कड़ी मेहनत का परिणाम है" ...शाहरुख ने सच कहा था, उन्होंने आते ही सिल्वर स्क्रीन, हिन्दी सिनेमा को फिर से जिंदा कर दिया. शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' की कहानी एक एजेंट और उसके मिशन की है. जिसे देश के दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेरना है. यह देश का दुश्मन है जॉन अब्राहम जो कॉन्ट्रेक्ट लेकर अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देता है. लेकिन इसकी राह का रोड़ा बनता है पठान यानी शाहरुख खान. उसका साथ देती है दीपिका पादुकोण. इस तरह फिल्म की कहानी एक्शन और रोमांच से भरी है, जिसमें टाइगर यानी सलमान खान की एंट्री भी है. कई तरह के रहस्य भी फिल्म में पिरोए गए हैं. डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद ने 'पठान' को मसाला फिल्म बनाया है. उन्होंने इंटरनेशनल लेवल के एक्शन सीक्वेंस शूट किए हैं. वॉर जैसी फिल्मों में अपनी एक्शन थ्रिलर का जलवा बिखेर चुके डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद पठान लेकर आए हैं. सिद्धार्थ की इस फिल्म में आपको जिस मसाला फिल्म की उम्मीद है वो भरपूर मात्रा में है. पावरपैक्ड एक्शन, एक्सॉटिक लोकेशन, रोमांस, कॉमिडी, डायलॉगबाजी, देशभक्ति इमोशंस से लबरेज फिल्म फैंस के लिए पूरी तरह पैसा वसूल साबित है. बात जब सुपरस्टार और मसाला फिल्म के कॉम्बिनेशन की हो, तो कहानी या सीक्वेंस में लॉजिक ढूंढना सही नहीं होता है. कहानी के मामले में बेशक फिल्म का पक्ष कमजोर है लेकिन जिस तरह के एक्शन और डायलॉग्स लिखे गए हैं, वो इन कमी पर पूरी तरह पर्दा डालते हैं.
शाहरुख खान का एटीट्यूड और पठान का अंदाज फिल्म की कहानी में मौजूद खामियों को काफी हद तक छिपा देता है. पठान फिल्म पहले ही दिन से बॉक्स ऑफिस पर छा गई. पहले ही दिन हिन्दी वर्जन 57 करोड़ की कमाई करते हुए हिन्दी सिनेमा में नया कीर्तिमान रच दिया... वहीँ दूसरे दिन 70 करोड़ की कमा कर हिन्दी सिनेमा के सबसे कमाऊ पुत्र बनकर तहलका मचा दिया. फिर फिल्म से जुड़ा कोई भी रिकार्ड बचा ही नहीं है, सारे के सारे पठान से पीछे छूट चुके हैं. आज 12 दिन में हिंदी कलेक्शन 430 करोड़ हो चुका है.. इससे अधिक केवल बाहुबली 2 है...रिलीज के 12 वें दिन 28 करोड़ की कमाई देखकर लग रहा है, आज ही रिलीज हुई है. इसी को शाहरुख का स्टारडम कहा जाता है. जहां पर सिर्फ शाहरुख हैं.

शाहरुख खान ने कभी भी नफ़रत को नफ़रत की तरह लिया ही नहीं.. इस इंसान को सिर्फ और सिर्फ प्रेम करना आता है. हो सकता है, शाहरुख खान की पठान की कहानी बहुत उम्दा नहीं है, मेरे जैसे समानांतर फ़िल्मों के प्रेमियों के लिए इस फिल्म में कुछ नहीं है. कहानी बांधने वाली बिल्कुल भी नहीं है, लेकिन आज के दौर में बच्चों को केवल और केवल मनोरंजन चाहिए, फिर भी इस फिल्म का चलना बहुत जरूरी था. क्योंकि आज के दौर में फिजा में नफ़रत का जहर घुला हुआ है, उसकी दवा है "पठान" जैसी कला जो लोगों को एक फ्रेम में लेकर आए...

यश राज बैनर भी डूबने वाला था, फ़िल्मों में छोटे से छोटे लोग काम करते हैं हज़ारों लोगों की रोजी - रोटी टिकी हुई थी. सब नेस्तनाबूद हो चुका था. आज अगर सैकड़ों घरों में रोटी फिर से बहाल हुई है तो पठान का चलना जरूरी था. छोटे - छोटे थियेटर खुल चुके हैं, लोग कला की तरफ फिर से रुख कर रहे हैं तो इसका चलना जरूरी हो गया था. शाहरुख ने सिर्फ और सिर्फ मुहब्बत की है.. शाहरुख को मुहब्बत करने दीजिए.. पठान के बाद शाहरुख एटली कुमार की फिल्म फिल्म जवान, एवं राजकुमार हिरानी की फिल्म डंकी में नजर आएंगे... मुझे उम्मीद है कि शाहरुख डंकी फिल्म से समाज में एक नया रंग घोलते नजर आएंगे. चूंकि राजकुमार हिरानी बेहतरीन कहानी के लिए जाने जाते हैं. मैं व्यक्तिगत रूप से एक्शन फ़िल्मों पर लिखता नहीं हूं, लेकिन आज इसकी जरूरत है, आज के दौर में जरूरत है नफ़रत को मुहब्बत से जवाब देने का.. आखिरकार प्रेम ही रह जाता है.. शाहरुख भी अपने प्रेम से युवाओं को प्रेरित करते रहेगे.. शाहरुख ने अपनी एक ऐसी लेगेसी बनाई है, जिससे हर किसी को सीखना चाहिए. शाहरुख ने सिर्फ मुहब्बत करना सिखाया है... महिलाओं के प्रति उन्होंने युवाओं के मन में एक नया आचरण पैदा कर दिया है.. पठान की सफ़लता नफ़रत को मुहब्बत का पैगाम है, जिसे शाहरुख कहते हैं "आपने जो नफ़रत का जहर घोलते हुए शुरू किया था, आप खुद की उसको बंद करिए," फिल्म की सफ़लता के बाद मीडिया के सामने दीपिका के फूटे आंसू कह रहे थे, कि अभी प्रेम है दुनिया में.. एक उम्मीद है, पठान भी एक उम्मीद थी जो खरी उतरी है.... फ़िल्में देखिए न देखिए, नफ़रत के लिए नया अखाड़ा खोज लेना चाहिए. क्योंकि अब शाहरुख कहीं नहीं जाने वाले.. ऐसे ही मुहब्बत का पैगाम देते रहेंगे....... 

दिलीप कुमार

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